NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उपचुनाव के नतीजे: विभाजक राजनीति की हार
प्रबीर पुरुकायास्थ
17 Sep 2014

जनता ने भाजपा की विभाजक राजनीति को उपचुनावों में करारा जवाब दिया है।32 सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा को 13 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है।पहले 32 सीटों में से 26 पर भाजपा के नेता ही काबिज थे। उत्तर प्रदेश जहाँ सांप्रदायिक हिंसा अपने चरम पर है और भाजपा लगातार लव जिहाद  के माध्यम से और मदरसों को आतंकवाद का स्कूल घोषित कर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है, जनता ने यह सब सिरे से नकार दिया है।

उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर भाजपा ही काबिज थी और लोकसभा चुनावों में इन स्थानों पर भाजपा को भारी बढ़त भी मिली थी। पर उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने ८ सीटों पर जीत हासिल की और भाजपा के खाते में केवल ३ ही सीटें आई। अन्य राज्यों में भी भाजपा की नुकसान झेलना पड़ा है और वे कई ऐसी सीटें हार गए हैं जो वे पहले हुए चुनावों में जीत कर आए थे। राजस्थान और गुजरात, दोनों ही जगह उन्हें उन ३ सीटों पर हार का मुह देखना पड़ा है जो चुनाव से पूर्व उनके पास थी। केवल बंगाल में ही कहाँ दूसरी है। इसकी वजह तृणमूल का शारदा घोटाले में लिप्त होना साथ ही जमात के साथ गठबंधन है। तृणमूल द्वारा बंगलादेश में जमात को रूपए पहुँचाने से भाजपा को लाभ हुआ है।

सौजन्य:  flickr.com

राजस्थानऔर गुजरात यह साफ़ दिखा रहे हैं कि भाजपा की जो लहर लोकसभा में देखने को मिली थी, वह अब ख़त्म हो गई है। पर असली सीख यह मिली है कि सांप्रदायिक हिंसा और ध्रुवीकरण की राजनीति अब और नहीं चलेगी।एक तरफ मोदी जब अपने विदेशी दौरे पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय सोच का बखान और मीडिया की मदद से अपने 100 दिन पुरे होने का गुणगान कर रहे थे, वहीँ दूसरी तरफ ज़मीन पर भाजपा के कार्यकर्ता खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक निंदनीय सांप्रदायिक प्रचार कर रहे थे।

भाजपा ने मुख्य प्रचारक के रूप में अपने चार बार से सांसद और नफरत फैलने के लिए मशहूर आदित्यनाथ को पेश किया था।वह भाषण जिसमे आदित्यनाथ ने हर धर्मपरिवर्तन करने वाली एक हिन्दू लड़की के बदले 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करने की बात कही थी, तो मात्र एक नमूना था। इन्ही का अनुसरण भाजपा के अन्य बड़े नेताओं ने भी किया इसमें मेनका गाँधी प्रमुख हैं। मेनका गाँधी आपातकाल के समय संजय गाँधी के साथ काफी प्रसिद्द हुई थी पर आज वे पूरी तरह भाजपा के खेमे में हैं। उनका यह मानना है कि मांस का व्यापार आतंकवाद के बराबर है। और यह उनके हिसाब से काफी सरल इसलिए भी है क्योंकि मांस का व्यापार करने वाले अधिकतर अल्पसंख्यक ही होते हैं। यह पूरे कसाई समाज और इस पेशे पर ही हमला था। अमित शाह ने लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि भाजपा के सत्ता में आने पर वे इन सभी कसाई खानों को बंद करवा देंगे जिनके जरिये मुसलमान अमीर हो रहे हैं।उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज, जो एक और तथाकथीत भगवान् के दूत हैं, ने मदरसों को आतंकवाद की तालीम देने वाला स्थान बता दिया। 

भाजपा के अन्य बड़े नेता इन  सभी बयानों पर चुप्पी तान के बैठे रहे। क्योंकि उन्हें भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की तरह लगता था कि समुदायों के ध्रुवीकरण के कारण ही भाजपा को जीत मिलेगी।आखिरकार हिन्दू बहुमत में हैं और इनके ध्रुवीकरण से फायदा भाजपा को ही पहुँचाना है।अमित शाह ने इसी योजना पर चलते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज की थी। पर यह इस बार नहीं हुआ और भाजपा उन सीटों को भी हार गई जो उन्होंने पिछले चुनावों में भारी मतों के साथ जीती थी।

