NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
नोटबंदी से जुड़े सारे तर्क फ़ेल : नकली नोटों की संख्या में इज़ाफ़ा
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में साल 2018-19 में नकली नोटों से जुड़े तथ्य सामने आये हैं। इस दौरान रिज़र्व बैंक के पास 5.6 फीसदी और दूसरे बैंकों के पास 94.4 फीसदी नकली नोट मिले।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Sep 2019
demonitization

आरबीआई की सलाना रिपोर्ट से नोटबंदी लागू करने का यह तर्क भी धराशाही हो गया कि इससे नकली नोटों की संख्या में कमी आएगी। लेकिन नकली नोटों की संख्या में इज़ाफ़ा होता जा रहा है। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में साल 2018-19 में नकली नोटों से जुड़े तथ्य सामने आये हैं। इस दौरान रिज़र्व बैंक के पास 5.6 फीसदी और दूसरे बैंकों के पास 94.4 फीसदी नकली नोट मिले।

रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट कहती है केवल एक साल में 10, 20, और 50 रुपये में पाए गए जाली नोटों में क्रमश 20.2, 87.2 और 57.3% की बढ़ोतरी हो गई। दो साल पीछे से तुलना करें तो छोटी करेंसी में नकली नोटों की संख्या चार गुना तक बढ़ गई। 100 रुपये के नकली नोटों में पिछेल साल के मुकाबले 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। इस कमी के बाद भी एक साल में 2.20 लाख नकली नोट सौ रुपये के ही पकड़े गए। कमी के बावजूद बाज़ार में 100 रुपये के नकली नोट सबसे अधिक घूम रहे हैं।  
अगस्त 2017 से 200 रुपये के नोटों का प्रचलन जारी है। साल 2018 में 200 रुपये के 79 जाली नोट पकड़े गए थे, जबकि इस साल इनकी संख्या 12,728 हो गई। यानी एक साल में 200 रुपये की नकली करेंसी में 160 गुना इजाफा हुआ।

साल 2017 में नये डिजाइन के 500 रुपये के नोट आने के बाद साल 2017 में 199 नकली नोट मिले। साल 2018 में 9892 नोट और साल 2019 में 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या में इज़ाफ़ा होकर 21,865 हो गया। यानी नोटबंदी के बाद इसमें 100 गुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

साल 2017 में 2000 के नकली नोटों की संख्या 638 थी। यह बढ़कर 2019 में तकरीबन 22 हजार हो गयी है। इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर हैं कि नोटबंदी से जुड़ा वह तर्क भी धारशाही हो गया, जिसमे यह कहा जा रहा था कि इससे जाली नोटों की संख्या में कमी आएगी।

नोटबंदी के बाद से ऐसे कई सारी बातें मीडिया रिपोर्ट में प्रकाशित हो चुकी हैं, जो नोटबंदी से जुड़े सारे तर्कों को हवा हवाई बताती हैं।

आरबीआई रिपोर्ट के तहत यह बात भी उजागर हो चुकी है कि भारत में नकद में होने वाले लेन-देन में कोई कमी नहीं आयी है। नोटबंदी के पहले के स्तर से अब तक नकद के चलन में 19.14 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। यानी नोटबंदी के पहले 4 नवम्बर 2016 तक भारत में कुल नकद नोटों की संख्या 17.97 करोड़ रुपये थी जो 15 मार्च 2019 तक बढ़कर 21.41 लाख करोड़ हो गयी। इसका साफ़ मतलब है कि नोटबंदी की वजह से नकदी लेन-देन में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

इस तरह से नोटबंदी लागू करने से जुड़ा यह तर्क भी पूरी तरह ढह गया कि नोटबंदी की वजह से डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी और कैश की सर्कुलेशन में कमी आएगी। नोटबंदी के लिए दिए गए कैशलेश इकॉनमी वाले तर्क के खिलाफ उजागर हुआ यह बड़ा खुलासा है। जिसका सीधा अर्थ यह निकलता है नोटबंदी से कोई फायदा नहीं। इस खुलासे पर नोटबंदी से जुड़े उन सारे पहलुओं पर एक बार फिर से नजर डालते हैं जो यह साफ़- साफ़ बताते हैं कि इसका फायदा कुछ नहीं हुआ, उल्टे लोग परेशान हुए और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

आठ नवंबर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से लागू हुआ नोटबंदी का फैसला भारत कभी नहीं भूल सकता। इस फैसले के बाद बैंकों में लगने वाली लंबी कतारें और इन कतारों में परेशान होते लोगों की तस्वीरें सरकारी समृतियों में हमेशा जिन्दा रहेंगी। इस फैसले की वजह से दिन भर मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले लोग शहर छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे थे। और जो गांवों में थे, उन्हें कई दिन भूखे रहना पड़ा। अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा चरमरा गया।

प्रधानमंत्री ने पहले कहा कि भारत में काले धन की परेशानी को जड़ से खत्म  करने के लिए, यह अभी तक का उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। इस कदम से आतंकवाद और नक्सलवाद और जाली नोट जैसी बीमारियों को बड़ा झटका लगेगा। लेकिन कुछ ही दिन बाद सरकार ने पाला बदल गया। सरकार  यह तर्क देने लगी कि इससे कैश्लेश इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा। आरबीआई के हालिया रिपोर्ट से इस तर्क की भी अब पोल खुल गयी है। इस तरह से सरकार खुद यह बताने में फेल रही कि उसने नोटबंदी का फैसला क्यों लिया?

बीते साल आरबीआई की सलाना रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि सरकार के उम्मीदों के बिल्कुल उल्टा लगभग पूरा का पूरा कैश सिस्टम में लौटा आया। इस रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी की वजह से कुल 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे। इसमें 10,720 करोड़ छोड़ बाकी रकम बैंकों में वापस आ गई। यानी कुल 0.7 रकम ही सिस्टम से बाहर रही। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि 3 लाख करोड़ की रकम वापस नहीं आएगी।

अब तो यहां तक कहा जाता है कि इस दौर का जब इतिहास लिखा जाएगा तो यह लिखा जाएगा कि सरकार का नोटबंदी फैसला जनता के साथ किया गया एक बड़ा मज़ाक था।

demonitisation a failure
demonitisation
RBI
fake currency
Narendra modi
modi sarkar
economy crises

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License