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ओमिक्रॉन: घबराने की नहीं, सावधानियां रखने की ज़रूरत है
विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया सूचना के मुताबिक़, यह साफ़ नहीं है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट समेत, पिछले वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैल सकता है या नहीं। फिर भी यह सुझाव है कि अब भी उतनी ही सावधानी रखी जाए, जितनी पुराने वैरिएंट के संक्रमण के समय रखी जा रही थी।
संदीपन तालुकदार
02 Dec 2021
covid
Image courtesy : NDTV

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन दुनिया के लिए नया सिरदर्द बन चुका है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से इसके बारे में चिंताएं जताई जा रही हैं। इन चितांओं के केंद्र में इसकी ज़्यादा संक्रामक क्षमता और वैक्सीन का इसके खिलाफ़ पर्याप्त प्रभावी ना होने जैसी बातें सामने आ रही हैं। इसके बारे में कुछ प्राथमिक जानकारी है, लेकिन कुछ पुष्ट और ठोस सबूतों का अब भी इंतज़ार है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया सूचना के मुताबिक़, अभी तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि ओमिक्रॉन, पिछले चिंताजनक वैरिएंट, जैसे डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ज़्यादा तेजी से फैल सकता है या नहीं। इसी तरह यह भी ठोस तौर पर नहीं बताया गया है कि इस वैरिएंट से ज़्यादा गंभीर बीमारियां होती हैं या नहीं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, दक्षिण अफ्रीका में पहली बार यह वैरिएंट सामने आया था, वहां अस्पतालों में भर्ती होने की दर बढ़ रही है। लेकिन वहां से भी अब तक यह साफ़ नहीं हुआ है कि मरीज़ों की यह बढ़ती संख्या कुल मरीज़ों की संख्या में हो रहे इज़ाफे से बढ़ रही है या फिर सिर्फ़ ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से ऐसा हो रहा है। इसी तरह मौजूदा वैक्सीनों की इस वैरिएंट के खिलाफ़ प्रभावोत्पादकता और इस वैरिएंट से दोबारा कोविड संक्रमण फैलने के बारे में तकनीकी विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं। 

इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में ख्यात वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर सत्यजीत रथ ने भी अपनी टिप्पणी में कहा है कि "पहली बात तो हमें यह माननी होगी कि हम अभी इसके बारे में बहुत ज़्यादा नहीं जानते। तो इसलिए किसी भी तरह के ठोस दावे, अंतिम नतीज़ों और उम्मीदें करना बेमानी होगी।" लेकिन इसके साथ ही रथ सावधानी रखने को बुद्धिमानी भरी नीति बता रहे हैं, आखिर पिछले दो सालों में महामारी ने हमें यही तो सिखाया है। 

ओमिक्रॉन में कुछ अनियमित विेशेषताएं भी हैं। रथ ने कहा, "वैरिएंट में कई सारे बदलाव (म्यूटेशन) आए हैं और इनमें से कई स्पाइक वाले हिस्से में हैं।” म्यूटेशन वह अनियमित बदलाव होते हैं, जो किसी भी जीव के डीएनए में होते हैं। आरएनए वायरस (जिसका अनुवांशकीय तत्व डीएनए के बजाए आरएनए हो) के मामले में म्यूटेशन की दर तेज होती है। लेकिन सभी बदलावों का असर नहीं होता, ज़्यादातर तो अनियमित बदलाव होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ बदलाव एक वायरस में कुछ विशेषताएं, जैसे ज़्यादा संक्रामक क्षमता, प्रतिरोधी तंत्र से जीतने की क्षमता, वैक्सीन पर हावी होने की क्षमता जैसी विशेषताएं पैदा कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में संबंधित वैरिएंट हमारे लिए दिलचस्पी वाला हो जाता है। 

 ओमिक्रॉन के कई सारे बदलाव स्पाइक प्रोटीन में मौजूद हैं। जिनका इस्तेमाल कोरोना वायरस किस मानव कोशिका से चिपकने और उसके भीतर जगह बनाने के लिए करता है। दिलचस्प है कि मौजूदा वैक्सीन मुख्यत: स्पाइक प्रोटीन को लक्षित करते हैं, ताकि हमें वायरस के हमले से सुरक्षित रखा जा सके। 

रथ ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया, “तो जब वैक्सीन द्वारा लक्षित हिस्से में म्यूटेशन होता है, तो इस बात की संभावना बन जाती है कि संबंधित वैरिएंट वैक्सीन से पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता को पार कर जाएगा। उदाहरण के लिए डेल्टा वैरिएंट में एक दर्जन से ज़्यादा बदलाव स्पाइक प्रोटीन में हुए थे, लेकिन इस नए वैरिएंट में इससे दोगुनी संख्या में बदलाव हुए हैं।”

यही वह बिंदु होता है, जिसमें हम लापरवाही और हड़बड़ाहट में फंस जाते हैं। यहां सवाल उठता है कि क्या वैक्सीन इस वैरिएंट पर काम करेगा या नहीं। “लेकिन हमें यह याद रखने की जरूरत है कि वैक्सीन के काम करने का तरीका हां या नहीं में नहीं होता। इस मोड़ पर अहम सवाल यह है, जैसा कुछ वैज्ञानिकों ने भी बताया है कि वैक्सीन गंभीर बीमारी या मौत के खिलाफ़ काम कर भी सकता है और नहीं भी कर सकता है।

रथ ने कहा, “जहां तक प्रतिरोधक क्षमता से वैरिएंट के पार पाने की बात है, तो यह ऐसा नहीं होता कि हर बार काम करेगा ही या नहीं ही करेगा। चूंकि ओमिक्रॉन वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन से संबंधित कुछ बदलाव हुए हैं, तो यह संभव हो सकता है कि मौजूदा वैक्सीनों की क्षमता में कुछ कमी आए। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुआ कि इनका कोई मतलब ही नहीं है। कम प्रभावोत्पादकता में भी इनका उपयोग बना रहेगा।”

लेकिन पहली बार जहां वैरिएंट पाया गया, वहां मामलों में तेज उछाल आया और इसमें बड़ी ओमिक्रॉन के मामलों की है। रथ ने कहा कि वैरिएंट के “आर-मूल्य” का एक मोटा अंदाजा लगाया गया है, जो काफ़ी ज़्यादा है। तो इसलिए संकेत मिला है कि इस वैरिएंट में तेजी से फैलने की क्षमता है। 

रिपोर्टों के मुताबिक़ ओमिक्रॉन वैरिएंट 20 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है। भारत में इसके फैलने की संभावना पर कुछ भी पुष्टि के साथ नहीं कहा जा सकता। 

रथ कहते हैं, “चूंकि भारत में छोटे स्तर पर सीक्वेंसिंग चल रही है, तो इसलिए तयशुदा तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में मौजूद है या नहीं। सिर्फ़ इतना कहा जा सकता है कि अभी तक इसकी पहचान नहीं हुई है।” 

सभी संभावनाओं को देखते हुए, अभी वक़्त नहीं है कि हम हड़बड़ाहट में आ जाएं। अब भी हमें मौजूदा सावधानियां, जैसे- मास्क, शारीरिक दूरी, भीड़ से दूरी जैसे उपाय तेज करना होगा, जिसके साथ-साथ निगरानी और जीनोम सीक्वेंसिंग तेज करनी होगी। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Omicron: Precautions, not Panic, are the Need of the Hour

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Omicron Vaccine Evasion
Immune Escape of Omicron
WHO Update

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