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पाकिस्तान: एक 'शांत' सैन्य तख्तापलट?
सौजन्य: फारुक तारिक
03 Sep 2014

अगस्त 30, 2014 – लिंक्स इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सोशलिस्ट रेनुवल - इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक इंसाफ (पीटीआई) द्वारा दावा और काउंटर दावा करने के बाद, मुल्ला ताहिर कादरी की पाकिस्तान अवामी तहरीक (पैट) और पाकिस्तान शासक पार्टी, मुस्लिम लीग नवाज (PMLN), में से  मध्यस्थता" या "सुविधा" के लिए पहली बार सेना प्रमुख से इन तीनों पार्टियों में से किसने संपर्क किया पाकिस्तान में लोगों का विशाल बहुमत इस बात पर हैरान हैI

देर रात 30 अगस्त को सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के साथ खान औरताहिर कादरी के बीच हुई बैठक को संसद के सदस्यों ने गंभीर रूप से आलोचना की और इसे PMLN सरकार की बड़ी कमजोरी बतायाI सरकार ने एक बड़ा बहाना बनाया कि "लंबे विरोध" करने वाली दोनों पार्टियों की इच्छा थी की वे सेना प्रमुख से मिलेI

20 अगस्त के बाद से पी.टी.आई और पी.ए.टी. के समर्थक संसद, प्रधानमंत्री निवास और पकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय, इस्लामाबाद की ओर जाने वाले मार्ग पर कब्ज़ा किये हुए हैं, दोनों दक्षिणपंथी पार्टियाँ ‘10 लाख लोगों’ को संगठित करने में नाकामयाब रहे जिसका कि उन्होंने मई 2013 के आम चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप में प्रधानमंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग करने के लिए जनता से वायदा किया थाI  

दावों और प्रति दावों के बावजूद, यह एक स्थापित तथ्य है कि सरकार ने ही दोनो विरोधी   नेताओं को सेना के साथ सीधा संपर्क करने की अनुमति दीI इन दोनों की  उम्मीद है और चाहते हैं कि मुख्य सड़क के उनके कब्जे के बाद एक सैन्य तख्तापलट हो जाएगा, और इसका सीधा प्रसारण सभी मुख्य वाणिज्यिक मीडिया 24 घंटे हर दिन टीवी पर दिखा रहे हैI यह नवाज सरकार की बेहद कमजोर लोकतांत्रिक साख को दिखाता हैI

वास्तव में, एक 'शांत' सैन्य तख्तापलट जगह ले चूका हैI सेना को अपनी खोयी जमीन वापस मिल गयी है क्योंकि मीडिया और सरकार उसे ‘व्यवस्था’ को बचानेवाले के रूप में पेश कर रहे हैंI पाकिस्तान की आजादी के 65 साल के भीतर 34 साल सेना का शासन रहा है, अंतिम सैन्य शासक, जनरल परवेज मुशर्रफ ने वकीलों और सबसे प्रबुद्ध राजनीतिक पार्टियों द्वारा उनके खिलाफ चलाये जन अभियान के बाद 2009 में सत्ता छोड़ी थीI

सेना अगर पूर्ण तख्ता पलट नहीं करती है फिर भी नवाज़ शरिफ सरकार को सेना की सभी शर्तों माननी होंगी, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता हालांकि संभावना कम हैI जनतान्त्रिक सरकार जिसने कि मुशर्रफ के खिलाफ कार्यवाही कर और भारत के प्रति शान्ति वार्ता की नीति पिछले एक साल से दिखाई थी और जोकि सेना के प्रभुत्व के विरुद्ध एक  स्वतंत्र कदम दिखाने की हिम्मत की थी को इन उपेक्षापूर्ण नीतियों का परित्याग करना पड़ सकता हैI

पी.टी.आई. और पी.ए.टी. द्वारा मुख्य सड़क का कब्जा विफल हो गया हैI यह पूरे पाकिस्तान में नहीं फैला हैI अपनी ताकत दिखाने की आखरी समय सीमा से वे दर्ज़नों बार आगे बढ चुके हैंI

इमरान खान की जन नागरिक अवज्ञा आन्दोलन की अपील का व्यापारियों और उद्योग जगत के बहुमत ने विरोध किया हैI उसकी पार्टी के करीब 30 संसद सदस्यों ने अपना इस्तीफ़ा जमा किया हैI हालांकि, खान की पार्टी द्वारा खेबर पुख्तून खावा बनायीं सरकार के किसी भी व्यक्ति ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है, एक दोहरी चाल जिसे पाकिस्तान की जनता ने पसंद नहीं किया हैI

