NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
समाज
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
पत्रकार रुपेश कुमार की गिरफ्तारी की पूरी दास्तान
दिल्ली स्थित पत्रकारों की बात तो सुन भी ली जाती है जबकि देश में ऐसे कई इलाके हैं जहां पत्रकारों के लिए संकट काफी गंभीर हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
मुकुंद झा
17 Jun 2019
Rupesh Kumar

सोमवार 17 जून को दिल्‍ली में  युनाइटेड अगेंस्‍ट हेट के बैनर तले  प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया में  झारखण्‍ड के रामगढ़ से नक्‍सली बताकर 7 जून को गिरफ्तार किए गए स्‍वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और अन्‍य लोगो के समर्थन में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस हुई। इस कॉन्‍फ्रेंस में कुछ दिनों पहले यूपी पुलिस द्वारा दिल्‍ली से गिरफ्तार किए स्‍वतंत्र पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया भी मौजूद थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा किया गया था। इस प्रेसवार्ता में रूपेश की पत्‍नी ईप्‍सा ने भी फोन के जरिये अपनी बात रखी। उन्होंने  झारखण्‍ड उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश के नाम एक पत्र भी लिखा है और प्रेसवर्ता में सारा मामला तफ़सील से बताया। इसके अलाव प्रो अपूर्वानंद, वरिष्ठ पत्रकार हरतोष और पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया भी मौजूद थे।  

अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दिल्ली से स्वतंत्र पत्रकार   प्रशांत कनौजिया गिरफ्तार किये गए थे। साथ में कई अन्य लोगो को भी गिरफ़्तार किया गया था। लेकिन प्रशांत दिल्ली में सिविल सोसायटी और मीडिया संस्थानों के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के दखल के चलते जेल से बाहर निकल आये है।  शायद वो बहुत किस्मत वाले थे  कि उन्हें इतनी जल्दी रिहाई मिल गई। इसके पीछे कारण  का यह है कि वो दिल्ली स्थित पत्रकार हैं जबकि देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां पत्रकारों के लिए संकट काफी गंभीर हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 

आज भी कभी किसी नेता के अपमान, कभी देशद्रोही और नक्सली बताकर पत्रकारों को गिरफ़्तार किया जा रहा है। ऐसे ही झारखंड के एक पत्रकार अभी  अपनी रिहाई की बाट जोह रहे हैं। स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह समेत तीन लोगों को कुछ दिन पहले नक्सली बताकर गिरफ्तार किया  गया था। पुलिस का कहना है कि इनके पास से विस्फोटक बरामद किया गया है, जबकि रूपेश कुमार की पत्नी इप्सा का दावा है कि उनके पति को गिरफ्तार कहीं से किया गया, दिखाया कहीं और गया। इतना ही नहीं, विस्फोटक पदार्थों को बाकायदा साज़िश के तहत उनकी गाड़ी में प्लांट कर दिया गया।
 

“पढ़ें लिखे हो, आराम से कमाओ खाओ। ये आदिवासियों के लिए इतना क्यों परेशान रहते हो "
रुपेश की पत्नी ने कहा कि रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी का पता उन्हें पता तब चला, जब वो  9 जून को उनसे मिलने शेरघाटी जेल गयी,उन्होंने कहा कि   यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि मेरे जीवन साथी रूपेश कुमार सिंह के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। उसे भरोसा है खुद पर और अपनी लेखनी पर। उसने पुलिस की कहानी से इतर जो सच बताया कि इनकी गिरफ्तारी 6 जून को नहीं 4 जून को सुबह 9:30 बजे ही हो गई थी। इनकी गिरफ्तारी झारखण्ड के हजारीबाग जिला अंतर्गत पद्मा, जो हजारीबाग से थोड़ा आगे है, में तब हुई जब वे लघुशंका के लिए गाड़ी साइड किए थे। इनकी गिरफ्तारी आईबी द्वारा की गयी। लघुशंका जाने के ही क्रम में पीछे से अचानक हमला बोला गया। बाल खिंच कर आंखों पर पट्टी लगा दी गई और हाथों को पीछे कर हथकड़ी भी लगाई गई, जिसका विरोध करने पर हथकड़ी खोल दी गई। बाद में आंखो की पट्टी भी हटा दी गयी। इन्हें फिर बाराचट्टी के कोबरा बटालियन के कैम्प में लाया गया। जहां रूपेश को बिलकुल भी सोने नहीं दिया गया और रात भर बुरी तरीके से मानसिक टार्चर किया गया। उन्हें धमकाया गया कि व्यवस्था या सरकार के खिलाफ लिखना छोड़ दें। रुपेश को खुद के एन्काउन्टर किए जाने की शंका भी हो रही थी। बातचीत की भाषा से रुपेश ने शंका जतायी है कि उनमे आंध्र प्रदेश आईबी के लोग भी थे। 

उनकी पत्नी ने बतया की पुलिस बार बार रुपेश को उनके लेखन और समाज  के प्रति उनकी जागरूकता को लेकर कोष रही थी। उनसे कहा जा रहा था  कि- “पढ़ें लिखे हो, आराम से कमाओ खाओ। ये आदिवासियों के लिए इतना क्यों परेशान रहते हो कभी कविता, कभी लेख। इससे आदिवासियों का माओवादियों का मनोबल बढ़ता है भाई। क्या मिलेगा इससे। जंगल,जमीन के बारे बड़े चिंतित रहते हो, इससे कुछ हासिल नहीं होना हैं, शादी शुदा हो, परिवार है, उनके बारे  में सोचो। सरकार ने कितनी अच्छी-अच्छी योजनाएं लायी हैं, इनके बारे में लिखो। आपसे कोई दुश्मनी नहीं है, छोड़ देंगे।”

रुपेश का पूरा मामला क्या है?

