NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रो. नंदिनी और अन्य का खुला पत्र : हमें आशा है कि सैकड़ों निर्दोष आदिवासियों को भी जल्द न्याय मिलेगा
“हम खुश हैं कि शामनाथ बघेल की हत्या के प्रकरण में छत्तीसगढ़ पुलिस ने आरोप पत्र से हमारा नाम हटाया है। हमें आशा है कि सैकड़ों निर्दोष आदिवासी और वे सभी, जो फर्जी मुकदमों में जेलों में हैं, उन्हें भी जल्द ही न्याय मिलेगा।”
13 Feb 2019
Nandini Sundar
Image Courtesy: hindustantimes.com

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की पूर्व रमन सरकार के समय में एक हत्या के मामले में आरोपी बनाए गए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, जेएनयू की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, संजय पराते, विनीत तिवारी व अन्य ने इस मामले में आरोप पत्र से अपना नाम हटाए जाने के बाद 12 फरवरी को एक संयुक्त बयान जारी किया है।

पूरा बयान इस प्रकार है : -

"हम खुश हैं कि शामनाथ बघेल की हत्या के प्रकरण में छत्तीसगढ़ पुलिस ने आरोप पत्र से हमारा नाम हटाया है। हमें आशा है कि सैकड़ों निर्दोष आदिवासी और वे सभी, जो फर्जी मुकदमों में जेलों में हैं, उन्हें भी जल्द ही न्याय मिलेगा। हम अपने वकीलों, मित्रों और उन सभी लोगों के आभारी हैं, जिन्होंने इस मामले में हमारी मदद की है।

मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि

5 नवम्बर, 2016 को तोंगपाल थाना में हमारे खिलाफ भादवि. की धारा 120 बी, 302, 450, 147, 148, 149, आर्म्स एक्ट की धारा 25 व 27, यूएपीए की धारा 23, 38(2), 39(3) के तहत एफआईआर क्र. 27/16 दर्ज किया गया था। यह मामला कथित तौर से शामनाथ बघेल की विधवा विमला बघेल की लिखित शिकायत के आधार पर कायम किया गया था, लेकिन इस शिकायत में भी हम पर सीधा दोषारोपण नहीं था – क्योंकि हत्यारों ने यह नहीं कहा था कि वे हमारी ओर से काम कर रहे हैं। केवल यह कहा कि 6 माह पहले गांव के दौरे के समय कही गई हमारी बातों को बघेल ने तवज्जो नहीं दी।

एनडीटीवी के श्री सिद्धार्थ रंजन दास द्वारा लिए एक साक्षात्कार में, जो 11 नवम्बर 2016 को प्रसारित किया गया था, कैमरे के सामने विमला बघेल कह रही है कि वह अपने पति के हत्यारों को नहीं जानती, उन्होंने उससे कुछ नहीं कहा और उसने अपनी शिकायत में हम लोगों का नाम नहीं लिया है। यह एकदम असंभव है कि वह हमारा पूरा नाम और आधिकारिक पद जानती होगी और पूरी लिखित शिकायत स्पष्ट रूप से मनगढ़ंत थी।

15.11.2016 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता के इस बयान को रिकॉर्ड किया कि इस प्रकरण में न कोई छानबीन की जायेगी और न कोई गिरफ्तारी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस इस मामले में इन आरोपित 6 व्यक्तियों से कोई पूछताछ करना चाहती है, तो उसे इन लोगों को चार  सप्ताह पूर्व नोटिस देना होगा। इस तरह सुप्रीम कोर्ट के संरक्षण में हम बाहर थे।

इस दिशा-निर्देश के दो साल बाद भी छत्तीसगढ़ पुलिस ने मामले की छानबीन करने या उसे ख़त्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। तब सुप्रीम कोर्ट में नंदिनी सुंदर ने आवेदन लगाया कि एफआईआर से उनका और अन्य लोगों का नाम हटाया जाए। 27 नवम्बर, 2018 को कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से अब तक की गई कार्यवाही के बारे में पूछा। हमें ख़ुशी हैं कि इस आरोप पत्र से अंतिम रूप से हमारा नाम हटा दिया गया है।