भाजपा यह मान कर बैठी थी कि एक तरफ जब मोदी अच्छे शासन का प्रचार कर रहे होंगे तब ज़मीन पर वह हिंदुत्व का प्रचार कर सभी हिन्दुओं के मत का ध्रुवीकरण करने में कामयाब रहेगी। संप्रदायिकता का जहर फैलाना, हिन्दू उया मुस्लिम से जुड़े किसी भी मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देना, अल्पसंख्यकों की आर्थिक स्थिति पर हमला करना, धर्मनिर्पेक्ष किताबों पर हमला करना तथा इन पर रोक लगाने की मांग आदि जैसे कई हथियार भाजपा लगातार समाज को बाटने के लिए इस्तेमाल करती रही है। और उनका आखिरी मकसद है इन दोनों समुदायों के बीच इतना ज़हर घोल देना कि वे एक दुसरे को शक की निगाह से देखें।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता ,जहाँ भाजपा का सांप्रदायिक प्रयोग  अपने चरम पर था,को अभी तो नकार दिया है। पर समाजवादी पार्टी अपनी जीत को इस तरह न देखे कि जनता उनकी नीतियों का समर्थन कर रही है। सुशासन की कमी, भाजपा के साम्प्रदायिक प्रचार को रोकने में असफलता और छोटे स्तर की अनेक हिंसा समाजवादी पार्टी और राज्य के लिए आंने वाले समय में बड़ी समस्या सिद्ध होगी। .

राजस्थान और गुजरात के नतीजों से यह भी साफ़ होगया है कि लोकसभा के नतीजे भाजपा की जीत नहीं बल्कि कांग्रेस की हार के सूचक थे। और यह हार आक्रामक नवउदारवादी और जनविरोधी नीतियों का अनुसरण करने के कारण मिली थी। मोदी को सही शासन  देने और बढ़ते  कठोर पूंजीवादी पर रोक लगाने वाले  व्यक्ति के तौर पर देखा गया था। पर सुशासन के नाम मोदी ने बड़ी बातों के सिवा और कुछ नहीं दिया है। जो चीज़ लगातार पोषित की जा रही है, वह है नवउदारवादी नीतियां, मजदूर विरोधी कानून, विनिवेश और संयुक्त भारत के ढांचे पर लगातार चोट।.

मोदी की माया धीरे धीरे ख़त्म हो रही है।किसी और प्रधानमंत्री ने चुनाव परिणामो का स्वरुप इतनी जल्दी बदलते नहीं देखा होगा। सुशासन के नाम पर विफलता, `विभाजक की छवि और लगातार सांप्रदायिक प्रचार जिसने समाज को बाटने का काम किया है, आदि के कारण ही ये नतीजे सामने आए हैं। जनता को अब सकारात्मक सोच की जरुरत है। और यह काम वाम एवं प्रगतिशील ताकतों को साथ मिलकर करना होगा। उन्हें एक ऐसी योजना देनी होगी जो सभी को साथ लेकर चले और सबके अधिकारों की बात करे न कि घृणा फैलाये।

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

विधानसभा चुनाव
भाजपा
साम्प्रदायिकता
लोकसभा
उपचुनाव
मुस्लिम
हिन्दू
आरएसएस
सांप्रदायिक ताकतें

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

एमपी गज़ब है!

बढ़ते हुए वैश्विक संप्रदायवाद का मुकाबला ज़रुरी

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा भी बोगस निकला, आप फिर उल्लू बने

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अविश्वास प्रस्ताव और विवादास्पद बिल: मानसून सत्र क्या गुल खिलायेगा, एक अवलोकन

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

'एक साथ चुनाव': हकीकत या जुमला

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध


बाकी खबरें

  • भाषा
    हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा
    02 Jun 2022
    भाजपा में शामिल होने से पहले ट्वीट किया कि वह प्रधानमंत्री के एक ‘‘सिपाही’’ के तौर पर काम करेंगे और एक ‘‘नए अध्याय’’ का आरंभ करेंगे।
  • अजय कुमार
    क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?
    02 Jun 2022
    सवाल यही उठता है कि जब देश में 90 प्रतिशत लोगों की मासिक आमदनी 25 हजार से कम है, लेबर फोर्स से देश की 54 करोड़ आबादी बाहर है, तो महंगाई के केवल इस कारण को ज्यादा तवज्जो क्यों दी जाए कि जब 'कम सामान और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 
    02 Jun 2022
    दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद केरल और महाराष्ट्र में कोरोना ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। केरल में ढ़ाई महीने और महाराष्ट्र में क़रीब साढ़े तीन महीने बाद कोरोना के एक हज़ार से ज्यादा मामले सामने…
  • एम. के. भद्रकुमार
    बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव
    02 Jun 2022
    एनआईटी ऑप-एड में अमेरिकी राष्ट्रपति के शब्दों का उदास स्वर, उनकी अड़ियल और प्रवृत्तिपूर्ण पिछली टिप्पणियों के ठीक विपरीत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    नर्मदा के पानी से कैंसर का ख़तरा, लिवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव: रिपोर्ट
    02 Jun 2022
    नर्मदा का पानी पीने से कैंसर का खतरा, घरेलू कार्यों के लिए भी अयोग्य, जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, मेधा पाटकर बोलीं- नर्मदा का शुद्धिकरण करोड़ो के फंड से नहीं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट रोकने से…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License