खान ने १४ अगस्त को एक बड़ा जुलूस पुनः चुनाव की मांग करते हुए निकालाIउनका आरोप था कि पिछले चुनावों में बड़े स्तर पर धांधली की गई थीIयूँ तो पीटीआई के आज़ादी जुलूस ने कई लोगो को आकर्षित किया पर यह सोच की इसमें १,००,००० से अधिक लोग हिस्सा लेंगे, नाकाम रहीI यह बुरी तरह विफल रहाI कई प्रदर्शनकारीयो ने लाहौर में स्थित इमरान खान के घर से महंगी कारों में जुलूस की तरफ रुख कियाI

आज़ादी जुलूस , के ही साथ इंक़लाब जुलूस  भी चल रहा है जिसे पीएटी ने आयोजित किया हैI पीएटी एक धार्मिक राजनैतिक समूह है जो मुख्यतः शिक्षा और स्वास्थ क्षेत्र में कार्य करता है और साथ ही विश्व भर में अनेक धर्मार्थ संस्थानों से भी जुड़ा हैIसरकार ने “इंक़लाब जुलूस” को तभी अनुमति दी जब इसे दबाने के उनके सारे प्रयास विफल हो गएI पीएटी प्रमुख ताहिर कादरी ने इस व्यवस्था को और प्रगतिशील व्यवस्था से बदलने की बात कही हैIपीएम्एलएन सरकार द्वारा मजदूरों को गिरफ्तार करने, प्रांतीय राजधानी लाहोर और राष्ट्रिय राजधानी इस्लामाबाद की घेराबंदी करने की योजना सफल रहीI

वाम विचारधारा वाली आवामी मजदूर पार्टी ने पूंजीपतियों नेताओं और मुल्लाओ द्वारा आयोजित किए गए इन दोनों जुलूसों को सुधार विरोधी बताया हैI साथ ही मेहनकश वर्ग से इसमें हिस्सा न लेने का अनुरोध भी किया हैI दोनों जुलूसों की एकता इस लिए विभाजित रही क्योंकि कादरी और इमरान के बीच यह समझौता नहीं हो पाया की इन जुलूसों की अगुवाई कौन करेगाI

इस बीच में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ लगातार यह पूछ रहें है कि ये जुलूस किस लिए और हमारी गलती क्या है? उन्होंने यह सवाल १२ अगस्त को अपने टीवी में दिए गए भाषण में पूछाI

Iइमरान खान का कहना है कि मई २०१३ में हुए चुनावों में भारी धांधली हुई थी और इसलिए वे

विज्ञान’ विशेषज्ञों की नई सरकार चाहते हैंIहालकि उन्होंने इस पर तब पलती मार दी जब पीटीआई अध्यक्ष जावेद हासमी ने इसका हिस्सा बनने से मना कर दियाI

धांधली भरे चुनावों का मुद्दा थोड़ा ”विलम्ब” से उठाया गया है लगभग १४ महीने देरी सेI इस बीच में ख्य्बेर पुख्तून खावा में इमरान ने प्रांतीय सरकार बनाई और आज भी यहाँ सत्तारूढ़ हैंI

इमरान केन्द्रीय सरकार के साथ सहजता के  माहौल में थे और वे धार्मिक कट्टरपंथी समूह तहरीक ए तालिबान के साथ बातचीत कर रहे थेI यह बातचीत ज्यादा दूर तक इसलिए नहीं जा पाई क्योंकि जून २०१४ में सरकार ने तालिबान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही शुरू कर दीII

शुरुआत में इमरान का यह आरोप था कि इस कार्यवाही के बारे में सरकार ने उनसे कोई बात नहीं कीI पर बाद में यह भी खबर आई की आतंरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार को भी इसकी कोई सुचना नहीं थीI खान ने बेमन इस कार्यवाही का समर्थन करते हुए मदद की पेशकश कीIहमले के एक महीने के अन्दर ही इमरान ने यह घोषणा कर दी की  वे इस्लामाबाद तक जुलूस निकालेंगे और इस “भ्रष्ट सामंती” सरकार को हटायेंगेI पर आज भी अनेक चिन्तक इस जुलूस का असली मकसद नहीं समझ पाए हैंI

