NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रधानमंत्री के हाथों 'विस्थापन का शिलान्यास'
झारखंड में 5 जनवरी को जिस मंगल डैम परियोजना का नया शिलान्यास कार्यक्रम हुआ, उसकी शुरुआत तो 1972 में ही हो गयी थी लेकिन डैम से होने वाले नुकसान को देखते हुए न तो पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी अनुमति दी और न वन विभाग ने एनओसी। दूसरी ओर, स्थानीय विस्थापित किसानों व आदिवसियों के बढ़ते भारी विरोध के कारण अंततः इसका निर्माण कार्य स्थगित हो गया था।
अनिल अंशुमन
09 Jan 2019
सांकेतिक तस्वीर

चालू कहावत है – जब साख लगती है घटने, तो खैरात लगती है बंटने... 5 जनवरी को अपने मैराथनी दौरे के क्रम में प्रधानमंत्री जी द्वारा झारखंड के पलामू पहुँचकर मंगल डैम समेत 6 सिंचाई परियोजनाओं के शिलान्यास करने को, कुछ ऐसा ही समझा गया। क्योंकि तीन प्रमुख राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुरूप झारखंड में भी वही आसार बन रहें हैं। किसानों के विकास के नाम पर होने वाले इस कार्यक्रम को विपक्ष ने चुनावी स्टंट करार दिया। लोगों में भी यही चर्चा रही कि शिलान्यास कार्यक्रम सिर्फ बहाना है और चुनावी तैयारी कराना है। राजनीति के जानकारों ने तो इसे राज्य पार्टी इकाई के लिए प्रधानमंत्री का ‘डैमेज़ कंट्रोल’ कार्यक्रम भी बताया। जिसके जरिये हाल में सम्पन्न हुए कोलेबीरा समेत राज्य विधानसभा उपचुनावों की अधिकांश सीटों पर पार्टी को मिली भारी पराजय से राज्य के नेता–कार्यकर्ताओं के पस्त मनोबल को दुरुस्त करना था। साथ ही हार के नतीजों से प्रदेश मुख्यमंत्री की गिरती हुई साख और पार्टी संगठन के अंदर विरोधी गुट के गहराते असंतोष के सार्वजनिक होने को भी मैनेज करना ज़रूरी था। इसीलिए इस ‘डैमेज कंट्रोल’ कार्यक्रम से प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को ‘ऊर्जावान नेता’ घोषित कर राज्य पार्टी के नेता–कतार को साफ संकेत दे दिया कि वे अभी भी ‘हाईकमान’ की पसंद हैं। सार्वजनिक भाषणों में जनता से विपक्ष के झांसे में न आकर ‘न्यू इंडिया’ और ‘न्यू झारखंड’ के विकास में साथ देने की अपील की गयी। बावजूद इसके इस शिलान्यासी दौरे ने इतना तो संकेत दे ही दिया कि पलामू क्षेत्र के किसानों की याद क्यों आयी। जबकि 2014 से ही वे लगातार झारखंड आ रहें हैं।  

बहरहाल, कार्यक्रम था क्षेत्र में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के शिलान्यास का और हुआ भी। लेकिन विकास के नाम पर विपक्ष को ही निशाना बनाया गया। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में राज्य के किसानों की बदहाली का सारा ठीकरा विपक्ष पर फोड़ते हुए कहा कि ‘ये लोग अगर ठीक से काम किए होते तो आज यहाँ के किसान परेशान नहीं होते। ये किसानों को वोटबैंक समझते हैं लेकिन हमारे लिए तो किसान अन्नदाता हैं।’ मजेदार यह रहा कि विपक्ष को कोसने की जल्दबाजी में वे यह भी भूल गए कि झारखंड राज्य गठन के 18 वर्षों में सबसे अधिक समय तक उनकी ही पार्टी शासन में रही है। जिसके खिलाफ बढ़ते जनविक्षोभ का ही परिणाम है हाल के प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के नतीजे।

