NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
निजी क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना आरक्षण, उद्योग संगठन एसोचैम ने जताया विरोध
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को निजी क्षेत्र को आरक्षण दिए जाने की मांग की सुगबुगाहट उद्योग जगत तक पहुंचने लगी है।
सबरंग इंडिया
14 Nov 2017
reservation in private sector
Image Courtesy: Reuters

अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को निजी क्षेत्र को आरक्षण दिए जाने की मांग की सुगबुगाहट उद्योग जगत तक पहुंचने लगी है। इस चर्चा  में उद्योग संगठन एसोचैम भी कूद पड़ा है और  उसने कहा है कि इससे  देश में निवेश के माहौल पर बुरा असर पड़ेगा। निजी क्षेत्र में आरक्षण की चर्चा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने छेड़ी थी, जिसे भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के साथ लोक जनशक्ति पार्टी और पार्टी के नेता और नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री राम विलास पासवान का समर्थन भी मिला था।

इसके पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के  पहले कार्यकाल (2004-09) में निजी क्षेत्र में आरक्षण की चर्चा हुई थी। उस समय कांग्रेस अल्पमत में थी और वाम दलों व लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बैशाखी पर चल रही थी। सहयोगी दलों के दबाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उद्योग जगत के दिग्गजों की उपस्थिति में फिक्की के ही एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि अगर उद्योग जगत स्वेच्छा से दलितों के हित में कदम नहीं उठाता है तो मैं और दबाव झेलने में सक्षम नहीं हूं और मजबूरन सरकार को कानून बनाकर निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था करनी पड़ेगी।

मनमोहन सिंह के इस बयान के बाद उद्योग संगठन, खासकर टाटा समूह हरकत में आया और कई उद्योगपतियों ने घोषणा की कि वेंडरों से कच्चा माल लेने में अगर भाव बराबर रहते हैं तो वे दलितों के उत्पाद को प्राथमिकता देंगे। उद्योग जगत के समर्थन के बाद फिक्की की तर्ज पर दलित चैंबर आफ कॉमर्स (डिक्की) का गठन हुआ औऱ कुछ नए दलित उद्यमी भी बने। हालांकि संप्रग-2 में कांग्रेस के मजबूत होने के बाद से उद्योग जगत का उत्साह फीका पड़ गया और दलितों पिछडों को उद्योग में भागीदारी देने की दिशा में शुरू किया गया काम ठप हो गया।

अब नए सिरे से मांग उठने के बाद उद्योग जगत की पेशानी पर बल पड़ने शुरू हो चुके हैं। मौजूदा सरकार का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को आरक्षण विरोध के लिए जाना जाता है। साथ ही भाजपा का केंद्र में पूर्ण बहुमत है। ऐसी स्थिति में उद्योग जगत भी करीब निश्चिंत था कि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू की संभावना नहीं है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए दलितों पिछड़ों को लुभाने की कवायद शुरू हो गई है और सत्तासीन भाजपा और उसके सहयोगी दलों की ओर से ही आरक्षण की मांग उठने लगी है। जिसे लेकर उद्योग जगत की चिंता बढ़ी है।

उद्योग जगत की अग्रणी संस्था एसोचैम ने कहा कि ऐसे समय में जब भारत की अर्थव्यवस्था सुधार की ओर बढ़ रही है, निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर दिया गया कोई भी राजनीतिक बयान आर्थिक क्षेत्र में निवेश परिवेश के लिए बड़ा झटका हो सकता है। उद्योग मंडल ने हालांकि  इस दिशा में सकारात्मक पहल पर जोर दिया है।

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि राजनीतिक दलों को इसके बजाय ऐसा वातावरण बनाने पर ध्यान देना चाहिए जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में लाखों नौकरियां सृजित की जा सकें। उन्होंने राजनीतिक दलों से वैश्विक और घरेलू निवेशकों को गलत संकेत भेजने से बचने का आग्रह किया है। उन्होंने आगे कहा कि  देश की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में यदि लोकलुभावन भावनाओं को हवा दी जाती है तो इसका वृद्धि परिवेश पर बुरा असर पड़ेगा।

Courtesy: सबरंग इंडिया ,
Original published date:
14 Nov 2017

बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License