खान, जिन्होंने लगातार कट्टरपंथियों को रिझाने की कोशिश की है, आज फिर उसी रास्ते पर हैंI पर क्युंकी सैन्य कार्यवाही का सीधा विरोध संभव नहीं था इसलिए वे अब सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोलने में लगे हैंI

ध्यान देने की बात यह है कि पिछले चुनावों में पाकिस्तान पीपल पार्टी, आवामी नेशनल पार्टी और मुतहिदा कौमी के लोगो पर लगातार हमले हुएIपर पीटीआई और पीएम्एलएन पर कोई भी हमला नहीं हुआI यह तो साफ़ है कि इसकी वजह इन दोनों पार्टियों का कट्टरपंथियों के प्रति नर्म रवैया ही हैI

अब  दक्षिण पंथी ताकतें सत्ता में है, चाहे फिर प्रान्त में इमरान हो या केंद्र में शरीफI इमरान १४ महीने बाद केंद्र में भी सत्ता चाहते हैंI पर यह फैसला गलत समय पर लिया गया क्योंकि अभी पीएम्एलएन ने अपनी वह लोकप्रियता नहीं खोई है जो उसे पाकिस्तान पीपल पार्टी के २००८-२०१३ के बीच विफल होने पर मिली थीI

पीएटी और पीटीआई ने मौजूदा सरकार के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी की हैI दोनों ही जनता को रिझाने के लिए इंकलाबी शब्दों का प्रयोग कर रहे हैंI “आज़ादी” और “इंक़लाब” जुलूस इन नारों के असली अर्थ का अपमान कर रहे हैंI खान की पीटीआई को पकिस्तान के अमीर वर्ग का समर्थन हैं वहीँ पीएटी चाहती है की सत्ता धार्मिक राजनैतिक ताकतों के हाँथ में आ जाएI  यह पार्टियाँ आज इसलिए सफल है क्योंकि वर्तमान की शरीफ सरकार ने गरीबो के उत्थान के लिए कोई कदम नहीं उठायेII

मौजूदा सरकार नव उदार वादी नीतियों को तेजी से लागू करने में लगी हैI आईएम्ऍफ़ से ५बिलियन डॉलर लोन लेने के लिए मौजूद शर्तों की पूर्ति हेतु सरकार ने बिजली के दाम दुगने कर दिएI सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों का पूर्ण निवेश  मजदूर संगठनो और पार्टियों के विरोध के बावजूद भी घोषित कर दिया गया हैI

चुनाव में धांधली की खबर तो मात्र एक छलावा हैI उनका असली मकसद तहरीक ए तालिबान के खिलाफ चल रहे सैन्य कार्यवाही और मुशर्रफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया का विरोध करना हैI इसके जरिये वे अपनी प्रांतीय सरकार की कमजोरी भी छुपाना चाहते हैंI  

पर सवाल यह है कि इस्लामाबाद में चल रहे इस धरने के बाद क्या होगा? लाहौर न्यायलय ने इन्हें असंवैधानिक घोषित कर दिया हैI इमरान ने कहा है कि वे तब तक वापस नहीं लौटेंगे जब तक प्रधान मंत्री इस्तीफा नहीं देतेIताहिर कादरी और इमरान द्वारा बड़े वादे किए गए हैंI और दोनों ही सैन्य कार्यवाही की उम्मीद लगा कर बैठे हैं पर यह अभी संभव नहीं दिख रहीI  

इन दोनों विरोध प्रदर्शनों को सिंध और बलूचिस्तान का समर्थन नहीं है जिसकी वजह से सेना भी तख्तापलट नहीं करना चाहती हैI

सामजिक आन्दोलन, संगठन और मजदूर यूनियन सैन्य कार्यवाही का विरोध करेंगी  और मौजूदा सरकार अभी इतनी बदनाम नहीं हुई है की इसकी नौबत आएI

इमरान जल्दी में हैंI उनके “धांधली” वाले फार्मूला का बहुमत मान नहीं रहीI उनका समर्थ केवल पंजाब तक सीमित हैI उन्होंने पीएमएलएन सरकार के खिलाफ ख़राब विरोध प्रदर्शन खड़ा कियाI हालत और अलग होते अगर यह प्रदर्शन एक साल बाद किया जाताI  

फारूक तारिक आवामी वर्कर्स पार्टी के महासचिव हैंI

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

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