NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हमारा लोकतंत्र; दिल्ली से बस्तर: बुलडोज़र से लेकर हवाई हमले तक!
बस्तर के गांव वालों का आरोप है कि उनके ऊपर हवाई हमला किया गया है। इसपर चिंता जताते हुए मानवाधिकार कर्मियों ने सरकार से स्वतंत्र जांच कराने और ‘श्वेतपत्र’ जारी करने की मांग की है।
सीमा आज़ाद
04 May 2022
हमारा लोकतंत्र; दिल्ली से बस्तर: बुलडोज़र से लेकर हवाई हमले तक!
बीजापुर और सुकमा के दसियों गांवों के हज़ारों आदिवासी ने जमा होकर प्रदर्शन किया और अपने जल-जंगल-ज़मीन पर अपने अधिकार की रक्षा करने का संकल्प दोहराया।

20 अप्रैल को दिल्ली के जहांगीरपुरी में गैरकानूनी रूप से बुलडोजर भेजे जाने के लिए दिल्ली सरकार और केन्द्र की सरकार कठघरे में आ गयी थी। इसके कुछ ही दिन पहले मध्यप्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाके खरगोन में भी बुलडोजर चल चुका है। घरों को बुलडोज करने को इतना गौरवान्वित किया गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपना नाम ‘बुलडोजर बाबा’ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपना नाम ‘बुलडोजर मामा’ प्रचारित कर लिया। यह सत्ता के अमानवीय रूख को भी उद्घाटित करता है। जहांगीरपुरी और खरगोन की घटनायें पूरे देश में चर्चा का विषय बनी, लेकिन उसके एक सप्ताह पहले ही देश में इससे बड़ी, खतरनाक और नागरिक अधिकारों के लिए चिन्ताजनक घटना घटी, जिसके बारे में ‘मुख्य धारा’ के समाज को खबर तक न हो सकी।

आरोप है कि 14-15 अप्रैल की रात राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना करते हुए बस्तर के जंगलों में राज्य की पुलिस और भारतीय सेना द्वारा हवाई बमबारी की गयी। इतनी बड़ी और चिंताजनक घटना की रिपोर्टिंग अखबारों में बेहद सूक्ष्म स्तर पर की गयी। ज्यादातर लोगों को इसकी खबर तब लगी, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल, पीयूडीआर सहित कई संगठनों और एनी राजा, बेला भाटिया समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस पर चिन्ता जाहिर की और सरकार से इस सम्बन्ध में जवाब मांगा।

अपने साझे प्रेस बयान में मानवाधिकार संगठनों और व्यक्तियों ने कहा है कि अगर सरकार यह मानती है कि हवाई बमबारी की यह घटना माओवादियों का झूठा प्रचार है तो सरकार इस सम्बन्ध में स्वतंत्र जांच का आदेश दे और इस पर ‘श्वेतपत्र’ जारी करे।

रिपोर्टों के अनुसार 14-15 की रात में छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के मेट्टागुडेम, बोट्टेम, साकिलेर, पोट्टेमंगुम, सहित कई और गांवों में कथित तौर पर ड्रोन द्वारा घातक विस्फोटकों से बमबारी की गयी, जिसके निशान के रूप में गड्ढे और विस्फोटक सामग्री के अवशेष, तार वगैरह अब भी देखे जा सकते हैं। उस स्थान का जंगल भी जला हुआ है। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने रात में ज़ोर के धमाके की आवाज़ सुनी और जंगल से आग की लपटें उठती हुई दिखाई दीं।

पुलिस ने किसी ड्रोन या हवाई हमले से इंकार किया है, लेकिन वो गड्ढों और विस्फोटकों के अवशेषों का कोई जवाब नहीं दे पा रही है। गांव वालों का आरोप है कि यह उनके ऊपर किया गया हवाई हमला है।

इस क्षेत्र में हवाई हमले की यह दूसरी बड़ी घटना है। पिछले साल भी 19 अप्रैल को ऐसा ही एक हवाई हमला बस्तर के गांवों में हुआ था, जिसके प्रमाण गांव वालों ने पत्रकारों को दिखाये थे, लेकिन इस बार का हमला पिछली बार के हमले से बड़ा है और ऐसा लग रहा है भारतीय सरकार भारतीय वायुसेना को नागरिकों पर ऐसे हमलों के लिए तैयार कर रही है, जो कि गैरकानूनी ही नहीं सरकार के अलोकतान्त्रिक हो जाने की बड़ी पहचान है। मानवाधिकार संगठनों ने जारी किये गये बयान में सरकार से सवाल पूछा है कि वे बताये कि राज्य और केन्द्र की सरकारें किस कानून के तहत नागरिकों पर हवाई हमले कर रही है। बयान में कहा गया है कि ‘यदि छत्तीसगढ़ में घातक हथियारों के हवाई हमले की बात सही है तो सरकार जेनेवा कन्वेशन के ‘कॉमन आर्टिकल 3’ का उल्लंघन कर रही है, जिसके अनुसार कोई भी सरकार अपने नागरिकों के साथ अमानवीय तरीके से नहीं पेश आ सकती।’

