NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
शिक्षा
समाज
भारत
राजनीति
निन्दक नियरे राखिये, लेकिन, अगर, मगर...
मुझे लगा मेरा व्यक्तित्व दूसरे काम, यानी आलोचना के लिए अधिक उपयुक्त है। सो मैंने आलोचना शुरू कर दी। पर लगता है आलोचना के लिए गलत बॉस को चुन लिया।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
09 Jun 2019
Narendra Modi
फोटो साभार: Jagdish Bhawsar

“निन्दक नियरे राखिये", यह मैं नहीं कह रहा हूँ। यह कबीर ने कहा था। कबीर को कबीर ही लिख रहा हूँ, कबीर जी नहीं, नहीं तो कबीर की अवमानना हो जायेगी। तो कबीर ने कहा था, निन्दक नियरे राखिये। उनका कहना था कि जो आपकी आलोचना करे, कमी निकाले, उसे आप अपने करीब रखें। उससे दूर न रहें। यह कबीर ने उन लोगों के लिए कहा था, जिनमें कुछ कमी हो, कुछ निन्दा करने योग्य हो। शायद उनका मानना था कि इससे उनको अपनी कमी जानने और फिर सुधारने की संभावना बनी रहती है।

लेकिन भारत के मीडिया को अब इस बारे में कोई भी गलतफहमी नहीं है। भारत का मीडिया, चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक उसे पता है कि उसे कैसे काम करना है। अगर कोई उन्हें झुकाना चाहे तो वे लेट जाते हैं और कोई प्रमाण करने के लिए कहे तो वे साक्षात दण्डवत हो जाते हैं। कहते हैं, पुराना जमाना कुछ और था। बताते हैं कि प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट शंकर अपनी पत्रिका में यदि नेहरू पर कार्टून नहीं छापते थे तो नेहरू बेचैन हो जाते थे। इंदिरा गांधी को भी प्रेस पर अंकुश लगाने के लिए इमरजेंसी लगानी पड़ी। पर अब तो बिना इमरजेंसी के ही मीडिया झुका पड़ा है। सर, आप बताइए तो सही कितनी बार सजदा करना है। हम दो चार बार फालतू ही कर देंगे।

tirchi najar after change new_17.png

"निन्दक नियरे राखिये" ने मुझे अपने बॉस की निन्दा करने के लिए प्रेरित किया। कौन नहीं है जो शासन के नजदीक होना चाहता है। अब शासन की नजदीकी पाने के लिए दो ही काम किये जा सकते हैं। या तो आप शासन की चमचागिरी शुरू कर दें, जो अधिकतर लोग करते हैं, या फिर आलोचना। मुझे लगा मेरा व्यक्तित्व दूसरे काम, यानी आलोचना के लिए अधिक उपयुक्त है। सो मैंने आलोचना शुरू कर दी। पर लगता है आलोचना के लिए गलत बॉस को चुन लिया। 

मैंने अपने बॉस को बताया कि उन्होंने क्या गलत कहा। मैंने उन्हें बताया कि तक्षशिला बिहार में नहीं वर्तमान पाकिस्तान में है। यह भी बताया कि सिकंदर को तो पंजाब में ही रोक लिया गया था, वह तो बिहार तक पहुंचा ही नहीं था। बताया कि 1987-88 में न तो लोगों के पास डिजिटल कैमरा था और न ही इंटरनेट। समझाने की कोशिश की कि रामायण और महाभारत साहित्यिक या धार्मिक ग्रन्थ हैं न कि इतिहास या विज्ञान की पुस्तकें। पर उन्हें न मानना था न माने। उनके चमचों ने उन्हें ही सही और सच्चा माना और मुझे धमकाना शुरू कर दिया। 

मैंने यह भी बताया कि नोटबंदी से लोगों को नुकसान हुआ, कठिनाई आई। लोगों का काम धंधा ही बंद हो गया। जीएसटी लागू ढंग से नहीं किया गया। उससे भी काम काज पर फर्क पड़ा। गुजारिश की कि धर्म को धर्म ही रहने दो, और कोई काम न दो। तो नियरे पहुंचने की बात तो छोड़ो, चमचे जान लेने की बात करने लगे। मुझे ऐसा लगा कि सर जी ऐसे कोई हैं, जिसमें कुछ भी कमी न हो,कुछ भी निन्दनीय न हो। पर उन जैसे सर्व गुण संपन्न, त्रुटिहीन लोगों के बारे में कबीर ने कभी भी कुछ कहा हो, मुझे ज्ञात नहीं है।

अंतिम बात: ऐसे समर्थ, गुणवान, त्रुटिहीन लोगों के बारे में भले ही कबीर ने कुछ न कहा हो, तुलसीदास जी कह गये हैं "समरथ को नहीं दोष गुसाईं।"

dron sharma
tirchi nazar
sarcasm
vyang
Narendra modi
BJP
bhartiya janata party
Nationalism
modi sarkar 2.O
Modi Govt

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License