NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
प्रबीर बल: मौन हो जाना जन आंदोलनों के प्रखर गायक का
“जब भी जनगीत गायकी और गायकों की बात होगी प्रबीर बल (मोना दा) का नाम ज़रूर लिया जायेगा।”

अनिल अंशुमन
07 Oct 2020
प्रबीर बल: मौन हो जाना जन आंदोलनों के प्रखर गायक का
प्रबीर बल (3 मार्च 1954 - 2 अक्टूबर 2020)। फोटो साभार : सोशल मीडिया

    ..... समय था जब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं थीं। अपनी सरकार की ओर से उन सभी विशिष्ट लेखक– कलाकार और बुद्धिजीवियों को अपने दरबार की शोभा बनाने के लिए सम्मान और पुरस्कारों की झड़ी लगा दी, जिन्होंने पिछली सरकार विरोधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। फिर क्या था एक से बढ़कर एक ‘ रैडिकल’ कहलाने वाले कई नामचीन बुद्धिजीवी-कला महारथियों ने धड़ाधड़ अनुकंपा– सम्मान पाने हेतु ‘ दीदी दरबार’ में लाइन लगा दी। लेकिन इन सबों से परे कुछ लोगों में प्रबीर बल ही ऐसे लोकप्रिय जन गायक थे जिन्होंने ‘ दीदी दरबार ’ के सम्मान-आमंत्रण को ठुकराते हुए साफ शब्दों में कह दिया कि उन्होंने पिछली सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया है न कि वामपंथ का।

‘70 के दशक से ही पश्चिम बंगाल के विविध जन आंदोलनों को अपनी प्रतिभाशील गायकी से मुखरित करने वाले जन संगीतकार प्रबीर बल भाकपा माले से जुड़े रहे और कई जन गायन मंडलियों के साथ साथ पश्चिम बंगाल गण संस्कृति परिषद के प्रमुख संस्थापक रहे। इन्हें प्यार से सभी लोग मोना दा कहते थे।

IMG-20201004-WA0009.jpg

प्रबीर बल वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल और विशेषकर कोलकाता के समकालीन गण सांस्कृतिक धारा के एक मजबूत स्तम्भ और बेहद सम्मानित जन गायक - संगीतकार व्यक्तित्व रहे। इन्होंने पश्चिम बंगाल के कृषक आंदोलनों से लेकर जूट मिल मजदूरों के संघर्षों, सांप्रदायिकता विरोधी अभियानों के साथ साथ विभिन्न लोकतान्त्रिक आंदोलनों और आदिवासियों के जल जंगल ज़मीन के संघर्षों को अपने जनगीतों से मुखर स्वर दिया।

उनके गाये – आमी मानुष ..., कॉमरेड बोले डाक दिये केऊ..., एई देशे एई माटिर बुके ...., प्रतिरोधे आवाज़ उठुक... जैसे कई आंदोलनकारी जन गीत आज भी यहाँ के जन गायकों की ज़ुबान पर हैं।

3 मार्च 1954 में कोलकाता स्थित बेहाला के अकरा संतोषपुर में जन्मे प्रबीर बल का लालन पालन घर के गण सांस्कृतिक माहौल में हुआ। पिता सुबोध बल जन नाट्य आंदोलन के सक्रिय संस्कृतिकर्मी थे। माता मीना बल भी एक अच्छी जन गीत गायिका थीं। बचपन से ही प्रबीर बल अपने माता– पिता के साथ साइकिल पर बैठकर लाल झंडे के जुलूस– मीटिंग– रैली व सभाओं में जाते थे। जिसने उनपर पर ऐसा असर डाला कि स्कूली पढ़ाई के दौरान ही वे भी आंदोलनों में जाकर गीत गाने लगे।

जाने माने जन संगीतकार अजित पाण्डेय लिखित खाद्य– आंदोलन के गीत – ओ नुरुलेर माँ चोखेर जले... की अनगिनत प्रस्तुतियों से वे लोगों के चहेते बन गए।  आंदोलनकारी स्वभाव के प्रबीर यानी मोना दा को नक्सलबाड़ी के कृषक विद्रोह ने इस कदर प्रभावित किया कि इसे ही अपनी कला का मर्म बनाकर एक होलटाइमर संस्कृतिकर्मी बन गए। बीए की पढ़ाई छोड़ उस दौर के सभी आंदोलनों में शामिल होकर कृषक आंदोलन के गीत गाने लगे। आदिवासी प्रतिरोध नायक सीदो – कानो और बिरसा मुंडा की संघर्ष गाथा पर केन्द्रित गीत -झिम– झिम निशा लागे महुवा .... गीत काफी लोकप्रिय हुआ।

आरंभिक दिनों में प्रख्यात संगीतकार सलिल चौधरी और हेमंगों विश्वास के गीतों को भी खूब गाया। नाटककार बीजन भट्टाचार्य की चर्चित कविता – ओ होसनेर माई, आमरा बंगला गाई जदी... को संगीतबद्धकर अनेक प्रस्तुतियाँ कीं। जाने माने वामपंथी रचनाकार दिलीप बगची, प्रूतुल मुखर्जी, विपुल चक्रवर्ती तथा नितीश राय सरीखे कई अन्य महत्वपूर्ण कवियों – जन गीतकारों की रचनाओं को भी संगीत और स्वर दिया।

