NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
नेपाल
अर्थव्यवस्था
नेपाल की अर्थव्यवस्था पर बिजली कटौती की मार
नेपाल भारत से आयातित बिजली पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, जहां सालों से बिजली संकटों की बुरी स्थितियों के बीच बिजली उत्पादन का काम चल रहा है।
लेखनाथ पांडे (काठमांडू)
16 May 2022
nepal
बिजली कटौती ऐसे समय में हुई है, जब नेपाल पहले से ही विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की समस्या से जूझ रहा है

नेपाल का औद्योगिक क्षेत्र हाल के हफ़्तों में बिजली कटौती से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, बिजली की कमी के चलते कई छोटी, मझोली और बड़ी कंपनियों को अपना परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

हिमालय की तलहटी में बसा यह देश ख़ासकर गर्मी के महीनों के दौरान भारत से आयातित बिजली पर बहुत ज़्यादा निर्भर होता है।

लेकिन, भारत में तो ख़ुद ही बिजली उत्पादन कम हो रहा है, क्योंकि यहां सालों से बिजली का संकट बदतर स्थिति में है।इसका नतीजा यह हुआ है कि नेपाल को निर्यात किये जाने के लिए बिजली बहुत ही कम बच पाती है।

नेपाल के साथ लगती लंबी भूमि सीमा वाले इस बड़े एशियाई देश में ख़ुद ही बिजली की ज़बरदस्त मांग है और दशकों से गर्मी के सबसे गर्म महीने, औद्योगिक गतिविधि और 70% बिजली का उत्पादन करने वाले कोयले की कमी के चलते आपूर्ति में आती अड़चनों के कारण इस ज़बरदस्त मांग के बीच भारत को कई बार बिजली के ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा है।

भारतीय बिजली पर भारी निर्भरता

भारतीय ताप विद्युत संयंत्रों में गर्मियों से पहले का स्टॉक हाल के सालों के सबसे निचले स्तरों में से एक पर आ गया है।इस वजह से भारत सरकार को विदेशी कोयले की ख़रीद पर अपने तरीक़े में बदलाव लाकर और आयात में तेज़ी लाकर कोयले की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

लेकिन, इस साल की शुरुआत के बाद से ही आयात महंगा इसलिए हो गया है, क्योंकि फ़रवरी के आख़िर में यूक्रेन पर रूसी महले शुरू होने के बाद से कोयले की क़ीमतों में इज़ाफ़ा हो गया है।

नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रवक्ता सुरेश बहादुर भट्टराई ने डीडब्ल्यू को बताया, "हम सूखे मौसम के दौरान अपनी बिजली की ज़रूरत का 30-40% भारत से आयात करते हैं।"

"अब कोयले की आपूर्ति की भारी कमी और उच्च घरेलू मांग के चलते भारत ख़ुद ही बिजली संकट का सामना कर रहा है। इसलिए, हम अपनी मांग का महज़ एक चौथाई हिस्सा ही आयात कर पाये।"

कई नेपाली कंपनियों को बिजली की कटौती की वजह से अपने उत्पादन में कटौती करने या उत्पादन को ही बंद कर देने के लिए मजबूर होना पड़ा है

भट्टाराई ने ज़ोर देकर कहा कि मानसून के मौसम की शुरुआत से पहले कुछ और हफ़्तों तक बिजली कटौती की संभावना बनी रहेगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि मानसून की शुरुआत के साथ ही नेपाल में पर्याप्त बारिश होगी,जिससे नदियों का जल स्तर बढ़ेगा और इससे जल विद्युत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

नेपाल में बिजली उत्पादन काफ़ी हद तक अपनी रन-ऑफ़ दी रिवर जलविद्युत परियोजनाओं( यानी ऐसी जल विद्युत परियोजना, जिसमें वादियों के जल प्रवाह में बिना बाधा डाले जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इसमें नदी मार्ग में बिना बड़े बांध बनाये प्रवाहित पानी का इस्तेमाल किया जाता है) पर आधारित है।ये प्लांच रुक-रुक कर ऊर्जा उत्पादन करते हैं, जो शुष्क गर्मी के महीनों के दौरान मौसमी नदी प्रवाह ज़्यादा और कम होने पर अधिक बिजली उत्पन्न करते हैं।

900 से ज़्यादा निजी क्षेत्र की कंपनियों का एक छतरी संगठन-फेडरेशन ऑफ़ नेपाली चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (FNCCI) के महानिदेशक गोकर्ण अवस्थी ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र समस्याओं की वजह से संकत में है।

उन्होंने कहा, "उद्योग बिजली की कमी से अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं। वे आपूर्ति में आयी गैप को भरने की कोशिश करने को लेकर डीज़ल जनरेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं।"