मंगल डैम 2.PNG

5 जनवरी को जिस मंगल डैम परियोजना का नया शिलान्यास कार्यक्रम हुआ, उसकी शुरुआत तो 1972 में ही हो गयी थी जिसे 1993 तक पूरा हो जाना था। सघन जंगल क्षेत्र होने के कारण डैम निर्माण से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने अनुमति नहीं दी और वन विभाग ने भी एनओसी नहीं दिया। दूसरी ओर, स्थानीय विस्थापित किसानों व आदिवसियों के बढ़ते भारी विरोध के कारण अंततः इसका निर्माण कार्य स्थगित हो गया था।

क्षेत्र के लोगों की जीवनदायीनी उत्तरी कोयल नदी पर पर्यावरण और व्यापक जनजीवन को विस्थापित कर रहे मंगल डैम परियोजना का विरोध इस क्षेत्र के व्यापक आदिवासी व किसान शुरू से ही कर रहें हैं। 80 के दशक में तो इसके खिलाफ ‘जेल भरो’ तक का जोरदार आंदोलन हुआ था। परियोजना के डूब क्षेत्र में आनेवाले दर्जनों गांवों के 1600 से भी अधिक हो रहे विस्थापित परिवारों कि मांगों और ज़मीन अधिग्रहण के संवैधानिक प्रावधानों को ठेंगा दिखाकर डैम का निर्माण कार्य चुपचाप शुरू कर दिया गया। विस्थापित परिवारों के लोगों को नौकरी और उचित मुआवजा राशि दिये जाने इत्यादी मांगों पर कोई संज्ञान के लिए दौड़ते रहे। पुनर्वास को लेकर भी लोगों को सरकार पर विश्वास नहीं है। क्योंकि इसके पूर्व की ऐसी ही सभी परियोजनाओं में विस्थापित हुए हजारों हज़ार लोगों को आजतक समुचित ढंग से पुनर्वासित किया गया। जिनमें से अनेक परिवार को तो हमेशा के लिए पलायन करके जाना पड़ गया। विस्थापित आदिवासी समुदाय के लोगों का कड़ा विरोध इस बात को लेकर भी है संवैधानिक प्रावधानों के तहत इस परियोजना के लिए उनकी ग्राम सभा से कोई सहमति नहीं ली गयी है। इसीलिए 5 जनवरी को प्रधानमंत्री का आगमन सुनकर इस इलाके के सभी ग्रामीणों–आदिवासियों ने सीधे उन्हीं को ज्ञापन देने की घोषणा कर दी। इनके समर्थन में विपक्षी दलों ने भी धरना और प्रतिवाद यात्रा निकाली। लेकिन 4 जनवरी को ही प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने आ रहे सभी लोगों और विपक्षी दलों की विरोध यात्रा को डाल्टनगंज में घुसने से पहले ही गिरफ्तार कर रोक लिया गया। उधर, प्रधानमंत्री के शिलान्यास कार्यक्रम के विरोध की घोषणा से हड़बड़ाए मुख्यमन्त्री महोदय ने प्रशासन के जरिये सनक भरा फरमान जारी करवा दिया कि कार्यक्रम स्थल पर काला जूता पहनकर आने, काला पर्स-रुमाल व शर्ट–पैंट–कोट समेत काले रंग की हर वस्तु के लाने पर रोक रहेगी। 

शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में सन् 1857 के महासंग्राम में पलामू के शहीद नायक निलांबर–पीताम्बर को याद तो किया लेकिन उसी परियोजना में इन शहीदों के ऐतिहासिक जन्मस्थान धरोहर के जलमग्न होकर नष्ट होने से बचाने की मांग को कोई महत्व नहीं दिया। डैम निर्माण से प्रभावित किसानों–आदिवासियों के विस्थापन संकट दूर करने की बजाय डैम के निर्माण को प्रदेश में विकास का मील का पत्थर बनाने की घोषणा करते हुए विस्थापन का नया शिलान्यास कर दिया। 

Jharkhand
Jharkhand government
mangal dam
Narendra modi
BJP
Raghubar Das

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License