NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
प्रो. आनंद तेलतुंबडे रिहा, अदालत ने पुलिस की कार्रवाई को अवैध बताया
दलित बुद्धिजीवी व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी को लेकर पुणे पुलिस को भारी झटका लगा है। पुणे के सेशन कोर्ट ने प्रो. आनंद तेलतुंबडे को रिहा करने के आदेश दिए हैं।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Feb 2019
प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे

दलित बुद्धिजीवी व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी को लेकर पुणे पुलिस को भारी झटका लगा है। पुणे के सेशन कोर्ट ने प्रो. आनंद तेलतुंबडे को रिहा करने के आदेश दिए हैं। अदालत के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा के मुताबिक प्रो. आनंद को रिहा कर दिया जाए।

आपको बता दें कि पुणे पुलिस ने शनिवार तड़के मुंबई हवाईअड्डे से प्रो. आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तार किया था। उन्हें तड़के करीब 3.30 बजे छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के घरेलू टर्मिनल से गिरफ्तार किया गया।

दरअसल भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे सत्र न्यायलय ने शुक्रवार 1 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने तेलतुंबडे को उचित अदालत में जमानत के लिए आवेदन करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। जिसके बाद, उन्होंने पुणे की सत्र न्ययालय में एक आवेदन किया था, जहां सुनवाई 28 जनवरी को शुरू हुई, और तीन दिनों तक जारी रही।

गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पढ़ाने वाले तेलतुंबडे पर प्रतिबंधित 'कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया' (माओवादी) और साथ ही यलगार परिषद के साथ संबंध रखने का आरोप है जिसे कथित तौर पर पुणे में कोरेगांव-भीमा में एक जनवरी, 2018 हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।

इससे पहले, इस मामले में जून के महीने में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- शोमा सेन, महेश राउत, सुरेंद्र गडलिंग, रोना विल्सन और सुधीर धवले को गिरफ्तार किया गया था। फिर, जुलाई और अगस्त के महीनों में,सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसाल्वेस और वरवर राव को गिरफ्तार किया गया।

प्रो. आनंद तेलतुम्बडे की गिरफ्तारी की देशभर के बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कवि-लेखकों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई  और सभी ने इस गिरफ्तारी की निंदा की। सभी का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उनके पास 11 फरवरी तक का समय था तो ऐसी क्या जल्दी थी कि उन्हें तड़के इस तरह चोरी-छिपे गिरफ़्तार किया गया। अदालत ने भी सुप्रीम कोर्ट की मोहलत को संज्ञान में लेते हुए प्रो. आनंद की गिरफ्तारी को अवैध बताया और सत्र न्यायलय ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए पुलिस कि करवाई को सुप्रीमकोर्टआदेश का उलंघन बतया है |

 

 

 

 

Anand Teltumbde
Arrests of Activists
Bhima Koregaon
Pune Police
Supreme Court
illegal arrest

बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं
    17 May 2022
    निर्मला सीतारमण ने कहा कि महंगाई की मार उच्च आय वर्ग पर ज्यादा पड़ रही है और निम्न आय वर्ग पर कम। यानी महंगाई की मार अमीरों पर ज्यादा पड़ रही है और गरीबों पर कम। यह ऐसी बात है, जिसे सामान्य समझ से भी…
  • अब्दुल रहमान
    न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध
    17 May 2022
    फिलिस्तीनियों ने इजरायल द्वारा अपने ही देश से विस्थापित किए जाने, बेदखल किए जाने और भगा दिए जाने की उसकी लगातार कोशिशों का विरोध जारी रखा है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: चीन हां जी….चीन ना जी
    17 May 2022
    पूछने वाले पूछ रहे हैं कि जब मोदी जी ने अपने गृह राज्य गुजरात में ही देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की मदद से स्थापित कराई है। देश की शान मेट्रो…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजद्रोह मामला : शरजील इमाम की अंतरिम ज़मानत पर 26 मई को होगी सुनवाई
    17 May 2022
    शरजील ने सुप्रीम कोर्ट के राजद्रोह क़ानून पर आदेश के आधार पर ज़मानत याचिका दायर की थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 मई को 26 मई तक के लिए टाल दिया है।
  • राजेंद्र शर्मा
    ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!
    17 May 2022
    सत्तर साल हुआ सो हुआ, कम से कम आजादी के अमृतकाल में इसे मछली मिलने की उम्मीद में कांटा डालकर बैठने का मामला नहीं माना जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License