NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
कानून
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
‘एफसीआई बचाओ, पीडीएस बचाओ’: किसानों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन कर केंद्र को चेताया
इस दिन को ‘एफसीआई बचाओ दिवस’ के रूप में मनाते हुए किसान नेताओं का जोर इस बात को लेकर रहा कि सरकार द्वारा अपने नवीनतम आदेशों में उपज की खरीद संबंधी नीति का लक्ष्य भारतीय खाद्य निगम को “तहस-नहस” करने की रही है।
रवि कौशल
07 Apr 2021
farmers

कृषि कानूनों के खिलाफ अपने विरोध को तेज करते हुए किसान संगठनों ने सोमवार को भारतीय खाद्य निगम के कार्यालयों का घेराव किया। इस कार्यक्रम को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से अप्रैल के पहले पखवाड़े में विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला में शामिल किया गया था। विरोध प्रदर्शन में महिलाओं, बुजुर्गों एवं युवा किसानों की भारी पैमाने पर हिस्सेदारी देखने को मिली। स्थानीय नाट्य मंडलियों द्वारा कई नाटकों का मंचन किया गया, जिसमें दिन भर चले विरोध प्रदर्शन के दौरान एक साझे लंगर के माध्यम से सामुदायिक बंधन को ताकत मिली है।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने बताया कि देशभर में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया, जिसमें आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बड़े पैमाने पर धरना  प्रदर्शन किया गया। उन्होंने बताया “आंध्र में, इस अवसर पर विजयवाड़ा और ओंगोल में विरोध प्रदर्शन हुए। हरियाणा में कैथल, गुडगाँव, रोहतक, फतेहाबाद, सोनीपत, अम्बाला, करनाल, बद्दोवाल चौक में जैसे स्थानों पर हजारों की संख्या में किसानों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। नोएडा के एफसीआई कार्यालय का भी आज किसानों द्वारा घेराव  किया गया। उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में अतरौली, अयोध्या, इलाहाबाद के जसरा ब्लाक सहित कई अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। बिहार के सीतामढ़ी में भी किसानों द्वारा भारी संख्या में एफसीआई गोदाम के समक्ष एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया।”

उन्होंने आगे बताया कि “राजस्थान में श्रीगंगानगर, नागौर और सवाई माधोपुर जैसे स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। पंजाब में भी कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। भवानीगढ़, सुनाम, बरनाला, संगरूर, जालंधर, गुरदासपुर, मानसा और अमृतसर जैसे 60 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था। यहाँ पर किसान नए दिशानिर्देशों और गुणवत्ता मापदंडों के खिलाफ विरोध कर रहे थे, जिसके तहत केंद्र की ओर से पंजाब के किसानों पर सीधा हमला करने के लिए राज्य पर दबाव बनाने की कोशिश चल रही है।”

इस दिन को ‘एफसीआई बचाओ दिवस’ के रूप में मनाते हुए किसान नेताओं का जोर सरकार के इस नवीनतम आदेश को लेकर था, जिसमें उपज की खरीद के संबंध में केंद्र द्वारा एफसीआई को “तहस-नहस करने” का लक्ष्य रखा गया है। उनका कहना था कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से समाज के सबसे गरीब वर्गों को वितरित होने वाले राशन के वितरण की व्यवस्था पर चोट पहुंचेगी। किसान नवीनतम आदेश से बेहद खफ़ा हैं, जिसमें सुझाया गया है कि किसानों को अपनी जमीनों के रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की जरूरत पड़ेगी। 

किसान यूनियनों के समूह के रूप में संयुक्त किसान मोर्चा का यह मत है कि यह आदेश बंटाईदारों को उनके वाजिब हकों से वंचित करने वाला है। वे पंजाब में कुल कृषक आबादी के 40% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, और इस आदेश के चलते उन्हें प्राइवेट मंडियों की ओर धकेला जा रहा है, जो किसानों का खून चूसने के लिए बदनाम हैं। दूसरी बात यह है कि पिछली तीन पीढ़ियों से जमीनों का बंटवारा नहीं हुआ है, और पारिवारिक झगड़ों के कारण जमीन पर स्वामित्व के लाखों मामले अदालतों में लंबित पड़े हैं।

जलालवाला के एक किसान हरिंदर प्रीत सिंह, जिन्होंने इस प्रकार के एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, उन्होनें न्यूज़क्लिक को बताया “सरकार जिस बात को समझ पाने में विफल रही है वह यह है कि  किसान विभिन्न मंडी बोर्डों में पंजीकृत कमीशन एजेंटों, जिन्हें आढ़तिया के नाम से जाना जाता है, से उधार पर पैसे लेते हैं। अगर सरकार इस नियम के बारे में शंकाओं को स्पष्ट नहीं करती है तो एजेंट पैसा अपने हाथ में ही रखेंगे और भविष्य में जब कभी भी इसकी सख्त जरूरत पड़ेगी तो वे किसी प्रकार से ऋण नहीं देंगे।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र में आल इंडिया किसान सभा ने केंद्र पर एफसीआई के बकाये का भुगतान न करने और हर गुजरते साल के साथ इसके बजट में कमी करते जाने का आरोप लगाया है। एआईकेएस के महासचिव, हन्नान मोल्लाह के अनुसार “भारत सरकार दावा करती है कि खाद्यान्न भण्डार के रख-रखाव की लागत काफी अधिक आ रही है। इसके अनुसार चावल के मामले में यह 37 रूपये प्रति किलो और गेंहूँ पर 27 रूपये प्रति किलोग्राम है। पिछले कई वर्षों से भारत सरकार ने एफसीआई के पूरे खर्चों का भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते एफसीआई के ऊपर कुल कर्ज आज की तारीख में 3.81 लाख करोड़ रूपये का हो चुका है। इस पर इसे आठ प्रतिशत से अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। इसके अलावा, पिछले कई वर्षों से एफसीआई के लिए बजट को भी कम कर दिया गया है। हाल के दिनों में एफसीआई ने फसलों की खरीद के मामले में भी अपने नियमों में बदलाव किया है, जिसके कारण बंटाईदारों के सामने कई दिक्कतें बढ़ने जा रही हैं। एफसीआई के खरीद केन्द्रों की संख्या को भी कम किया गया है।”

