NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
ओला-उबर के ड्राइवर फिर से उन्हीं पुरानी समस्याओं का सामना कर रहे हैं
एक तरफ जहां क़र्ज़ में डूबे ओला-उबर के ड्राइवर की कमाई कम हो गई है वहीं दूसरी तरफ इन कंपनियों ने कंपनी के स्वामित्व वाले या प्लीट कार के ड्राइवर को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है।
प्रणेता झा
21 Mar 2018
ओला हड़ताल

कैब सेवा देने वाली कंपनी ओला-उबर के ड्राइवर ने अपनी मांग को लेकर मुंबई में एक बार फिर हड़ताल कर दिया है।

 

इस बीच दिल्ली सहित अन्य शहरों में ओला-उबर के ड्राइवर हड़ताल या विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।

 

यह समस्या वैसी ही जब इन कंपनियों को भारत में लॉन्च किया गया था (अमेरिकी कंपनी उबर की शुरूआत 2013 में भारत में की गई जबकि ओला की शुरूआता 2011 में की गई थी)। इन कंपनियों ने लाखों लोगों को विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से बेहतर बनने का सुनहरा सपना दिखाया था।

 

बड़ी संख्या में ड्राइवर को शुरूआती दिनों में ज़्यादा इनसेंटिव और अच्छे पैसे कमाने की क्षमता दिखाते हुए आकर्षित किया गया था। बताया गया था कि कोई भी एक लाख या इससे भी अधिक एक महीने में कमा सकता है। तब "ड्राइवर-पार्टनर" का एक आकर्षक मुखौटा था, वे उतना ही ड्राइव करेंगे जितना वे चाहते हैं साथ ही काम के समय में बेहद लचीलापन था। आप सभी को सिर्फ एक कार की ज़रूरत थी, और आप अपने काम के लिए अपनी शर्तों के अनुसार साइन अप कर सकते हैं।

 

लेकिन शर्तें इन कंपनियों द्वारा तय की गई जो वास्तव में जल्द ही सामने आ गया।

 

इस शुरुआती प्रलोभन ने इस व्यवसाय में प्रवेश करने वाले नए लोगों की भीड़ बढ़ाई। लोगों ने अपनी कम कमाई वाली नौकरी छोड़ दी, और ऋण पर कार खरीदी, कई लोगों ने इस काम के लिए उनके पास जो कुछ भी संपत्ति थी बेच दी। उन्होंने अपनी नई कारों को एक निवेश के रूप में देखा।

 

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन दिल्ली के अध्यक्ष कमलजीत गिल ने कहा, "कई लोग अपनी ज़मीन बेच चुके हैं, कई अन्य ने अपने घरों को गिरवी रख लिया है, यहां तक कि कार खरीदने के लिए लोगों ने अपने गहने गिरवी रख दिए और क़र्ज़ लिया।"

 

और फिर कुछ साल पहले जब इन कंपनियों ने बड़ी संख्या में चालकों को आकर्षित किया और शहर में किसी भी समय कहीं भी राइड को लेकर मध्यम तथा उच्च-मध्यम वर्गों में लोकप्रियता हासिल कर ली तो उबर-ओला ने एक बड़ा धमाका कर दिया।

इनसेंटिव को समाप्त कर दिया गया या भारी कटौती की गई, ज़्यादा से ज़्यादा यात्रियों को आकर्षित करने के लिए किराए में तेज़ी से कटौती की गई और कमीशन जिसे "ड्राइवर-पार्टनर" को कंपनी को भुगतान करना पड़ता था उसे बढ़ा दिया गया।

गिल ने कहा, "शुरुआत में वे क़रीब 15% कमीशन लगाते थे, जबकि ड्राइव इनसेंटिव और अन्य स्कीम के साथ-साथ 15-6 रुपए प्रति किलोमीटर के आसपास कमाई कर रहे थे,उदाहरण स्वरूप, एक निश्चित दूरी तय करने या राइड की निश्चित संख्या पूरा करने में। अब हम 6 रुपए प्रति किलोमीटर कमाते हैं लेकिन कमीशन 25% और 30% के बीच है वहीं इनसेंटिव में भी कटौती की गई है।"

"ऐसे में ज़्यादा कमीशन का भुगतान करने के बाद, सीएनजी के लिए भुगतान करना और फिर कार ऋण के लिए किश्तों का भुगतान करते हुए हमारे पास कुछ भी नहीं बचता है। ज़्यादातर ड्राइवर 500 रुपए से ज्यादा प्रतिदिन कुछ भी नहीं बचा पाते हैं। कई ड्राइवर तो अपनी किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ रहे हैं। वे अपने परिवार की परवरिश करते हुए अपने ऋण का भुगतान कैसे कर रहे हैं? बहुत से लोग बर्बाद हो गए हैं।"

साल 2017 से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बंगलौर सहित देश के विभिन्न शहरों में ओला और उबर के ड्राइवर द्वारा कई बार हड़ताल और विरोध किया गया है।

इसके अलावा अब "ड्राइवर-पार्टनर" अपेक्षाकृत नई समस्या का सामना कर रहे हैं। ओला-उबर ने अपने "फ्लीट" पार्टनर के स्वामित्व वाली कार या कंपनी के स्वामित्व वाली कार को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। इस मामले में जो सभी की ज़रूरत है वह है लाइसेंस वाले ड्राइवर की।

गिल ने कहा, "लगभग एक साल से इन कंपनियों ने इन फ्लीट कार के ड्राइवर को लगातार अधिक से अधिक लंबी राइड ड्यूटी देना शुरू कर दिया है। जबकि नॉन- फ्लीट कार के ड्राइवर को छोटी राइड दे रही है जिससे वे बहुत कम पैसे कमाई कर पाते हैं। वे इन कंपनियों को प्रति दिन करीब 1200 रुपए की एक निश्चित राशि के साथ 15% कमीशन देते हैं। लेकिन वे हम सभी से ज्यादा कमाई करते हैं।"

उन्होंने कहा कि दिल्ली में ओला-उबर ड्राइवर 23 मार्च को विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं और वे जल्द ही वे हड़ताल पर जाएंगे हालांकि अभी इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है। दिल्ली टैक्सी और टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के साथ-साथ एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर यूनियन द्वारा उन्हें समर्थन दिया जा रहा है।

गिल ने कहा कि लखनऊ, अहमदाबाद, चंडीगढ़, जयपुर और हैदराबाद सहित विभिन्न शहरों में ओला-उबर ड्राइवरों के यूनियन एक-दूसरे के संपर्क में थे और आगे की कार्रवाई की योजना बना रहे थे। वे मांग कर रहे हैं कि कमीशन किया जाए, भुगतान ज़्यादा किया जाए साथ ही इनसेंटिव और अन्य लाभ मिले। पिछले साल व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद ओला उबर ने "ड्राइवर-पार्टनर" के लिए दुर्घटना बीमा शुरू की थी।

 

ओला
उबर
ओला-उबर हड़ताल
सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन

Related Stories

असम में ओला-उबर ड्राइवर यूनियन का विरोध-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License