NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अगले चार महीनों में राहुल और मोदी क्या कर सकते हैं?
पांच राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है।
परंजॉय गुहा ठाकुरता
13 Dec 2018
MODI RAHUL

उन लोगों के लिए जो नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित नहीं हैं, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा के चुनावों का नतीजा इससे बेहतर नहीं हो सकता था। इस चुनाव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को उनकी असली जगह या हैसियत बता दी है। उनके लिए अब अप्रैल-मई 2019 में होने वाले 17वें लोकसभा चुनावों की राह  संकटपूर्ण हो गई है। साथ ही, मंगलवार के नतीजे स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि कांग्रेस के लिए भी कोई बड़ी खुशी की बात नहीं है।

कई क्षेत्रीय दलों और वामपंथियों ने आशंका जताई कि यदि राजस्थान और मध्य प्रदेश में जो बड़े राज्यों में से हैं, देश की "भव्य पुरानी पार्टी" के लिए छत्तीसगढ़ की तरह व्यापक जीत हुई होती, तो कांग्रेस नेतृत्व घमंडी हो गया होता और उसमें यह विश्वास पैदा हो गया होता कि वह अगले आम चुनावों में अकेले ही जीत हासिल कर लेगा। इससे पार्टी के उन लोगों के लिए यह आसान हो गया होता जिन्होंने अभी तक गठबंधन की राजनीति के धर्म के साथ मेल नहीं बैठाया है ताकि राहुल गांधी को मौजूदा और संभावित घटकों और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के सहयोगियों के साथ साझेदारी के लिए कड़ी मशक्कत न करनी पड़ती। कांग्रेस को यह भी महसूस करना चाहिए कि बिना एजेंडा का अवसरवादी गठबंधन बेकार होता हैं और वह मज़बूत  गठबंधन को कमजोर कर सकता हैं - जैसा कि तेलंगाना में हुआ।

भाजपा और उसकी विचारधारात्मक माई-बाप, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए, आगे के विकल्प अपेक्षाकृत सीमित हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभियान और अयोध्या में राम मंदिर बनाने के उनके प्रयासों ने स्पष्ट रूप से काम नहीं किया है। संघ परिवार के भीतर के तथाकथित उदार तत्व निश्चित रूप से निजी तौर पर यह स्वीकार करेंगे कि वास्तविकता में  हिन्दी पट्‌टी के तीन राज्यों में मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण दो मुद्दे हैं: कृषि संकट और नौकरियों की अनुपस्थिति। और वे यह भी जानते हैं कि इन मुद्दों को हल करने के लिए अगले चार या पांच महीनों में कुछ नहीं किया जा सकता है, भले ही सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के महान गवर्नर की अध्यक्षता में बैंक पर "छापा" ही क्यों न मार दे और वोट-ऑन-अकाउंट (वार्षिक केंद्रीय बजट के बदले) से पहले किसानों, महिलाओं और युवा और छोटे उद्यम के लिए और अधिक भव्य योजनाएं घोषित क्यों न  कर दे, उससे खास तस्वीर बदलने वाली नहीं है।

साथ ही, बीजेपी और संघ परिवार हिंदू कट्टरपंथियों और गाय रक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकते हैं। यूपी के बुलंदशहर में और अन्य जगहों पर होने वाली इस तरह की अधिकतर घटनाओं में कानून-लागू करने वाले अधिकारियों पर बजाय सीधी कार्रवाई करने के मामलों को रफा-दफा करने के लिए दबाव होगा। इन घटनाओं का 2002 में गुजरात की तरह सांप्रदायिक दंगे में परिवर्तित होने की संभावना है। जनवरी में इलाहाबाद में हिंदुओं का सबसे बड़ा जमावड़ा अर्ध कुम्भ से महा कुंभ में बदल जाएगा। मोदी कभी भी आरएसएस प्रचारक के चोले को नही उतार पाएंगे जिसमें वे बड़े हुए हैं।

साथ ही, पार्टी की हिंदुत्व लाइन पर न सही लेकिन बीजेपी के भीतर दो व्यक्तियों के हाथों सत्ता  के अत्यधिक केंद्रीकरण और तीन हिंदी राज्यों में प्रतिकूल मतदान परिणामों के लिए जिम्मेदारी की वजह से मतभेद तेज और गहरे हो सकते हैं। बीजेपी यह भी जानती है कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी में चुनावी प्रदर्शन को दोहराना संभव नहीं होगा।

क्या मोदी और शाह जानते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना पैसा खर्च किया जाता है, इससे पार्टी के लिए पर्याप्त वोट नहीं खरीदे जा सकते हैं, भले ही धन प्राप्तकर्ताओं द्वारा धन को स्वीकार कर लिया जाए? शायद, नहीं। तो, इससे भगवा पार्टी का एक बड़ा हिस्सा अधिक लापरवाह हो जाएगा? इसकी बहुत बड़ी संभावना है। क्या ऐसी रणनीति के तहत पाकिस्तान के साथ तनाव को बढ़ाना शामिल होगा और कश्मीर घाटी में अशांति को इससे जोड़कर देखना  होगा? लगभग निश्चित रूप से ऐसा ही होगा।

ये बदलाव या परिणाम अपेक्षित लाइनों के साथ होंगे और कुछ आश्चर्यचकित करने वाले भी होंगे। हालांकि, यह संसदीय चुनावों के दौरान बीजेपी को किस हद तक लाभान्वित करेगा, यह एक खुला प्रश्न है। ऐसे में राजनीतिक माहौल का अधिक अशांत बनना निश्चित है। सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। सुधार होने से पहले चीजें ओर ज्यादा बदतर हो सकती हैं। तैयार रहो।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार हैं।)

Narendra modi
Rahul Gandhi
BJP
Congress
Assembly elections 2018
Assembly elections RESULT
Rajasthan
Madhya Pradesh
Chhattisgarh
Telangana
MIZORAM
General elections2019

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में फ़ैसला सुरक्षित
    06 May 2022
    अदालत ने बृहस्पतिवार को इस मामले की पोषणीयता पर फैसला सुरक्षित रखते हुए निर्णय सुनाने के लिए 19 मई की तिथि नियत की है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लंबे समय के बाद RBI द्वारा की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्या मतलब है?
    06 May 2022
    रेपो दरों में 40 बेसिस पॉइन्ट की बढ़ोतरी मतलब है कि पहले के मुकाबले किसी भी तरह का क़र्ज़ लेना महंगा होगा। अब तक सरकार को तकरीबन 7 से 7.5 फीसदी की दर से क़र्ज़ मिल रहा था। बैंक आरबीआई से 4.40 फ़ीसदी दर पर…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    WHO और भारत सरकार की कोरोना रिपोर्ट में अंतर क्य़ों?
    06 May 2022
    कोरोना में हुई मौतों पर डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट जारी की है, जो भारत सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट से बिल्कुल अलग है।
  • भाषा
    पंजाब पुलिस ने भाजपा नेता तेजिंदर पाल बग्गा को गिरफ़्तार किया, हरियाणा में रोका गया क़ाफ़िला
    06 May 2022
    भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि पंजाब पुलिस द्वारा बग्गा के पिता को पीटे जाने के आरोप में राष्ट्रीय राजधानी के जनकपुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है।
  • सारा थानावाला
    क्या लिव-इन संबंधों पर न्यायिक स्पष्टता की कमी है?
    06 May 2022
    न्यायालयों को किसी व्यक्ति के बिना विवाह के किसी के साथ रहने के मौलिक अधिकार को मान्यता देनी होगी। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License