NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
निजीकरण, उच्च शिक्षा के व्यावसायिकरण के खिलाफ़, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सरकार कि नीतियों खिलाफ पांचदिवसीय हड़ताल शुरू की
शिक्षक हाल में हुए नीतिगत बदलावो का विरोध कर रहे हैं जो सार्वजनिक विश्वविद्यालयो के वित्तपोषण का बोझ विद्यार्थियों पर डालने का प्रयास कर रहीं हैं ।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Mar 2018
Translated by मुकुंद झा
डूटा की हड़ताल

 

जैसा कि केंद्र सरकार देश के  अधिकतर छात्रों के लिए उच्च शिक्षा को उनकीं पंहुच से दूर करने में लगीं है, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सरकार के इन चालकियों के खिलाफ अपने चल रहे संघर्ष को और तेज कर दिया है।

 

1 9 मार्च को दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ (डूटा) ने हाल ही में हुए नीतिगत परिवर्तनों के खिलाफ पांच दिवसीय हड़ताल शुरू की – जिसका कारण है मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचएचआरडी) द्वारा शुरू की गई सार्वजनिक- उच्च शिक्षा का निजीकरण और व्यावसायीकरण ।

डूटा

 

हड़ताल के पहले दिन जनता के शिक्षा के अधिकार के लिए विश्वविद्यालय के नोर्थ कैम्पस में "अधिकार रैली" का आयोजन किया गया ,जिसमें लगभग डीयू के लगभग एक हजार शिक्षक इस मार्च में शामिल हुए |

 

फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (FEDCUTA) ने भी 28 मार्च को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पीपल्स मार्च के लिए आवाहनं किया है। इसमें आसपास के अन्य विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

जिस नीतियों का शिक्षक विरोध कर रहे हैं ,वो नीतियां विश्वविद्यालय की वित्तपोषण के बोझ को विद्यार्थियों पर डालने का प्रयास कर रहीं हैं।

 

इन नीतिगत परिवर्तनों में एक नया यूजीसी draft  है जो 70:30 के एक नए फंडिंग फार्मूले की घोषणा करता है - 7 वें वेतन संशोधन के कारण - जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एमएचआरडी द्वारा कहा गया है की कम से कम 30% धन स्वंय उत्पन्न करे |

यह फंडिंग फॉर्मूला केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की फीस में अत्यधिक बढ़ोतरी का कारण बनेगा, यहां तक ​​कि सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में भी पढ़ पाना असंभव हो ज़ाऐगा।

फिर Higher Education Financing Agency (HEFA), जो की बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वालें अनुदानों की जगह लेगा।

HEFA मॉडल के तहत, उच्च शिक्षा के किसी भी केंद्रीय संस्थान को बुनियादी ढांचे के लिए धन की आवश्यकता होती है, वो उसे एजेंसी से उधार लेना होगा, जो बाजार से धन जुटाऐगी और उसके बाद उसे संस्था को उधार देगी। संस्था को समयबद्ध तरीके से ऋण की मूल राशि का भुगतान करना होगा।

इसका क्या मतलब यह है कि किसी भी विश्वविद्यालय जो अपनी बुनियादी ढांचे का विकास करना चाहता है, उनको फीस बढ़ाकर अपनें राजस्व में जरूरी बढ़ोतरी करने की आवश्यकता होगी। इसके परिणाम होंगे कि कॉलेज या विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में गिरावट आएगी या फिर महंगी हो। इसका मतलब यह है कि गुणवत्ता की शिक्षा केवल उन छात्रों कि पहुंच होगी जो इसके लिए भुगतान कर सकते हैं।

फिर यूजीसी की स्वायत्त महाविद्यालयो कि योजना है, जिसके अंतर्गत कॉलेज कि सीधे यूजीसी से एक स्वायत्त स्थिति कि जा सकती हैं –उसका विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं रह जायेगा ,प्रशासनिक स्वायत्तता के अलावा, कॉलेजों की वित्तीय स्वायत्तता होगी - जिसका मतलब है कि कॉलेज अपनी फीस तय करने और फीस लेंने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन यूजीसी की दिशा-निर्देशों में कहीं भी उल्लेख नहीं है कि कॉलेज को यूजीसी द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। अतिरिक्त शिक्षकों को भर्ती के लिए कॉलेजों को पैसा नहीं मिलेगा यह मूल रूप से "स्वयं-वित्तपोषण" की ओर एक और धक्का है - न केवल बढ़ती फीस, बल्कि धन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ये व्यापारिक दिर्ष्टिकोण से कार्य करेगीं, राजस्व-निर्माण के लिये भी पाठ्यक्रमों का निर्माण होंगा।
स्वायत्तता योजना के साथ ही "वर्गीकृत स्वायत्तता" नीति - राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचे के अनुसार उच्च रैंक वाली महाविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी – फिर से, इस स्वायत्तता में "वित्तीय स्वायत्तता" शामिल है |
शिक्षक एमएएचआरडी, यूजीसी और यूनिवर्सिटी / कॉलेज के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) के खिलाफ भी विरोध कर रहे हैं, जिससे छात्रों की फीस में लगातार वृद्धि की आवश्यक हो जाएगीं ।

