यह व्याख्यान पैगाम-ए-आज़ादी नामक एक श्रृंखला का हिस्सा है। यह श्रृंखला, स्कूल फॉर डेमोक्रेसी और न्यूज़क्लिक की एक पहल है, जो भारत की स्वतंत्रता की 74 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए है और यह सभी स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित होगी, जिनका योगदान रहा है।
यह व्याख्यान पैगाम-ए-आज़ादी नामक एक श्रृंखला का हिस्सा है। यह श्रृंखला, स्कूल फॉर डेमोक्रेसी और न्यूज़क्लिक की एक पहल है, जो भारत की स्वतंत्रता की 74 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए है और यह सभी स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित होगी, जिनका योगदान रहा है।
स्वतंत्रता का सपना एक वास्तविकता है। यह विशेष संबोधन अरुणा आसफ अली पर केंद्रित होगा और श्री अनिल नौरिया द्वारा दिया जाएगा। अनिल नौरिया 1984 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकील हैं और 1970 के दशक से धर्मनिरपेक्षता और राज्य पर लेखन कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न पुस्तकों और पत्रिकाओं में लिखने के साथ-साथ भारत और विदेशों में कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है।
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