NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
प्रेस कौंसिल की मौत हो गई
मुझे लगता है कि प्रेस कौंसिल की मौत हो चुकी है। इसलिए एक मिनट का मौन रखें।
दिलीप मंडल
13 Feb 2017
प्रेस कौंसिल की मौत हो गई

यूपी की जिन 73 सीटों पर आज वोट डाले गए, वहां तीन प्रमुख अखबार हैं। दैनिक जागरण, अमर उजाला और दैनिक हिंदुस्तान। IRS के आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि यहां अख़बारों के 90% से ज्यादा पाठक इन्हीं तीनों अख़बारों को पढ़ते हैं।

11 फ़रवरी, 2017 को जब इन इलाक़ों के लोग सुबह उठे और अखबार खोला तो उनमें से हर एक ने पहले पन्ने पर बिजनौर में सांप्रदायिक हिंसा की खबर पढ़ी होगी। तीनों अख़बारों ने इसे छापा है। मैं आपको मेरठ का अखबार दिखा रहा हूं। जागरण के iNext की फोटो देखें।

 

 

वैसे बिजनौर में अगर एक आदमी मारा गया, तो उसकी खबर जहां चुनाव हो रहे हैं, वहां पहले पन्ने पर छापी ही जा सकती है। इसमें दिक़्क़त क्या है? मेरठ का अखबार मेरठ की हत्या की खबर अंदर छापे और बिजनौर की हत्या को पहले पन्ने पर, यह तो उनका संपादकीय अधिकार है। लेकिन इन तीनों अख़बारों की खबरों में एक बडी दिक़्क़त है। तीनों अख़बारों में मरने वाले और मारने वाले का नाम है।

प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया के दिशानिर्देशों के तहत सांप्रदायिक हिंसा के मामले में नाम छापने की मनाही है। प्रेस कौंसिल की वेबसाइट पर जाकर उसकी गाइडलाइंस का अनुच्छेद 20 पढिए। मरने वालों या घायलों का नाम लिखने से मना किया गया है।

“Giving community-wise figures of the victims of communal riot, or writing about the incident in a style which is likely to inflame passions, aggravate the tension, or accentuate the strained relations between the communities/religious groups concerned, or which has a potential to exacerbate the trouble, shall be avoided.”

लेकिन प्रेस कौंसिल होता कौन है अख़बारों को बताने वाला कि अखबार किस तरह खबर छापेंगे? तो अनपढ़ पत्रकारों और कुपढ़ संपादकों को ज्ञात हो कि प्रेस कौंसिल संसद से पारित अधिनियम से स्थापित संस्था है। Press Council of Act 1965 और 1978 पढिए। उसे अधिकार है कि वह अख़बारों के लिए दिशानिर्देश बनाए। संसद ने उसे अख़बारों के नियमन की ज़िम्मेदारी सौंपी है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज इसके अध्यक्ष होते हैं।

अब वह दिशानिर्देश बनाकर सो चुका है, तो यह उसकी गलती है। हो सकता है कि सो रहा हो। मुझे लगता है कि प्रेस कौंसिल की मौत हो चुकी है। इसलिए एक मिनट का मौन रखें।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं दलित चिंतक हैं)

Courtesy: सबरंग इंडिया
उत्तर प्रदेश
प्रेस कौंसिल
भाजपा
दैनिक जागरण
अमर उजाला

बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 
    24 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में 20 फ़ीसदी से ज़्यादा की कमी आयी है, लेकिन पिछले एक सप्ताह के भीतर स्ट्रेन BA.4 और BA.5 के दो-दो मामले सामने आ चुके है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?
    24 May 2022
    डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’ से रविवार को सम्मानित किया। यूनियन ने अंतरष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिलने पर ख़ुशी जताई तो वही केंद्र सरकार पर शोषण का आरोप…
  • भाषा
    बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा
    24 May 2022
    पंजाब में साहिबजादा अजित सिंह नगर (एसएएस नगर) के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) मनप्रीत सिंह की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और बग्गा को नोटिस जारी किया है। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    CSTO को यूक्रेन युद्ध में शामिल नहीं किया जाएगा
    24 May 2022
    मध्य एशिया के किसी भी नेता ने सार्वजनिक रूप से नहीं क़बूला है कि यूक्रेन युद्ध के बारे में सीएसटीओ कोई तत्काल चिंता का विषय है।
  • एस.के. पांडे
    किसकी मीडिया आज़ादी?  किसका मीडिया फ़रमान?
    24 May 2022
    जिस तरह भारत प्रेस की आज़ादी की रैंकिंग में फ़िसलता जा रहा है, वैसे में डराने-धमकाने और अधिकारों के हनन के बढ़ते मामलों के साथ मीडिया की आज़ादी के साथ-साथ यूनियनों के गठन की स्वतंत्रता को बचाने की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License