NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
प्रतिबंधित मुद्रा बैंक में वापस आने से नोटबंदी अपनी कठिन परीक्षा में असफल रही (किताब से उद्धरण)
आर. रामकुमार की आगामी किताब नोट-बंदी: डेमोनेटिज़ेशन एंड इंडियाज एलूसिव चेज फॉर ब्लैक मनी 'के अध्यायों में से लिया एक अंश.

आर. रामकुमार
09 Nov 2017
Translated by महेश कुमार
black money

('नोट-बंदी: डेमोनेटिज़ेशन एंड इंडियाज का एलूसिव चेज़ फॉर ब्लैक मनी, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की एक आगामी पुस्तक है, जो उन "भारतीय नागरिकों की स्मृति को समर्पित है जिन्होंने नोटबंदी की वजह से अपना जीवन गंवा दिया"). उन अध्यायों में से चंद उद्धरण. )

किसी भी नोटबंदी की सफ़लता बैंकिंग सिस्टम वापस ना आयी राशी से मापी जाती है. लम्बे समय तक अर्थशास्त्री एवं प्रेक्षक इस बात से चिंतित थे कि आखिर 10 दिसंबर 2016 के बाद आर.बी.आई. एस.बी.एन. (निर्दिष्ट या प्रतिबंधित बैंक नोट्स) जो बैंकों में वापस आये हैं उनके सम्बन्ध में डाटा/आंकड़ा क्यों नहीं साझा कर रही है.

एस.बी.एन. के बारे में जानकारी पाना इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जो भी मुद्रा बैंकिंग व्यवस्था में नहीं लौट पाई है वह 'काला धन' कहलाएगी जिसे आर.बी.आई. ‘मृतप्राय” घोषित कर देगी... इसके फलस्वरूप, आर.बी.आई. उसी मात्रा का धन सरकार को ऑफर कर सकती थी, जिसे सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च कर सकती थी.

सरकार की इस उम्मीद को भारत सरकार के महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया. रोहतगी के मुताबिक़, सरकार का अंदाजा था कि बैंकों में 12 लाख करोड़ से अधिक मुद्रा वापस नहीं आएगी, जिसका सीधा मतलब है कि बाकी बची हुई 3 लाख करोड़ की मुद्रा को मृतप्राय घोषित कर दिया जाएगा और सरकार के खर्च के लिए दे दिया जाएगा.

जैसे-जैसे नोटबंदी आगे बढी, सारी उम्मीदे पानी में मिलती चली गयी. सबसे पहले तो, “आर.बी.आई. के गवर्नर उरिजित पटेल ने 7 दिसंबर 2016 को यह सफाई देने पर बाध्य होना पडा कि "कानूनी निविदा की वापसी का मकसद किसी भी आर.बी.आई. बैलेंस शीट या वापस न आयी मुद्रा को मृतप्राय घोषित करने की नहीं है...और कहा कि वे अब भी आरबीआई की देनदारी हैं”.

8 दिसंबर को राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पत्रकारों को बताया कि “उम्मीद यह है कि जितनी मुद्रा चलन में है वह बैंकों में वापस आ जायेगी”. दुसरे शब्दों में कहें तो, जिस गति से एस.बी.एन. प्रतिबंधित मुद्रा बैंकों में वापस आ रही  थी उससे सरकार को विश्वास हो गया था कि मुद्रा की कोई भी मात्र ऐसी नहीं बचेगी जिसे मृत घोषित करने की आवश्यकता होगी. 10 दिसंबर तक 12.44. लाख करोड़ की प्रबंधित मुद्रा  सीधे बैंकिंग व्यवस्था में आ चुकी थी.

सरकार ने 10 दिसंबर के बाद एसएनबीएस(प्रतिबंधित मुद्रा) वापस आने वाले किसी भी आंकड़े को साझा करने से इनकार कर दिया. इसके उलट सरकार ने तथ्यों को अस्पष्ट करने और 'दोहरी गिनती' की जटिल कहानियों के जरिए जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया. 15 दिसंबर को (आर्थिक मामलों के सचिव, शक्तिकान्ता) दास ने मीडिया को बताया कि प्रतिबंधित मुद्रा पर आंकड़ों को अभी जारी नहीं किया जाएगा क्योंकि आर.बी.आई. को यह शक है कि मुद्रा की “दोहरी गिनती” की गयी है.