खाद्य अधिकार अधिनियम के तहत सरकार द्वारा जरुरतमंदों को भोजन मुहैया कराने के लिए राशन की खरीद करने के दायित्व की याद दिलाते हुए मोल्लाह ने कहा “हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भारत सरकार जिम्मेदार है और इसके लिए उसे खाद्यान्न की खरीद करने, मुश्किल घड़ी और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अनाजों का पर्याप्त भंडारण करने और गरीबों के बीच में अनाज वितरण और मुहैया कराने की जिम्मेदारी है, जिससे कि सुनिश्चित किया जा सके कि लोग भूखे नहीं सो रहे हैं। पिछले कई वर्षों से खाद्य सब्सिडी के लिए बजट आवंटन 1,15,000 करोड़ रूपये के आस-पास रुकी हुई है, और इस धनराशि तक को सरकार द्वारा पूरी तरह से खर्च नहीं किया जा पा रहा है। आज देश में 81.35 करोड़ की संख्या में पीडीएस लाभार्थी हैं, जिन्हें प्रति माह पांच किलो अनाज दिया जाता है। यदि पीड़ीएस को समाप्त कर दिया जाता है तो उन्हें खुले बाजार से खरीदने के बाध्य होना पड़ेगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली से तकरीबन 5 करोड़ टन खाद्यान्न को गरीबों के बीच में वितरित किया जाता है। जबकि नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में पहले से ही शहरी क्षेत्रों से 60% राशन कार्ड्स और ग्रामीण क्षेत्रों से 40% राशन कार्डों को कम करने के लिए कहा है। अगर गरीबों को खुले बाजार से खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है तो वे भुखमरी का शिकार हो जायेंगे और भूख से मरने वालों की संख्या काफी अधिक बढ़ सकती है। इससे सिर्फ घरेलू और विदेशी निजी कॉरपोरेट्स को ही फायदा होने जा रहा है।” 

इसी बीच एक अन्य घटनाक्रम में, दिग्गज गांधीवादी पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में मिट्टी सत्याग्रह का जत्था सोमवार को दिल्ली बॉर्डर पर पहुँच गया था। आंदोलन के हिस्से के तौर पर वे राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान विद्रोह के प्रसिद्ध स्थलों से मिट्टी लेकर पहुंचे थे। इस मिट्टी का इस्तेमाल उन किसानों की याद में शहीद स्मारक बनाने में किया जाएगा, जिन्होंने इस जारी किसान संघर्ष में अपनी जानें गंवाई हैं।

farmers protest
farmers distress
Farmers crisis
agrarian crisis

Related Stories

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

जीत कर घर लौट रहा है किसान !


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में करीब दो महीने बाद एक दिन में कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज
    07 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,805 नए मामले सामने आए हैं। देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 20 हज़ार से भी ज़्यादा यानी 20 हज़ार 303 हो गयी है।
  • मुकुंद झा
    जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!
    07 May 2022
    कर्मचारियों को वेतन से वंचित करने के अलावा, जेएनयू प्रशासन 2020 से परिसर में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा कर्मचारियों पर काम का भारी दबाव है। कर्मचारियों की…
  • असद रिज़वी
    केंद्र का विदेशी कोयला खरीद अभियान यानी जनता पर पड़ेगा महंगी बिजली का भार
    07 May 2022
    कोल इंडिया का कोयल लगभग रुपया 3000 प्रति टन है.अगर विदेशी कोयला जो सबसे कम दर रुपया 17000 प्रति टन को भी आधार मान लिया जाए, तो एक साल में केवल 10 प्रतिशत  विदेशी कोयला खरीदने से 11000 करोड़ से ज्यादा…
  • बी. सिवरामन
    प्रेस स्वतंत्रता पर अंकुश को लेकर पश्चिम में भारत की छवि बिगड़ी
    07 May 2022
    प्रधानमंत्री के लिए यह सरासर दुर्भाग्य की बात थी कि यद्यपि पश्चिमी मीडिया में उनके दौरे के सकारात्मक कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए उनके बैकरूम प्रचारक ओवरटाइम काम कर रहे थे, विश्व प्रेस स्वतंत्रता…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    सिख इतिहास की जटिलताओं को नज़रअंदाज़ करता प्रधानमंत्री का भाषण 
    07 May 2022
    प्रधानमंत्री द्वारा 400वें प्रकाश पर्व समारोह के मौके पर दिए भाषण में कुछ अंश ऐसे हैं जिनका दूरगामी महत्व है और बतौर शासक  देश के संचालन हेतु उनकी भावी कार्यप्रणाली एवं चिंतन प्रक्रिया के संकेत भी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License