हमारी भूमिका

12-16 मई, 2016 को हम 6 लोगों ने बस्तर का अध्ययन-दौरा किया था। इस रिपोर्ट को व्यापक रूप से वितरित किया गया था, जिसे इकनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली ने भी अपने 25 जून, 2016 के अंक में प्रकाशित किया था। इस रिपोर्ट में हमने स्पष्ट रूप से आदिवसियों की दुर्दशा के लिए सरकार और नक्सलियों, दोनों पर दोषारोपण किया था। हमने यह तथ्य प्रकाश में लाया था कि कुमाकोलेंग और सौतनार गांव के लोगों को माओवादी दबाव के कारण पलायन करना पड़ा है। पुलिस का यह दावा कि हमने ग्रामीणों से माओवादियों का समर्थन करने के लिए कहा था, सफ़ेद झूठ है और हमारे अभी तक के स्टैंड के खिलाफ जाता है।

ताड़मेटला, तिमापुरम और मोरपल्ली गांवों को एसपीओ द्वारा जलाया गया था। तत्कालीन डीआईजी एसआरपी कल्लूरी भी इस मामले में आरोपित थे, क्योंकि उन्होंने यह स्वीकार किया था कि एसएसपी दंतेवाडा के रूप में इस अभियान को उन्होंने ही निर्देशित किया था। इस मामले में सीबीआई द्वारा पुलिस और कल्लूरी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने के फ़ौरन बाद ही हमारे खिलाफ यह एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद 6 विभिन्न स्थानों में पुलिस द्वारा नंदिनी सुंदर सहित हम लोगों का पुतला जलाया गया था। कल्लूरी ने यह भी बयान दिया था कि यदि नंदिनी बस्तर में घुसती है, तो उसे पत्थर मार-मार कर मार डाला जाएगा। इस प्रकार उन्होंने पुलिस के असंवैधानिक कृत्यों को जायज ठहराया था।

वर्ष 2005 से बस्तर में जारी मानव अधिकारों के हनन के मामलों में नंदिनी सुंदर सुप्रीम कोर्ट में मुख्य याचिकाकर्ता हैं, जिसमें कोर्ट ने वर्ष 2011 में सलवा जुडूम के लिए किसी भी प्रकार की सहायता पर प्रतिबंध लगाया था और ताड़मेटला की आगजनी और मार्च 2011 में स्वामी अग्निवेश पर हुए हमलों की जांच के संबंध में सीबीआई को आदेश दिया था। इस बारे में कोर्ट की अवमानना और पुनः दिशा-निर्देश देने के लिए यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

नंदिनी सुंदर, प्रो. दिल्ली विश्वविद्यालय

अर्चना प्रसाद, प्रो. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय

संजय पराते, राज्य सचिव, माकपा, छग

विनीत तिवारी, जोशी-अधिकारी रिसर्च सेंटर, भाकपा

मंजू कवासी, सरपंच, गुफ़ड़ी

मंगलाराम कर्मा, नामा गांव के पूर्व-रहवासी

Nandini Sundar
Archana prasad
Delhi University
JNU
Chattisgarh
chattisgarh police
murder case
Raman Singh
BJP government
kalluri
bhupesh baghel
Congress

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बर : मस्जिद दर मस्जिद भगवान की खोज नहीं, नफ़रत है एजेंडा, हैदराबाद फ़र्ज़ी एनकाउंटर के बड़े सवाल
    24 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने एक के बाद एक मस्जिद में भगवान की खोज के नफ़रती एजेंडे को बेनक़ाब करते हुए सरकारों से पूछा कि क्या उपलब्धियों के नाम पर मुसलमानों के ख़िलाफ उठाए गये कदमों को…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?
    24 May 2022
    न्यूज़चक्र में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा बात कर रहे हैं कि सत्ता पक्ष आखिर क्यों देश को उलझा रहा है ज्ञानवापी, क़ुतब मीनार, ताज महल जैसे मुद्दों में। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात कब होगी…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी: भारी नाराज़गी के बाद सरकार का कहना है कि राशन कार्ड सरेंडर करने का ‘कोई आदेश नहीं’ दिया गया
    24 May 2022
    विपक्ष का कहना है कि ऐसे समय में सत्यापन के नाम पर राशन कार्ड रद्द किये जा रहे हैं जब महामारी का समय अधिकांश लोगों के लिए काफी मुश्किलों भरे रहे हैं।
  • सोनिया यादव
    देश में लापता होते हज़ारों बच्चे, लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 गुना तक अधिक: रिपोर्ट
    24 May 2022
    ये उन लापता बच्चों की जानकारी है जो रिपोर्ट हो पाई हैं। ज़्यादातर मामलों को तो पुलिस मानती ही नहीं, उनके मामले दर्ज करना और उनकी जाँच करना तो दूर की बात है। कुल मिलाकर देखें तो जिन परिवारों के बच्चे…
  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत
    24 May 2022
    मुकदमा चलाने लायक है या नहीं, इस पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License