प्रतिबंधित मुद्रा को गिनने के दो रास्ते हैं. सभी व्यक्तिगत बैंकों में प्रतिबंधित मुद्रा के जरिए उत्पन्न नकदी की स्थिति से. या फिर वहां दोबारा गिनती की स्थिति पैदा हुई जिन बैंकों के पास मुद्रा रखने की व्यवस्था नहीं थी, या नकद को सीधे उन बैंकों में जमा कर दिया जिनके पास करेंसी चेस्ट है.

दुसरे, अगर सीधे करेंसी चेस्ट से नकदी आई है तो उस मामले में दोहरी गिनती की गुंजाईश नहीं थी. (आर.बी.आई. की उप-निदेशक, उषा) थोरात ने एक साक्षात्कार में कहा “ कि दोहरी गिनती की तो कोई गुंजाइश ही नहीं है..आर.बी.आई. केवल करेंसी चेस्ट के आंकड़े को सही मानती है.”.

इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में रजनीश कुमार, एस.बी.आई. निदेशक ने अनिश्चित अंदाज़ में कहा कि करेंसी चेस्ट की स्थिति ही सही स्थिति है, और कहा उसमें कोई दोष नहीं हो सकता...दोहरी गिनती उसी स्थिति में हो सकती है अगर बैंक या पोस्ट ऑफिस जामा धन की स्थिति को अवगत कराते हैं...लेकिन करेंसी चेस्ट हर रोज़ जामा धन के सम्बन्ध में रिपोर्ट करती है और जोकि एक स्वचालित प्रक्रिया है, इसलिए किसी गलती की कोई संभावना नहीं है...अगर आर.बी.आई. करेंसी चेस्ट के आधार पर किसी मात्रा को बताती है तो उसमें कोई गलती की संभावना नहीं है. लेकीन अगर डाटा प्रत्येक दिन की बैंकों में जमा राशि की रिपोर्टिंग के आधार पर दिया है फिर इसमें दोहरी गिनती की संभावना हो सकती है.

अपनी निरंतर प्रेस वार्ता में आर.बी.आई. हमेशा करेंसी चेस्ट की नकदी की स्थिति के आधार पर ही आंकड़े बताती थी न कि व्यक्तिगत बैंकों में जमा मुद्रा के आधार पर. आर.बी.आई. के उप-निदेशक, आर. गांधी ने 13 दिसंबर 2016 को मीडिया को बताया कि “500 और 1000 के प्रतिबंधित नोट 12.44 लाख करोड़ की मात्रा में आर.बी.आई. में 10 दिसंबर 2016 तक वापस आ गए है”.

2017 के अगस्त में अंतत: आर.बी.आई. ने प्रतिबंधित मुद्रा की संख्या की वापसी के अंतिम आंकड़े जारी किये. आर.बी.आई. की 2016-17 की  वार्षिक रपट के मुताबिक़, 8 नवम्बर 2016 तक चलन में जो मुद्रा थी वह 15.44 लाख करोड़ थी और में से 15.3 लाख करोड़ के प्रतिबंधित नोट वापस आ गए थे. दुसरे शब्दों में कहे तो 98.96 प्रतिशत प्रतिबंधित मुद्रा बैंकिंग व्यवस्था में वापस आ गयी थी और मात्र 1.04 प्रतिशत प्रतिबंधित मुद्रा बहार रह गयी

आखिर अंतिम फैंसला आ ही गया: जैसाकि ज्यादातर आलोचकों ने अटकलें लगाई थी, नोटबंदी ऐसी किसी भी मृत पूँजी को नहीं ढूंढ पायी जिसे “कला धन” कहा जा सके.

demonetisation
Modi
BJP
economic crises
black money

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License