NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
पानी की समस्या और प्रधानमंत्री का ‘जल संरक्षण’ आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पानी की समस्या से जुड़ी चुनौती की जिक्र करते हुए लोगों से ‘जल संरक्षण’ आंदोलन चलाने की अपील की है लेकिन क्या इस विकट समस्या के लिए यह पर्याप्त है।
अमित सिंह
03 Jul 2019
पानी की समस्या और प्रधानमंत्री का ‘जल संरक्षण’ आंदोलन
सांकेतिक तस्वीर। सौजन्य: बीबीसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रांडिंग में माहिर हैं। किसी समस्या से निपटने के लिए भी वह ब्रांडिंग का सहारा लेते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में ‘मन की बात’ के पहले कार्यक्रम में कहा, ‘मेरा पहला अनुरोध है, जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया। आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें।’ 

उन्होंने कहा कि दूसरा अनुरोध यह है कि देश में पानी के संरक्षण के लिए जो पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं, उन्हें साझा करें। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयंसेवी संस्थाओं का और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी की जानकारी को #जलशक्ति4जलशक्ति के साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके। 

प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद चहुंओर उनकी तारीफ होने लगी। प्रधानमंत्री ने खुद इसे स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के बाद का अगला चरण बताया, हालांकि स्वच्छ भारत अभियान कितना सफल और फायदेमंद रहा, इस पर भी चर्चा ज़रूरी है। लेकिन यह मुद्दा आगे के लिए छोड़ते हुए आज पीने के पानी और भूमिगत जल से जुड़ी समस्याओं पर बात कर लेते हैं। 

पिछले ही हफ्ते लोकसभा से साझा किए केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार इस सरकारी संस्थान ने 6,584ब्लाक, मंडलों, तहसीलों के भूजल के स्तर का मुआयना किया है। इनमें से केवल 4,520 इकाइयां ही सुरक्षित हैं। जबकि1,034 इकाइयों को अत्यधिक दोहन की जाने वाली श्रेणी में डाला गया है। इसमें करीब 681 ब्लाक, मंडल, तालुका के भूजल स्तर में (जो कुल संख्या का दस फीसद है) अर्द्ध विकट श्रेणी में रखा गया है। जबकि 253 को विकट श्रेणी में रखा गया है। 

देश के चार फीसद इलाकों में भूमिगत जल का स्तर इतना गिर चुका है कि इसे 'विकट स्थिति' बताया जा रहा है। हद से ज्यादा भूजल का दोहन करने वाले राज्य हैं-: पंजाब (76 फीसद), राजस्थान (66 फीसद), दिल्ली (56 फीसद) और हरियाणा (54 फीसद) है।
यह आंकड़े सरकार के वर्ष 2013 के मूल्यांकन के आधार पर हैं। यानी पिछले छह सालों में जल की स्थिति क्या है इसके आंकड़े अभी सरकार के पास भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से अभियान चलाने का अनुरोध कर लेते हैं लेकिन उन विभागों पर सवाल नहीं उठाते हैं जिनके जिम्मे पानी मुहैया कराने और भूमिगत जल के रिचार्ज का काम हैं। 

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि जल संरक्षण के तौर-तरीकों को अमल में लाने के मामले में सरकारी तंत्र की भूमिका काफी निराशाजनक है। सरकारी तंत्र की ही ढिलाई के कारण देश के एक बड़े हिस्से में आम जनता चाह कर भी जल संरक्षण के काम में हिस्सेदार नहीं बन पाती। परिणाम यह होता है कि बारिश का अधिकांश पानी व्यर्थ चला जाता है।

हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जल संरक्षण को लेकर तमाम नियम-कानून पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन देखने में यही आता है कि वे कागजों तक ही अधिक सीमित हैं। 

