NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
नवउदारवाद के “फायदे”: बढती आर्थिक असमानता
न्यूज़क्लिक
04 Feb 2015

वैश्विक आर्थिक असमानता पर ऑक्सफेम द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार 2016 तक वैश्विक जनसँख्या के 1 प्रतिशत व्यक्तियों के पास दुनिया में मौजूद संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा होगा।  ऑक्सफेम इंटरनेशनल की कार्यकारी निर्देशक विनी ब्यान्यिमा ने कहा कि, “ क्या हम वाकई उस दुनिया में जीना चाहते हैं जहाँ 1 प्रतिशत जनसँख्या के पास बाकी बचे लोगो के बराबर धन हो?”

यह आर्थिक असमानता चौका देने वाली है। अमीर और गरीब के बीच की खाई और चौड़ी होती जा रही  है।

क्रेडिट सुइस्से डाटा, जिनपर ऑक्सफेम की रिपोर्ट आधारित है, के अनुसार 2009 के बाद से उस 1 प्रतिशत जनसँख्या की संपत्ति में लगातार इज़ाफा हुआ है।  2009 से 2014 के बीच इनकी संपत्ति विश्व की संपत्ति के कुल 44 प्रतिशत से बढ़कर 48.2 प्रतिशत हो गई है। इसी के अनुसार 2016 तक इनके पास उतना धन होगा जितना बाकी 99 प्रतिशत के पास यानी वैश्विक संपत्ति का 50 प्रतिशत।

2008 की आर्थिक मंदी के बाद से इनके धन में लगातार इज़ाफा हो रहा है जबकि इसके विपरीत मंदी से पहले इनके धन में गिरावट देखने को मिली थी। 2000 से 2009 के बीच में इस 1 प्रतिशत के पास मौजूद संपत्ति 48.7 प्रतिशत से गिरकर 44 प्रतिशत पर आ गई थी पर उसके बाद इसमें लगातार वृद्धि हुई  है।

ऑक्सफेम रिपोर्ट ,फोर्ब्स द्वारा प्रकाशित विश्व के सबसे अमीर वर्ग की संपत्ति के तुलना निचले 50 प्रतिशत जनसँख्या के धन से करती है।  2004 से 2009 के बीच विश्व के सबसे अमीर 80 लोगो की संपत्ति दुगनी हो गई है जबकि निचले 50 प्रतिशत लोगो की संपत्ति इस समय में कम हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2014 में इन 80 लोगो की कुल संपत्ति 1.9 ट्रिलियन डॉलर थी जो निचले वर्ग की कुल जनसँख्या (3.5 बिलियन) की संपत्ति के बराबर है। 2008 में यही धन 388 सबसे अमीर लोगो के पास था जो अब 80 लोगो के हाथ में है। इससे साफ उभर के आता है कि किस प्रकार धन एक उच्च तबके के हाथ में सिमटता जा रहा है।

स्त्रोत: Oxfam

भारत की स्थिति में

भारत में आर्थिक असमानता पिछले 15 सालों में लगातार बढती रही है। क्रेडिट सुइस्से के अनुसार भारत के उच्च 1 प्रतिशत जनसँख्या के पास देश का 49 प्रतिशत धन है। 2000 से 2014 के बीच इनकी कुल संपत्ति 36.8 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत हो गई है। यह किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है।

क्रेडिट सुइस्से रिपोर्ट के अनुसार विश्व के अगर सभी भोगौलिक क्षेत्रो पर नज़र डाली जाए तो उच्च 1 प्रतिशत की आर्थिक असमानता के मामले में भारत अव्वल स्थान पर है।  भारत के उच्च 1 प्रतिशत के पास 49 प्रतिशत धन है जबकि अफ्रीका के मामले में यह 46 %, एशिया पैसिफिक में 40.4%, चीन में 37.2 प्रतिशत , यूरोप में 31.1 %, लातिन अमरीका में 40.5 % और उत्तरी अमरीका में 37.5 प्रतिशत है।

आकड़ें और चौका देते हैं जब हम नजर डालें कि भारत के 15 सबसे अमीर व्यक्तियों के पास उतना धन है जितना 62.5 करोड़ जनता के पास है।

स्त्रोत: Credit Suisse Wealth Data Book

आर्थिक विकास पर किसका?

पिछले 10 सालों में भारत की निजी संपत्ति 1.6 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक बढ़ी है। इस 1.6 ट्रिलियन का 1 ट्रिलियन, जनसँख्या के उच्च 1 प्रतिशत लोगो के पास गया है। अगले 9 प्रतिशत जनसँख्या के पास 350 बिलियन डॉलर(22 %) की संपत्ति है जबकि बची 90 प्रतिशत जनसँख्या के पास 320 बिलियन डॉलर( 20 %) है।

स्त्रोत: Credit Suisse Wealth Data Book

परिणाम अनुसार उच्च 1 प्रतिशत लोगो की संपत्ति में लगातार इज़ाफा हुआ है। 2000 से 2014 के बीच उच्च 1 प्रतिशत की संपत्ति 12.2 प्रतिशत बढ़ी है जबकि अगले 9 प्रतिशत जनसँख्या की संपत्ति में 4.1 % की और बाकी 90 प्रतिशत की संपत्ति में 8.1 % की गिरावट आई है। एक तरफ जब वे 1 प्रतिशत लोग धन इकठ्ठा कर रहे थे तभी दुसरे तरफ भारत में भूखे व्यक्तियों की संख्या 186 मिलियन से बढ़ कर 191 मिलियन पहुँच गई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत की जनसँख्या विश्व की जनसँख्या का 17 प्रतिशत है पर यहाँ विश्व में कुल भूखे लोगो का 25 % हिस्सा रहता है।

ये आकड़ें साफ़ दिखाते हैं कि पिछले 15 साल में नवउदारवादी नीतियों से फायदा किसे मिला है। 

क्रेडिट सुइस्से डाटा
ऑक्सफेम
जीडीपी
अमीर
गरीब
नवउदारवाद
फोर्ब्स

Related Stories

जब तक ग़रीबों की जेब में पैसा नहीं पहुंचेगा, अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आएगी!

जी.डी.पी. बढ़ोतरी दर: एक काँटों का ताज

सीपीआई (एम) ने संयुक्त रूप से हिंदुत्व के खिलाफ लड़ाई का एलान किया

बाज़ारीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र

भाजपा सभी मजदूरों को ठेका मजदूर बनाना चाहती है

यह कौन सी देश भक्ति है जनाब ….

जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध हड़ताल सफल

सीमान्त किसान: ज़मीन, मुश्किलें और समाधान

क्या दक्षिणपंथी मुर्ख हैं?

बढ़ती कॉर्पोरेट कर्ज़ा माफ़ी और कम होता सामाजिक खर्च


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License