NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
पिछले 3 सालों में रोज़ गाँधी की हत्या हो रही हैI हमने क्या किया?
कोई भी कभी भी गाँधी को कुछ भी कह देता हो चाहे वो कोई अमित शाह हो या काटजू हो. व्यक्तिगत आक्षेप विचार की हत्या की साजिश होता है....
विमल भाई
29 Dec 2017
killing of gandhi

खुला पत्र : गाँधी के नाम लेवाओं के नाम

विमल भाई

देश की कुछ प्रमुख गाँधी विचार संस्थाओं तथा प्रेरित जन ने वर्ष 2018 -  2019 को   'गाँधी 150' के रूप में जन- जन के बीच ले जाने का निर्णय किया है I देश भर को इस निर्णय का सन्देश देने के लिए  30 जनवरी, 2018 की तिथि तय की गई है I यानि फिर वही तिथियों पर जागना I पिछले 3 सालों में रोज़ गाँधी की हत्या हो रही है I हमने क्या किया?

इस खबर को पूरा पढ़ जेहन बहुत तितर बितर हुआ जा रहा है I तो जो कुछ भी मन में उठा वो सादगी से आपके सामने रख रहा हूँ I अब सिद्धराज ढडा जी जैसे लोग तो है नहीं जो एक पोस्ट कार्ड पर ही जवाब लिख कर भेज देंगे I पर फिर भी लिख तो देता ही हूँ I

मैं आपको यह खुला पत्र बहुत पीड़ा से लिख रहा हूं और संभवतः अपने जैसे कई लोगों के मन में भी यही पीड़ा होगी I

'गाँधी 150'  कार्यक्रम देने के लिए साधुवाद. पर ये बहुत कुछ प्रश्न खड़े करता हैI

शायद यह वह समय है जब देश में गांधी की विशेष जरूरत हैI 

याद रहे उनके सचिव प्यारे लाल जी के शब्दों में ही

“आजादी के समय हमने जहाज के पायलट को छोड़कर जहाज आगे बढ़ा लिया I "

गांधी जी को एक तरफ करके कांग्रेस के बड़े नेताओं ने सत्ता को ध्यान में रखते हुए सत्ता प्राप्ति के लिए उस कृशकाय बुजुर्गों को सिर्फ सलाह देने के लिए पास रखा I घर के बड़े बुजुर्ग का सम्मान तो देनाउनकी मजबूरी था ही जो दशको से सत्ता में रहे एक राजनीतिक दल ने बहुत समय तक निभाया I हम सब गांधी में विश्वास करने वाले लोग और गांधी को ना मानने वाले सत्ता पक्ष के लोग भी और गांधी के नाम से जुड़े राजनीतिक दल भी इस वर्ष कुछ ना कुछ भूमिका अदा करेंगे या फिर एक परंपरा रस्म अदायगी करेंगे I मगर प्रश्न यह है कि गांधी जिस सिद्धान्त के लिए शहीद हुए हम उसके लिए कुछ जमीनी काम करेंगे या वही चरखा चलाने व वैष्णव जन वाली रस्मी बैठकों का आयोजन करेंगे, सेमिनारों का आयोजन करेंगे, कुछ गांधी के जुड़े स्थानों से यात्राएं करेंगे वगैरा-वगैरा I जैसा कि किसी भी महान आत्मा थी किसी तरह के साल आदि मनाने के लिए किया जाता है I

किंतु अफसोस इस बात का है कि जो काम वह शक्तियां,जिन्होंने गांधी के शरीर की हत्या की और बाद में उनके बारे में गंदे प्रचार, उनके विचारों का खंडन, उनके बारे में अफवाहें, उनके जीवन के बारे में तोड़ मरोड़ कर आधारहीन बातें, उनकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह उठे ऐसे जुमले-लोकोक्तियां-कहावतें खूब बनाई और खूब प्रचारित की उसका कोई तार्किक उत्तर नहीं दिया गया I ना कोई रणनीति बनी जिसका परिणाम आज सामने है I

देश की हवाओ में जहर घुल गया है I ये प्रश्न खासकर गाँधी संस्थाओ और संगठनों के सामने है I चूँकि वे बिखरकर गाँधी के अहिंसा और रचनात्मक कामों को रूढ़ि की तरह से निभाने में व्यस्त रहीं , और बहुत से गाँधीजन स्वय के कठिन आदर्शों वाले जीवन को इतना महत्त्व देते रहे, उसमें ही व्यस्त रहे कि कोई नई पीढ़ी नहीं बन पाई. और गाँधी के शरीर के हत्यारों ने आज हवाओ मे सफलता पूर्वक जहर भर दिया I

गांधी के 11 व्रत को कुचलने का काम हो रहा है

और कि सत्ता गांधी विचार के तमाम विरोधियों को ताकत देने का काम कर रही है. गांधी के सत्य-अहिंसा-सांप्रदायिकता विरोध-संसाधनों का विकेंद्रीकरण यानि उनकी 11 व्रत, सभी को कुचलने का काम हो रहा है I एक्का दुक्का छोड़ दे तो कंही गाँधीजनों का संस्थाओ का कोई आक्रोश, आन्दोलन नजर नहीं आता I

