NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बीसीआई सीजेआई के साथ, एससीबीए ने टिप्पणी से किया इंकार
बार काउंसिल आफ इंडिया ने कहा है, ‘‘यह सब झूठा और गढ़ा हुआ आरोप है...ऐसे आरोपों और कृत्यों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।’’
भाषा
20 Apr 2019
CJI Ranjan Gogoi
Image Courtesy: BBC.com

नई दिल्ली। बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) ने शनिवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के ‘‘गढ़े और झूठे’’ आरोपों की निंदा की और कहा कि बार काउंसिल उनके साथ और ‘‘संस्थान की छवि धूमिल करने’’ के इस प्रयास के खिलाफ खड़ा है।

बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह सब झूठा और गढ़ा हुआ आरोप है और हम इस तरह के कृत्यों की निंदा करते हैं। ऐसे आरोपों और कृत्यों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। यह संस्थान की छवि धूमिल करने का प्रयास है। पूरा बार भारत के प्रधान न्यायाधीश के साथ खड़ा है।’’

उन्होंने कहा कि रविवार को शीर्ष बार इकाई की एक आपातकालीन बैठक आहूत की जाएगी और इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

मिश्रा ने कहा, ‘‘हम प्रस्ताव पारित करेंगे और उसके बाद (बीसीआई के) निर्णय से अवगत कराने के लिए सीजेआई से मुलाकात करने का प्रयास करेंगे।’’

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश खन्ना ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वह शनिवार को इस मामले में असाधारण सुनवाई के दौरान मौजूद थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम मामले का हिस्सा नहीं हैं...अदालत के समक्ष कोई मामला नहीं है। मैं (विवाद पर) कोई साक्षात्कार नहीं दे रहा।’’

हालांकि एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि आगे का उचित मार्ग यह होगा कि उच्चतम न्यायालय के कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा एक समयबद्ध तरीके से ‘इनहाउस’ जांच करायी ताकि सच क्या है यह पता लग सके।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह झूठा आरोप है तो यह निश्चित तौर पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को एक खतरा है लेकिन यदि यह सच है तो भी यह बहुत गंभीर है।’’

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) बार एसोसिएशन ने भी प्रधान न्यायाधीश पर लगे आरोपों की निंदा की और कहा कि यह शीर्ष भारतीय न्यायपालिका को निशाना बनाने का एक प्रयास है और बार उनके समर्थन में खड़ी है।

एनजीटी बार एसोसिएशन पदाधिकारी गौरव कुमार बंसल ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम भारतीय न्यायपालिका को निशाना बनाने के इस प्रयास की निंदा करते हैं। इस तरह के आरोपों से निपटने के लिए एक बेहतर रास्ता निकालने की तत्काल जरुरत है। ऐसे आधारहीन आरोप किसी भी न्यायाधीश की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए पर्याप्त हैं...इस तरह से कोई भी किसी के भी खिलाफ आरोप लगा सकता है।’’

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने खिलाफ लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘‘अविश्वसनीय’’ बताते हुये शनिवार को उच्चतम न्यायालय में इस मामले की अप्रत्याशित सुनवाई की और कहा कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश का हाथ है और वह इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे नहीं गिरेंगे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सुर्खियों में आने के बाद जल्दबाजी में की गयी सुनवाई करते हुये उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में संयम बरतने और जिम्मेदारी से काम करने का मुद्दा मीडिया के विवेक पर छोड़ दिया ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं हो।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की विशेष पीठ ने करीब 30 मिनट तक इस मामले की सुनवाई की।

Supreme Court
CJI Ranjan Gogoi
sexual harassment
BCI
SCBA

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License