विश्व प्रसिद्ध कम्युनिस्ट गायक पॉल रॉबसन को आदर्श मानने वाले मोना दा ने जनगीतों को प्रचारधर्मी की बजाय स्तरीय कलात्मक बनाने के हमेशा कायल रहे। संगीत की कई बारीकियों का विधिवत प्रशिक्षण लेते हुए पॉल रॉबसन और पीट सिगर जैसे विश्व जन संगीतकारों की प्रेरणा से जन संगीत में कई अनूठे प्रयोग किए। नए कलाकरों को गण संगीत धारा से जोड़ने के लिए 1976 में अपने निवास क्षेत्र बेहाला में एक छोटी सी गायन मंडली और संतोषपुर में ‘ यांत्रिक ’ टीम के गठन पश्चात ‘ पुबेर आवाज़’नामक एक बड़ी जन सांस्कृतिक मंडली बनाई। गण संस्कृति आंदोलन के विस्तार के लिए 1984 में पश्चिम बंग गण शिल्पी परिषद के गठन में अहम भूमिका निभाते हुए राज्य भर के कई स्थापित लेखक – कलाकारों– बुद्धिजीवियों को संगठित कर तत्कालीन वाम सांस्कृतिक आंदोलन को मजबूती दी।

वे परिषद के संस्थापक अध्यक्ष भी बने। अपने प्रांत के साथ साथ देश-विदेशों के तत्कालीन और समसामयिक राजनीतिक– सांस्कृतिक सवालों पर जन सांस्कृतिक अभियानों और जन आंदोलनों के अगुवा गण शिल्पी रहे।

आर्थिक संकटों के कारण पियरलेस कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी की तथा बाद में सरकारी कस्टम विभाग में नौकरी करते हुए 2017 में अधिकारी पद से रिटायर हुए। नौकरी के दौरान जन सक्रियता जारी रखने के कारण कई बार विभागीय अफसरों का कोपभाजन भी बनना पड़ा। अपने एक्टिविस्ट जन गायकी के सफर में उन्होंने असम– कार्बी आंगलौंग, दिल्ली, पंजाब , उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखंड , ओड़ीसा व दक्षिण के आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्यों समेत हाल की केंद्र में क़ाबिज़ फासीवादी– सांप्रदायिक सरकार के खिलाफ हुए कई बड़े जन आंदोलनों निरंतर भागीदारी निभाई है।

1995 में उनका एकल जनगीत एलबम ‘ आमी मानुष ’काफी लोकप्रिय हुआ। 1982 में वामपंथी संस्कृतिकर्मी वाणी बल से इनका विवाह हुआ था। इनके एक पुत्र – पुत्रवधू और दो पोतियाँ हैं। बीते तीन वर्षों तक कैंसर से जूझने के उपरांत थोड़ा ठीक हो ही रहे थे कि निमोनिया की जानलेवा चपेट में आ गए। तीन दिनों तक वेंटीलेटर पर रहने के पश्चात 66 वर्ष की आयु में 2 अक्टूबर, 2020 को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।

सनद रहे कि पश्चिम बंगाल की धरती जिस तरह काज़ी नज़रुल इस्लाम के विद्रोही गीतों से गुंजायमान रही उसी प्रकार यहाँ की माटी में गण संगीत की भी एक सशक्त सांस्कृतिक परंपरा रही है। जिसने पश्चिम बंगाल ही नहीं पूरे देश को भी अनुगुंजित कर जन सांस्कृतिक आंदोलन धारा को मजबूती दी है।

प्रबीर बल (मोना दा) के निधन से पश्चिम बंगाल और देश भर के जन सांस्कृतिक धारा के लेखक– कलाकार काफी शोकाकुल हैं। कई वरिष्ठ संस्कृतिकर्मियों ने अपने शोक संदेश में कहा है कि मोना दा ने हमेशा जन आंदोलनों के मैदान रहकर आम जन के गायक रहे। माईम नाट्य विधा के वरिष्ठ नाटककार और पश्चिम बंग गण संस्कृति परिषद केरंग निर्देशक दीपक मित्र तथा सचिव चर्चित जन गायक नितीश राय के अनुसार– जब भी जनगीत गायकी और गायकों की बात होगी प्रबीर बल (मोना दा) का नाम ज़रूर लिया जायेगा।

 

Parbir bal
Mass movements
culture
West Bengal
mamta banerjee

Related Stories

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

बंगाल हिंसा मामला : न्याय की मांग करते हुए वाम मोर्चा ने निकाली रैली

बंगाल: बीरभूम के किसानों की ज़मीन हड़पने के ख़िलाफ़ साथ आया SKM, कहा- आजीविका छोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए

कोलकाता: बाबरी मस्जिद विध्वंस की 29वीं बरसी पर वाम का प्रदर्शन

कृषि क़ानूनों की वापसी : कोई भी जनांदोलन बेकार नहीं जाता

पश्चिम बंगाल: वामपंथी पार्टियों ने मनाया नवंबर क्रांति दिवस

पश्चिम बंगाल: ईंट-भट्ठा उद्योग के बंद होने से संकट का सामना कर रहे एक लाख से ज़्यादा श्रमिक

किसान आंदोलन की सफल राजनैतिक परिणति भारतीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक ज़रूरत

केरल, तमिलनाडु और बंगाल: चुनाव में केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License