गाँधी की शहादत, जो सांप्रदायिकता के विरोध मै एक समतामूलक सभी धर्मों को समान भाव से आदर देने वाले अखंड भारत के लिए थी उसको मात्र सफाई वाला गांधी के चित्र में समेत दिया गया है I  इस पर कोई आवाज़ नहीं आई. इस सफाई के प्रचार का जो पोस्टर है उसे आप ध्यान से देखें तो गांधी वापिस जाते दीखते हैं और सामने से चेहरा दिखता है वर्तमान के प्रधानमंत्री मोदी का. शब्दों का, चित्रों का, वाक्यों का, समय का, घटनाओं का दुरुपयोग और खेल कैसे खेला जाए वह शक्तियां भली भांति जानती हैं और करती हैं I

ये मात्र एक पोस्टर नहीं वरन आप मानिये कि ये गाँधी विचार का वर्तमान और भविष्य बनाया जा रहा है. कोई भी कभी भी गाँधी को कुछ भी कह देता हो चाहे वो कोई अमित शाह हो या काटजू हो I व्यक्तिगत आक्षेप विचार की हत्या की साजिश होता है I

साथ ही हमें आज यह स्वीकार करना होगा कि हमने वह काम नहीं किए जिसके लिए गांधी ने अपनी शहादत दी I हमने गांधी की हत्या के बाद अगर हम ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था को खड़ा करने में विफल रहे हैं तो साथ ही हम देश में सांप्रदायिकता के सवाल पर समाज में विषाक्त हवा को रोकने में बहुत कम रहे I

आज़ादी के बाद से ही काफी गांधी संस्थाएं तो सत्ता के साथ समझोते में खड़ी नजर आती है I परिस्थितियां बदली पर अपने में जड़ता आ गई. सांप्रदायिकता के सवाल पर, जो कि भारत की आजादी के समय से एक बड़ा सवाल बन कर सामने है, उस पर कोई ठोस काम नहीं हो पाया. वर्ना नाथू के मंदिर नहीं बनते I 1992 के बाद एक उभार जो खड़ा किया जा सकता था वो बाजी नाथू वालो ने मार ली I बाकि देश की परिस्थिति से आप वाकिफ होंगे उसमे शब्द नहीं व्यर्थ करूँगा I

तो क्या हम तैयार हैं? हम केवल रस्म अदायगी ना करके गांधी के इस विचार को कैसे खड़ा करें? इस पर चिंतन करेंगे? इस पर कुछ ठोस रणनीति लेकर लोगों के बीचजाएंगे? यह बहुत बड़ा प्रश्न हमारे सामने हैं I

 

 

 

 

 

Courtesy: हस्तक्षेप
Communalism
Fascism
Lynching

Related Stories

क्या ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है?

सफ़दर: आज है 'हल्ला बोल' को पूरा करने का दिन

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

अति राष्ट्रवाद के भेष में सांप्रदायिकता का बहरूपिया

क्या तमिलनाडु में ‘मंदिरों की मुक्ति’ का अभियान भ्रामक है?

ज्ञानवापी मस्जिद : अनजाने इतिहास में छलांग लगा कर तक़रार पैदा करने की एक और कोशिश

अयोध्या केस को गलत तरीके से हिंदू-मुस्लिम विवाद के तौर पर पेश किया गया: हिलाल अहमद

अविनाश पाटिल के साथ धर्म, अंधविश्वास और सनातन संस्था पर बातचीत

बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है ‘जय श्री राम’ का नारा : अमर्त्य सेन

चाँदनी चौक : अमनपसंद अवाम ने सांप्रदायिक तत्वों के मंसूबे नाकाम किए


बाकी खबरें

  • Lenin
    अनीश अंकुर
    लेनिन: ‘‘कल बहुत जल्दी होता... और कल बहुत देर हो चुकी होगी... समय है आज’’
    22 Apr 2022
    लेनिन के जन्म की 152वीं सालगिरह पर पुनर्प्रकाशित: कहा जाता है कि सत्रहवी शताब्दी की अंग्रेज़ क्रांति क्रामवेल के बगैर, अठारहवीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति रॉब्सपीयर के बगैर भी संपन्न होती लेकिन बीसवीं…
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,451 नए मामले, 54 मरीज़ों की मौत 
    22 Apr 2022
    दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को बूस्टर डोज मुफ्त देने का ऐलान किया है। 
  • पीपल्स डिस्पैच
    नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर
    22 Apr 2022
    जर्मनी, कनाडा, यूके, नीदरलैंड और रोमानिया उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन को और ज़्यादा हथियारों की आपूर्ति का वादा किया है। अमेरिका पहले ही एक हफ़्ते में एक अरब डॉलर क़ीमत के हथियारों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    सामूहिक विनाश के प्रवासी पक्षी
    22 Apr 2022
    रूसियों ने चौंकाने वाला दावा किया है कि, पेंटागन की जैव-प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए डिजिटलीकृत प्रवासी पक्षी वास्तव में उनके क़ब्ज़े में आ गए हैं।
  • रश्मि सहगल
    उत्तराखंड समान नागरिक संहिता चाहता है, इसका क्या मतलब है?
    21 Apr 2022
    भाजपा के नेता समय-समय पर, मतदाताओं का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने के लिए, यूसीसी का मुद्दा उछालते रहते हैं। फिर, यह केवल एक संहिता का मामला नहीं है, जो मुसलमानों को फिक्रमंद करता है। यह हिंदुओं पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License