NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पत्थलगड़ी इलाकों में विकास : बंदूक की नोक पर...?
झारखण्ड प्रदेश स्थित खूंटी जिले के जिन जंगल इलाकों में कुछ भटके हुए, बेलगाम और गुमराह आदिवासियों द्वारा “संविधान विरोधी पत्थलगड़ी" कर जो देशद्रोह किया जा रहा था, सरकार ने 'शांतिपूर्वक' ( पुलिस बल के जरिये) उस पर काबू पा लिया हैI
अनिल अंशुमन
25 Jul 2018
pathalgadi

ताज़ा ख़बर है कि झारखण्ड प्रदेश स्थित खूंटी जिले के जिन जंगल इलाकों में कुछ भटके हुए, बेलगाम और गुमराह आदिवासियों द्वारा “संविधान विरोधी पत्थलगड़ी" कर जो देशद्रोह किया जा रहा था, सरकार ने ‘ शांतिपूर्वक ‘( पुलिस बल के जरिये) उस पर काबू पा लिया हैI . मुख्यमंत्री जी को इत्मीनान है कि अब वहाँ कानून का राज कायम हो गया है और ज़ल्द ही इन इलाकों में विकास की गंगा बहने लगेगी . ख़बर यह भी है प्रशासन के समझाने पर आदिवासी समुदाय के लोग ‘ बहकना - गुमराह होना और देशद्रोह ‘ छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को तैयार हो गएँ हैं . इसे प्रमाणित करने के लिए चीतरामू गाँव में लोगों ने खुद से वहां की पत्थलगड़ी को उखाड़ दिया और उसके दो दिन बाद ही आनन्-फानन में वहाँ आयोजित सरकार के विकास – मेला में पुरे उत्साह के साथ शामिल हुए . इसे मीडिया के जरिये प्रमुखता के साथ पुरे राज्य के लोगों को दिखा-पढ़ाकर इत्मीनान दिलाया गया कि अब डरने की कोई बात नहीं , स्थिति नियंत्रण में है .....

 लेकिन ज़मीनी हकीक़त शायद हमेशा की तरह वहीँ दबकर रह जायेगी कि किस प्रकार से आज उन इलाकों का आम जन जीवन जो पहले से ही खस्ताहाल है ,हर कोई देशद्रोह जैसे आरोपों से बचने के लिए पुलिस बल की संगीनों के घेरे में जीने और सरकार की हाँ में हाँ मिलाने को विवश है . किसी भी समय होनेवाली अर्ध सैन्यबलों की ‘ शांतिपूर्ण पेट्रोलिंग ‘ इन गांवों में पसरे सन्नाटे को निरंतर भयावह बना देती है . दर्जनों गांवों के जिन सैंकड़ों लोगों पर पत्थलगड़ी में भाग लेने के कारण ‘ देशद्रोह के अज्ञात मुक़दमे ‘ दर्ज हैं , उसके डर से अधिकाँश लोग खेती के इस मौसम में भी अपने खेत और घरों को छोड़े हुए हैं . प्रशासन से माइक द्वारा बार – बार ये प्रचार करवाए जाने कि – लोग डरें नहीं , वापस आ जाएँ और खेती करें ... पर किसी को विश्वास नहीं हो पा रहा है . इलाके के जिन सरकारी स्कूलों को पत्थलगड़ी अभियान वालों द्वारा बंद किये जाने जैसी देशद्रोह की खबरें आयीं थीं , कोचांग और कुरुँगा गावों के उन स्कूलों में अब पुलिस कैम्प बिठा दी गयी है . उधर , चितरामू गाँव के विकास मेले में डीसी साहेब और पुलिस के आला अधिकारियों ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि – संविधान विरोधी पत्थलगड़ी को उखाड़कर अब यह गाँव जिला प्रशासन की विकास योजना से जुड़ गया है . जिसके तहत ‘ ऑन द स्पॉट ‘ ग्रामीणों को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए दनादन ‘ विकास – पत्र ‘ बंटवाया जा रहा है . इस अवसर पर गाँव के सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्मार्ट बोर्ड से स्मार्ट करने और वर्षों से जर्जर पड़े सरकारी स्कूल के मरम्मत कराने की घोषणा भी की गयी.