फिर यूजीसी के 5 मार्च 2018 के पत्र ज़ारी किया है, जिससे की सरकार की आरक्षण नीति में बदलाव आएगा, क्योंकि यह विश्वविद्यालयों को रोस्टर विभाग / विषयवार तैयार करने का निर्देश देता है। नतीजतन, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के क्रमशः 15%, 7.5% और 27% की संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार शिक्षण पदों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रह  जाएगा।

DUTA यह भी मांग कर रहा है कि यूजीसी बिना शर्त यूजीसी प्रपत्र वापस ले ले,  सरकार ने अदालत में एक समीक्षा याचिका दायर कि है और यह मुद्दा एक संसदीय स्थायी समिति द्वारा विचार-विमर्श किया जा रहा है |

पहले से ही, शिक्षकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियमित नियुक्तियों की मांग कर है, जबकी 60% ad-hoc facultyमें पहले से हैं। पेंशन वर्षों से लंबित रहीं है जबकी इस दौरान पदोन्नतियो (Promotions) को भी उपेक्षित किया गया है |.

न्यूज़क्लिक के साथ संवाद करते हुए, DUTA के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा, "ये सभी  नीतिगत परिवर्तनों आपस में अंतर्संबंधित हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के उच्च शिक्षा का व्यावसायीकरण और निगमीकरण के एकमात्र लक्ष्य के साथ इसे आगे बढ़े रहे हैं।"

 “जबकि डूटा इन मुद्दों को अपनी क्षमता से ऊपर उठ कर संघर्ष कर रही है, अकेले एक विश्वविद्यालय इन प्रक्रियाओं को रोक नहीं सकता है। नीति में परिवर्तन केवल तभी आ सकता है जब ये एक ऐसा मुद्दा बन जाए जिसका सार्वजनिक (आम जनता द्वारा) समर्थन हो और ये एक आम जन मानस का मुद्दा बन जाए । "

दिल्ली विश्वविद्यालय
शिक्षक हड़ताल
डूटा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
Fedcuta

Related Stories

परीक्षा का मसला: छात्रों का सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन जारी

DNEP: क्या शिक्षा सिर्फ़ अमीरों को नसीब होगी?

DNEP: ‘शिक्षा’ नहीं कारोबार नीति

छात्रों के बाद शिक्षकों ने मोदी से हिसाब मांगा

दिल्ली विश्वविद्यालय पर CCS एवं ESMA थोपने की कोशिश?

बीजेपी सरकार की 'वैदिक शिक्षा बोर्ड' गठन करने की योजना

विशेषज्ञों के मुताबिक उच्च शिक्षा आयोग संस्थानों की स्वायत्तता को प्रभावित करेगा

छात्रों ने आरोप लगाए; यौन उत्पीड़न मामलों को हल करने में डीयू की आंतरिक समीति अक्षम हैं

शिक्षकों और छात्रों ने किया शिक्षा पर हमले के खिलाफ मार्च

दिल्ली में हज़ारों छात्रों और शिक्षकों ने उच्च शिक्षा को बचाने के लिए किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं
    17 May 2022
    निर्मला सीतारमण ने कहा कि महंगाई की मार उच्च आय वर्ग पर ज्यादा पड़ रही है और निम्न आय वर्ग पर कम। यानी महंगाई की मार अमीरों पर ज्यादा पड़ रही है और गरीबों पर कम। यह ऐसी बात है, जिसे सामान्य समझ से भी…
  • अब्दुल रहमान
    न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध
    17 May 2022
    फिलिस्तीनियों ने इजरायल द्वारा अपने ही देश से विस्थापित किए जाने, बेदखल किए जाने और भगा दिए जाने की उसकी लगातार कोशिशों का विरोध जारी रखा है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी
    17 May 2022
    पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजद्रोह मामला : शरजील इमाम की अंतरिम ज़मानत पर 26 मई को होगी सुनवाई
    17 May 2022
    शरजील ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह क़ानून पर आदेश के आधार पर ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 मई को 26 मई तक के लिए टाल दिया है।
  • राजेंद्र शर्मा
    ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!
    17 May 2022
    सत्तर साल हुआ सो हुआ, कम से कम आजादी के अमृतकाल में इसे मछली मिलने की उम्मीद में कांटा डालकर बैठने का मामला नहीं माना जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License