ऐसे में प्रधानमंत्री जी, यदि आपको जल संरक्षण के कार्यक्रम को जन आंदोलन बनाना है तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करना ही होगा कि बारिश के जल को संरक्षित करने, पानी के दुरुपयोग को रोकने और उसे प्रदूषित होने से बचाने की जो योजनाएं जिस विभाग के तहत आती हैं वे अपना काम मुस्तैदी से करें। यह तभी सुनिश्चित हो पाएगा जब इन विभागों को जवाबदेह बनाने के साथ ही उनके कामकाज की सतत निगरानी भी की जाएगी। यह सक्रियता सतत नजर आनी चाहिए ताकि न केवल बारिश के जल का संरक्षण हो सके, बल्कि पानी की बर्बादी को भी रोका जा सके।

वैसे भी भारत आज भूमिगत जल पर आश्रित अर्थव्यवस्था बन गया है। दुनिया भर में जितना भूमिगत जल इस्तेमाल होता है उसका 25 प्रतिशत भारत में उपयोग होता है। भूमिगत जल के दोहन में हम अमेरिका और चीन से आगे हैं। 

नीति आयोग ने भी कहा कि भारत जिस ढंग से भूमिगत जल का उपयोग कर रहा है, उससे हम इतिहास के सबसे बड़े जल संकट की तरफ बढ़ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है पानी का सही प्रबंधन न होना और पर्यावरण की सुध न लेना भूमिगत जल का लगातार गहरे में उतरते जाना पर्यावरणीय कारणों से ज्यादा मनुष्यों के क्रियाकलापों का नतीजा है। 

एक समस्या यह भी है कि विभिन्न जल स्रोतों की सही तरह से देखभाल भी नहीं हो रही है। परंपरागत जल श्रोतों को बचाने का जो कार्यक्रम शुरू हुआ था वह कुछ ही स्थानों पर जैसे-तैसे आगे बढ़ता दिख रहा है। नि:संदेह इसकी वजह भी सरकारी तंत्र की शिथिलता ही है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर ने चेताया है कि नदी जल का 70 प्रतिशत बड़े स्तर पर प्रदूषित हो गया है। भारत की मुख्य नदी व्यवस्था जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, यमुना आदि बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी हैं। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कार्यकाल में भी गंगा की सफाई को लेकर तमाम वादे और दावे किए थे लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही रहा है। 

दरअसल आज हालात बदतर हो गए हैं। जल प्रदूषण एवं पीने लायक जल की घटती मात्रा एक बड़ी चुनौती बन चुका है। धरती पर जीवन के लिये जल सबसे जरूरी वस्तु है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान,उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। लेकिन पर्यावरण में असंतुलन के चलते हमें चेन्नई में सूखा और मुंबई में बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। 

वैसे भी अपने देश में साल भर में वर्षा से जो जल प्राप्त होता है उसका केवल आठ प्रतिशत ही संरक्षित हो पाता है। एक ऐसे समय जब पानी की कमी से प्रभावित होने वाले इलाकों की संख्या बढ़ती जा रही है तब इसके अलावा और कोई राह नहीं कि पानी बचाने और उसे संरक्षित करने के हरसंभव उपाय किए जाएं। इसे वाकई में जनअभियान बनाया जाए। पिछली तमाम योजनाओं और घोषणाओं की तरह यह सिर्फ सोशल मीडिया अभियान बनकर न रह जाए। 

इसके अलावा एक बड़ा सवाल हमारे विकास के मॉडल को लेकर भी है। अभी हमारे विकास में पानी के दोहन के साथ ही साथ बड़े पैमाने पर जल प्रदूषित भी किया जा रहा है। जनता के विशाल समर्थन के जरिये सत्ता में आई मोदी सरकार को एक ऐसे मॉडल पर भी विचार करना चाहिए जो पर्यावरण के लिए हितकारी हो।

Water crisis
Narendra modi
water scarcity in india
water
save water
Indian government
save water campaign
neeti aayog
BJP
biggest water crisis
world water scarcity

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License