सरकार और प्रशासन कि इतनी संवेदनशीलता और जवाबदेह सक्रियता शायद पहले हुई रहती तो खुद सरकार के शब्दों में , न तो यहाँ उग्रवाद फैलता और न ही आज यहाँ पत्थलगड़ी का बवेला मचता . गौर तलब है कि इस क्षेत्र के वर्तमान सांसद कड़ीया मुंडा और स्थानीय विधायक व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा दोनों भाजपा के हैं . इन दोनों माननीय जन प्रतिनिधियों से इतना सवाल तो बनता ही है कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी कि हर चुनाव में उन्हें वोट देने वाले हाथ , आज बगावत पर आमादा हो गए ? संविधान के जिन विशेष प्रावधानों के तहत यहाँ के सभी विधायी सीट आरक्षित हैं और जिसके तहत ये दोनों माननीय संसद व विधान सभा में पंहुचे , क्या संविधान के उन्हीं विशेष प्रावधानों को लेने का अधिकार इन इलाकों के आम आदिवासियों व उनकी ग्राम सभा को है या नहीं ? जिस पत्थलगड़ी को देशद्रोह करार दिया जा रहा है , वह इन इलाकों के आदिवासियों की वर्षों से चली आ रही परम्परा है और देश के संविधान ने पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के तहत इसे मान्यता दी है . जिसके तहत आदिवासी गांवों की ग्राम सभा को भी पारंपरिक रूप से ये मान्यता मिली हुई है कि गाँव – समाज के हितों से जुड़े विशेष निर्णयों को पत्थरों पर लिख करके गाड़ दिया जाए ताकि सभी लोग ( अंदर और बाहर के ) उसे ध्यान में रखें . ऐसा क्या हुआ कि यही विशेषाधिकार आज देशद्रोह कहा जा रहा है और बाकी समाज के लोग भी इसे मान ले रहें हैं !  

 निस्संदेह राष्ट्र के विकास में सभी समाजों व समुदायों के लोगों की भागीदारी और जवाबदेही बनती है , लेकिन क्या यह न्यायोचित है कि विकास कि वेदी पर हमेशा आदिवासी समुदाय ही चढ़ाया जाता रहे ! भले ही अबतक हुए विकास की कोई रौशानी वहाँ पंहुची ही न हो और वर्तमान के तेज रफ़्तार अत्याधुनिक विकास में इनके लिए कोई जगह न हो . पत्थलगड़ी में लिखी बातों से असहमति हो ही सकती है और यह भी संभव हो कि वे किसी को असंवैधानिक भी प्रतीत हों , किसी भी लिहाज से यह अलोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता . एक लोकतान्त्रिक राज – समाज और व्यवस्था में जनता अथवा समुदाय विशेष द्वारा अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना , उसका लोकतान्त्रिक अधिकार है . यह तो सरकारका दायित्व है कि वह अपने लोगों के सवालों को पूरी संजीदगी के साथ ले और समुचित समाधान करे . पत्थलगड़ी प्रकरण को लेकर सरकार व प्रशासन की भूमिका यही देखने में आई कि इस मुद्दे पर कोई गंभीरता दीखाने तथा किसी प्रकार का संवाद करने की बजाय हमलावर होने का रुख ही दीखा . पत्थलगड़ी से उठे सवालों का जो जवाब राज्य द्वारा बहुत पहले ही सकारात्मक ढंग से दिया जाना था , आज फिर उसी की ज़रूरत है . इस सन्दर्भ में यह सदैव सनद रखना होगा कि कोई भी विकास जनता को साथ लेकर ही सफल हो सका है न की बंदूक के बल पर ! झारखण्ड के पत्थलगड़ी प्रकरण ने हमारी शासन - व्यवस्था की उन्हीं विसंगतियों और सवालों को सामने ला खड़ा किया है , जिन्हें अबतक हमेशा हाशिये पर रखा गया था . 
 

pathalgadi
Jharkhand
Adivasis

Related Stories

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड : हेमंत सोरेन शासन में भी पुलिस अत्याचार बदस्तूर जारी, डोमचांच में ढिबरा व्यवसायी की पीट-पीटकर हत्या 

झारखंड रोपवे दुर्घटना: वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने 10 और लोगों को सुरक्षित निकाला


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    किसान-योद्धा ग़ुलाम मोहम्मद जौला के निधन पर शोक
    16 May 2022
    गुलाम मोहम्मद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ भारतीय किसान यूनियन की बुनियाद डालने वाले जुझारू किसान नेता थे। अपने जीवन के अंतिम दिनों तक वे किसान आंदोलन में सक्रिय रहे।
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    भाजपा से मुकाबला कर पाएगी कांग्रेस ?
    16 May 2022
    आज न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं कांग्रेस के चिंतन शिविर की। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या आने वाले चुनावों में कांग्रेस भाजपा को चुनौती दे पाएगी?
  • रवि शंकर दुबे
    विश्लेषण: कांग्रेस के ‘चिंतन शिविर’ से क्या निकला?
    16 May 2022
    राजस्थान के उदयपुर में आयोजित हुए कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में कई बड़े फ़ैसले लिए गए।
  • मुकुंद झा
    मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?
    16 May 2022
    नगर निगम में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) इस घटना के लिए दिल्ली सरकार को ज़िम्मेदार बता रही है, जबकि दिल्ली सरकार में सत्तधारी आम आदमी पार्टी (आप) इसके लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार बता रही है।…
  • एम.ओबैद
    बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं
    16 May 2022
    पहली से आठवीं तक के क़रीब 1 करोड़ 67 लाख बच्चों में से 1 करोड़ 10 लाख बच्चों के पास आज भी किताबें उपलब्ध नहीं हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License