झरखंड के कई  स्थानीय  अखबार में 7 जून 2019 को एक खबर छपी कि विस्फोटक के साथ तीन हार्डकोर नक्सली रूपेश कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह और मुहम्मद कलाम को शेरघाटी-डोभी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। जबकि उनके परिवार वालों का कहना है कि 4 जून 2019 को 8 बजे सुबह रामगढ़ से अपने आवास से रूपेश कुमार सिंह को लेकर उनके दो साथी वकील मिथलेश कुमार सिंह और मोहम्मद कलाम औरंगाबाद को निकले थे। दस बजे के बाद उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। जिसके कारण परिवार वाले तनाव में आ गये।इसको लेकर 5 जून को परिवार वालों ने रामगढ़ थाने में गुमशुदगी की रपट भी लिखवाई। उसी दिन रामगढ़ पुलिस ने रूपेश कुमार सिंह का वह मोबाइल जो घर पर था यह कहकर अपने साथ ले गए कि दो घंटे में लौटा देंगे जो अब तक नहीं लौटाया गया है। दूसरी तरफ पुलिस ने उन्हें खोजने का आश्वासन भी दिया।
पुलिस ने जल्द ही रुपेश और उनके दोस्त को वापस लाने का भरोस दिया और 6 जून को बताया कि  पुलिस ने उन्हें ढूंढने के लिए स्पेशल टीम  भी बनाई । परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर भी यह खबर फैलाई। रुपेश के परिवार  के मुताबिक उसी दिन दोपहर को वकील मिथिलेश सिंह का कॉल आया कि वे लोग ठीक हैं, घर लौट रहे हैं। लेकिन वे लोग शाम तक नहीं लौटे तो घर वालों की चिंता बढ़ती चली गई। इसके बाद \ दूसरे दिन 7 जून की सुबह खबर छपी की  ढोभी मोड़ (बिहार) से 6 जून को हार्डकोर नक्सली सहित तीन को गिरफ्तार किया गया है, जिनके नाम रुपेश कुमार सिंह, मिथलेश सिंह और मोहम्मद कलाम हैं।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हों  रहे है जिनका जबाबा कोई नहीं दे रहा है। इस मामले पर कई सवाल खड़े होते हैं, पहला इन लोगों से सम्पर्क 4 जून को 10 बजे से बंद हो गया और जब यह बात को 6 जून को सुबह से सोशल मीडिया पर फैली तब 6 जून को दोपहर में इनके वापस लौटने की सूचना आई और उसके बाद फिर मोबाइल ऑफ हो गया। यह खबर घर वालों ने पुलिस को भी दी। पर रात तक ये लोग नहीं पहुंचे, उधर रामगढ़ पुलिस की स्पेशल टीम जो इनकी खोज में निकली थी, आश्चर्य की बात है कि उन्हें भी ये लोग नहीं मिले। जबकि दूसरे दिन 7 जून को अखबार में खबर छपी कि उन तीनों को डोभी मोड़ से 6 जून को गिरफ्तार कर लिया गया है। विरोध के स्वर दबाने का आसन तरीका है नक्शली और देशद्रोही कहना !

यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस सरकार ने जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों ,समाजसेवी और बुद्धजीवियों पर हमले किये हो।  समाज के सभी न्यायपसंद लोगों को अपराधी बता कर डराया जाता रहा है और जो सरकार के आगे नहीं झुक रहे हैं, उन्हें सलाखों के पीछे डाल  दिया जा रहा है।  7 जून को उजागर हुआ रूपेश कुमार सिंह का मामला भी इसी तरह का लग रहा है, उनके जानकारों का कहना है कि गिरफ्तारी का सच इसी बात से जुड़ा हुआ है कि वे एक न्याय पसंद इंसान है और हमेशा वे सच को लिखते आए हैं। ये लिस्ट बहुत लंबी है जब पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्त्ता को मावोवादी और नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया जाता है ,इसके लिए पुलिस बहुत ही हल्के और कमजोर आधारों  का सहारा लेती है लेकिन सरकार को अंत में इन मामलो में कुछ मिलता नहीं है। लेकिन जबतक यह मामला चलता है, तबतक उनकी जिंदगी खराब हो जाती है और उनपर मावोवादी होने का ठप्पा लग जाता है। ऐसे ही कई सालो पहले डीयू की प्रोफेसर जो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए काम करती थी, उन्हें भी माओवादियों का समर्थन करने के आरोप लगया गया था। सोनी-सोरी,जिन पर समय-समय पर माओवादियों का समर्थन करने के आरोप लगे लेकिन कभी भी पुलिस और सरकार कुछ भी साबित नहीं कर पाई।

journalist
Arrests of Activists
journalist attack
journalist arrest
rupesh kumar

Related Stories

सोमालिया में आतंकवादी हमले में दो पत्रकारों समेत 10 की मौत


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License