NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
हिमाचल : किसानों और बागवानों की मंडियों में शोषण की शिकायत, कार्रवाई की मांग
किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि यदि सरकार समय रहते उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो समिति किसान और बागवानों को संगठित कर आंदोलन करेगी। इसको लेकर 1 जून को नारकंडा में बैठक बुलाई गई है।
मुकुंद झा
27 May 2019
Himachal Kisan

हिमाचल के किसानों और बागवानों ने सरकार से विभिन्न मंडियों में की जा रही धोखाधड़ी व शोषण पर रोक लगाने के लिए तुरन्त प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। इन लोगों ने मार्किटिंग बोर्ड व एपीएमसी को एपीएमसी अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश देने की भी अपील की है। इसके साथ ही मांग की गई है कि प्रत्येक कारोबारी, आढ़ती,लदानी, खरीदार व अन्य सभी के इस अधिनियम के तहत लाइसेंस जारी किए जाएं तथा इनके कारोबार पर पूर्णतः नियंत्रण रखा जाए।

यह भी मांग की गई है कि किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद की समयबद्ध उचित कीमत सुनिश्चित की जाए। इसके लिए प्रत्येक खरीदार से सुरक्षा के रूप मे कम से कम 50 लाख रुपये की बैंक गारंटी अनिवार्यता लागू की जाए जाने की भी मांग की।

किसान संघर्ष समिति का कहना है कि आज प्रदेश के हजारों किसानों व बागवानों के सैकड़ों करोड़ रुपये का बकाया भुगतान आढ़तियों व खरीदारों ने कई वर्षों से करना है। परन्तु सरकार, मार्केटिंग बोर्ड व एपीएमसी की लचर कार्यप्रणाली से किसान व बागवान मण्डियों में शोषित व धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। बागवानों द्वारा बार-बार एपीएमसी व मार्केटिंग बोर्ड के पास शिकायत दर्ज करने पर भी दोषी आढ़तियों व खरीदारों पर कोई कार्रवाई नही की गई और इस लचर व्यवस्था के चलते धोखाधड़ी करने वाले ख़रीदारों व आढ़तियों की संख्या में वर्ष दर वर्ष वृद्धि हो रही है। 

अपनी फसलों के दाम के लिए संघर्ष कर रहे किसान

किसान संघर्ष समिति के सचिव संजय चौहान ने कहा की किसान को अपने ही पैसों की लिए दर दर की ठोकर खानी पड़ रही है। अन्ततः प्रभावित किसानों व बागवानों को दोषी आढ़तियों से अपने बकाया भुगतान के लिए पुलिस में शिकायत करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि यह दोषी आढ़ती अब बकाया भुगतान से तो बिल्कुल मुकर गए हैं साथ ही बागवानों को शिकायत करने पर जान से मारने तक कि धमकियां भी दे रहे हैं। 
आगे उन्होंने कहा कहा की इन शिकायतों पर पहले से ही माननीय उच्च न्यायालय ने भी कड़ा संज्ञान लिया है और पुलिस को 25अप्रैल, 2019 को डीएसपी के नेतृत्व में SIT गठित करने के आदेश जारी किए हैं। SIT को इसकी विस्तृत रिपोर्ट उच्च न्यायालय को देने के आदेश जारी किए गए हैं। अब 29 मई, 2019 को यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की जाएगी। 

इससे पहले करीब 100 बागवानों ने दोषी आढ़तियों के विरुद्ध ठियोग, कोटखाई, छैला, जुब्बल व नारकंडा पुलिस थाना में FIR कर मामले दर्ज किये हैं। इनमें से नवंबर, 2018 में ठियोग थाना में 17 बागवानों द्वारा दोषी आढ़तियों के विरुद्ध किये गए मामले में24 लाख का भुगतान कर दिया गया है। इस मामले में भी उच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लिया था और दोषी आढ़ती को तब तक जमानत नहीं दी जब तक कि बागवानों का भुगतान नहीं किया गया तथा दूसरे दोषी आढ़ती को एक माह तक जेल में बंद रखा तथा भुगतान करने के बाद ही रिहा किया गया। 

किसान संगठनों का कहना है कि यदि ठियोग में दर्ज FIR मे दोषी आढ़तियों पर कार्रवाई कर भुगतान करवाया जा सकता है तो अन्य मामलों में दोषी आढ़तियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, आज बागवानों के मन मे यह बड़ा प्रश्न पैदा हो रहा है। एपीएमसी तो पहले से ही संदेह के घेरे में रही है क्योंकि या तो यह संस्था शिकायत ही दर्ज नहीं करती है तथा यदि शिकायत दर्ज कर भी ले तो कोई भी कार्रवाई नहीं करती है। जिसका प्रमाण उन शिकायतों से मिलता है जो 2013 से एपीएमसी के पास आज तक लंबित पड़ी है और कोई कार्रवाई नहीं की गई।

किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि यदि सरकार समय रहते इन मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो किसान संघर्ष समिति किसानों व बागवानों को संगठित कर आंदोलन करेगी। इसको लेकर 1 जून, 2019 को नारकंडा में किसान संघर्ष समिति की बैठक आयोजित की गई है , जिसमें आगामी कार्यो पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।

Himachal Pradesh
apple
apple kisan
apple orchards
himachal farmers
farmers protest
farmer crises
farmers

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License