बयान में यह भी कहा गया है कि ‘भारत को जेनेवा कन्वेशन के प्रोटोकाल 2 पर भी हस्ताक्षर करना चाहिए, जो कि नागरिक अधिकारों की सुरक्षा को और मजबूत करने की बात करता है।’

लेकिन अफसोस कि मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों की रक्षा की बात करने वाले संगठनों को ही सरकार कई बार आतंकवादी कह चुकी है।

इस हवाई हमले के खिलाफ बस्तर में 26 अप्रैल को एक बड़ा प्रदर्शन हुआ जिसमें बीजापुर और सुकमा के दसियों गांवों के हज़ारों आदिवासी जमा हुऐ। प्रदर्शन में आदिवासी नागरिकों ने जल-जंगल-जमीन पर अपने अधिकार की रक्षा करने का संकल्प दोहराया और उनके रहवासों में सेना की उपस्थिति पर विरोध जताया।

उल्लेखनीय है कि बस्तर के कई क्षेत्रों के नागरिक उनके इलाकों में सैन्य उपस्थिति के खिलाफ सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सैन्यीकरण कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इस सैन्यकरण के विरोध का सबसे बड़ा और तीखा आन्दोलन इस समय सिलगेर में चल रहा है। हाल ही में 30 मार्च को दिल्ली में आदिवासियों पर दमन के खिलाफ आयोजित एक सम्मेलन में सिलगेर के प्रतिनिधि ने भी सैन्य कैम्प के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में ‘मुख्यधारा’ के लोगों से मदद की अपील भी की। यहां के आदिवासी नागरिकों का कहना है कि सरकार उनके जंगलों पर कब्जा करने के लिए वहां कैम्प लगा रही है, सेना के जवान उनकी निजता, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का गम्भीर हनन करते हैं।

मानवाधिकार संगठनों के संयुक्त बयान में भी सरकार पर यह आरोप लगाया गया है कि सैन्य कैम्प वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, सुरक्षा बलों द्वारा निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है, महिलाओं का बलात्कार किया जा रहा है, जिसके मामले मानवाधिकार आयोग में भी दर्ज है। सरकारों को इन मामलों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, आन्दोलनरत आदिवासियों पर दमन की बजाय उनके साथ वार्ता करना चाहिए।

इसके साथ ही बयान में बस्तर के सैन्यकरण को तत्काल रोकने की भी मांग की गयी है।

जब भी सरकार के प्रतिनिधियों से इन आरोपों के सन्दर्भ में सवाल पूछा जाता है, उनका जवाब होता है ‘यह सब बस्तर से माओवादियों को खत्म करने के लिए किया जा रहा है।’

सरकार की व्यवस्था के खिलाफ ‘जनताना सरकार’ का विकल्प देने की बात करने वाले माओवादियों के विकल्प को छोड़ भी दिया जाय तो जंल-जंगल-जमीन की लूट की सरकारी लूट की बात पूरे देश के सन्दर्भ में सही है, जहां पर माओवादी अभी नहीं हैं, लेकिन प्राकृतिक संसाधन हैं, वहां पर सरकारें अपने बुलडोजर, कॉरपोरेट और पुलिस प्रशासन की सेना लेकर पहुंच रही है, लोगों पर जंगल-जमीन खाली करने के लिए दबाव डाल रही है, लालच दे रही है, दमन कर रही है। इसे देखते हुए सरकारी मंशा पर संदेह होना लाजिमी है। लेकिन इस मंशा के लिए नागरिक ठिकानों पर हवाई बमबारी की हद तक पहुंच जाना बेहद खतरनाक है और देश के लोकतन्त्र के लिए बहुत बुरा है। देश की सरकार आदिवासियों और मानवाधिकार संगठनों और देश के नामी-गिरामी सामाजिक कार्यकर्ताओं की इस अपील पर ध्यान देगी, अपने ही देश के नागरिकों पर हवाई हमलों पर रोक लगायेगी और इन क्षेत्रों के सैन्यीकरण पर भी रोक लगायेगी- इन सभी बातों पर सन्देह है। लेकिन देश की जनता अपना लोकतन्त्र बचाने के लिए आगे आयेगी, इसकी उम्मीद की जा सकती है।

(सीमा आज़ाद स्वतंत्र लेखिका हैं और “दस्तक नये समय की” पत्रिका की संपादक हैं।)

Delhi
Bulldozer
air strike politics

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?

बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License