नेपाल का विदेशी भंडार बचाने के लिए कई आयातों पर प्रतिबंध

बिजली में यह कटौती ऐसे समय में हुई है, जब नेपाल पहले से ही विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की समस्या से जूझ रहा है।

नेपाल ने हाल ही में कारों, शराब, तंबाकू और अन्य विलासिता की वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और अपने विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षण में मदद पहुंचाने के लिए अपने कार्य सप्ताह को छोटा कर दिया था।

जुलाई के मध्य में वित्तीय वर्ष के आख़िर तक यह प्रभावी प्रतिबंध का विस्तार खिलौनों, ताश के पत्तों और हीरे के आयात पर भी कर दिया जायेगा।

नेपाल के लिए विदेशी मुद्रा के मुख्य स्रोत, जिसमें कुछ निर्यात और विदेशों से लगभग सब कुछ आयात होता है,उनमें है- पर्यटन, विदेशों में काम करने वालों की ओर से भेजे गये पैसे और विदेशी सहायता।

कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से जहां सैलानियों की संख्या में गिरावट आयी है, वहीं विदेशों में काम करने वालों की ओर से भेजे गये पैसों में भी कमी आयी है।ये पैसे देश के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 60% हैं। ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि विदेशों में काम कने वाले नेपाली श्रमिकों को वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान अपने घर लौट जाना पड़ा था।

इससे नेपाल की 36 बिलियन डॉलर (34.69 बिलियन यूरो) की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।इस वजह से देश के 29 मिलियन नागरिकों में से कई लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

हलांकि, 2022 की पहली तिमाही में विदेशी आमद में सुधार हुआ था, लेकिन यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूसी युद्ध ने उन दोनों देशों के सैलानियों के आने-जाने पर रोक लगायी हुई है, जबकि खाद्य तेलों और भोजन से लेकर हवाई किराये तक की हर चीज़ की क़ीमतों में इज़ाफ़ा हो गया है।  

ईंधन बचाने के लिए छोटा किया गया कार्य सप्ताह

क़ीमतों में बढ़ोत्तरी और बढ़ते आयात बिल ने व्यापार घाटे और देश की मुद्रा के मूल्य पर उलटा असर डाला है, जिससे यह आशंका बढ़ गयी है कि इससे भुगतान संतुलन का संकट पैदा हो सकता है।ऐसा तब होता है, जब कोई राष्ट्र अपने विदेशी ऋण भुगतान के आयात या सेवा के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो जाता है।

वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीनों में आयात लागत बढ़ने से व्यापार घाटा सालाना आधार पर 34.5% बढ़कर 1.16 ट्रिलियन नेपाली रुपये (9.5 बिलियन डॉलर, 8.8 बिलियन यूरो) हो गया।

नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में एक अहम योगदान देने वाला पर्यटन क्षेत्र महामारी की मार से पस्त है

रॉयटर्स के मुताबिक़, नेपाल का सकल विदेशी मुद्रा भंडार फ़रवरी के मध्य तक गिरकर 9.75 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि पिछले साल जुलाई के मध्य से 17% कम था। ग़ौरतलब है कि नेपाल का वित्तीय वर्ष जुलाई से ही शुरू होता है। मौजूदा भंडार लगभग छह महीने के लिए आयात को थामने के लिहाज़ से पर्याप्त होने का अनुमान है।

सरकार ने विदेशी भंडार पर दबाव को कम करने के लिए ईंधन की खपत को कम करने के अपने प्रयासों के हिस्से के रूप में कार्य सप्ताह को साढ़े पांच दिनों से घटाकर पांच दिन कर दिया है।ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि कच्चे तेल की बढ़ती क़ीमतें नेपाल के विदेशी भंडार पर दबाव डाल रही हैं।

नेपाल पर्यटन बोर्ड की निदेशक नंदिनी लाहे थापा ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह फ़ैसला घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक "ज़बरदस्त उम्मीद भरा क़दम" है।

उन्होंने बताया,"हम न सिर्फ़ पर्यटन को बढ़ावा देने, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और श्रमिकों के अवकाश के लिए भी दो दिवसीय सप्ताहांत रखने पर ज़ोर दे रहे हैं।" उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि महामारी के दौरान पूरे पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के अस्तित्व के लिए घरेलू पर्यटन अहम साबित हुआ है।

संपादन: श्रीनिवास मजूमदारु

साभार: डीडब्ल्यू

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:-

Nepal's Economy Hammered by Power Outages

Asia
Nepal
India
energy
electricity
power cuts
business
Economy

Related Stories

क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?

गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

कोयले की कमी? भारत के पास मौजूद हैं 300 अरब टन के अनुमानित भंडार

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License