NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पठानकोट: भूमि अधिग्रहण के तरीके की मुखालफ़त में वृद्ध फोन टावर पर चढ़े
दो बांधों से विस्थापित हो चुके परिवार, पिछले 77 दिनों से रणजीत सागर बांध के मुख्य अभियंता के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं।
सागरिका किस्सू
02 Apr 2021
पठानकोट: भूमि अधिग्रहण के तरीके की मुखालफ़त में वृद्ध फोन टावर पर चढ़े
चित्र साभार: द ट्रिब्यून इंडिया 

पंजाब के पठानकोट जिले में सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोग पंजाब सरकार द्वारा रणजीत सागर बांध (आरएसडी) और शाहपुरकंडी डैम डाउनस्ट्रीम के लिए किये गए भूमि अधिग्रहण के दौरान विस्थापित परिवारों को रोजगार नहीं मुहैया कराये जाने के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। हालाँकि इस विरोध प्रदर्शन ने विद्रूप रूप धारण तब कर लिया जब बुधवार को अस्सी की उम्र पार कर चुके दो वृद्ध व्यक्तियों – सरम सिंह (82) और कुलविंदर सिंह (84) ने जुगियाल कस्बे में 150 फुट ऊँचे मोबाइल टावर पर चढ़कर हाथों में पेट्रोल से भरी बोतलों के साथ कहा कि वे “विरोध कर-करके थक चुके हैं।”

इन दोनों अस्सी पार कर चुके लोगों ने मांगें पूरी न होने पर खुद को आग लगाकर अपनी इहलीला ख़त्म कर देने की धमकी दी है। न्यूज़क्लिक  से बातचीत के दौरान पठानकोट के एसएसपी गुलनीत सिंह खुराना ने कहा कि इन दोनों बुजुर्गों को नीचे उतरने के लिए मनाने की उन्होंने बहुत कोशिश की, लेकिन वे इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने आगे बताया “वे हमारे साथ बातचीत करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि वे सिर्फ बाँध के अधिकारियों या डीसी से ही बात करेंगे। वे अभी भी टावर की चोटी पर जमे बैठे हैं।”

विस्थापित परिवारों के लोग पिछले 77 दिनों से आरएसडी मुख्य अभियंता के कार्यालय के बाहर धरने  पर बैठे हैं, लेकिन उनके अनुसार आजतक कोई उनसे मिलने नहीं आया है। आरएसडी विस्थापित संघर्ष समिति के प्रवक्ता दयाल सिंह ने न्यूज़क्लिक  को बताया कि उन्हें अब तक कई वर्षों से सिर्फ “आश्वासन” ही दिया जाता रहा है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने बताया “इसलिए हमने सड़कों पर निकलने का निश्चय किया, लेकिन इस सबके बावजूद उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जब हमारी जमीनें हमसे ले ली जा रही थीं, तो उस समय हमारे माता-पिता अशिक्षित थे। उन्हें नहीं पता था कि अपने अधिकारों की खातिर कैसे लड़ा जाता है। सरकार ने हमें बेवकूफ बनाया है।” 

रणजीत सागर बाँध के निर्माण का कार्य 1982 में आरंभ हो गया था और यह परियोजना 2000 में जाकर पूरी हो चुकी थी। सिन्धु जल संधि के एक हिस्से के तौर पर रावी नदी पर बने इस जलविद्युत परियोजना, जो जम्मू एवं कश्मीर और पंजाब से होकर बहती है, से कथित तौर पर तकरीबन 1,573 परिवार प्रभावित हुए थे। यह परियोजना पंजाब के पठानकोट और जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के निकट में स्थित है।

पिछले कुछ महीनों से इस परियोजना से प्रभावित परिवार उन्हें नौकरी मुहैया न कराये जाने पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका यह विरोध 1993 से ही जारी है, और इसमें अधिकारियों के सगे-सम्बन्धियों को तो नौकरी पर रख लिया गया है, जबकि कई परिवारों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। 

1993 में पंजाब राज्य पुनरुद्धार समिति ने आरएसडी विस्थापितों के लिए एक पुनरुद्धार एवं पुनर्वासन नीति का गठन किया था, जिसमें विस्थापित परिवारों में से कम से कम एक सदस्य को रोजगार मुहैया कराये जाने का प्रावधान शामिल था।

हालाँकि नामों की सूची की छंटाई की प्रक्रिया तब सवालों के घेरे में आ गई, जब पता चला कि पांच फर्जी लाभार्थियों को नौकरियां दे दी गई हैं। खबरों के मुताबिक, न्यायाधीश ने इस मामले पर अपनी टिप्पणी में कहा था कि “अदलात, सिविल एवं बाँध प्रशासन के अधिकारियों की इस घोटाले में शामिल होने की संभावना को देखते हुए मूक-दर्शक नहीं बना रह सकता है। उपरोक्त गड़बड़ियों पर पुनरवलोकन करने के साथ-साथ विभाग को इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की भूमिका की जाँच करने के आलावा उन 119 विस्थापितों के मामलों की भी जांच करने के लिए कहा गया है, जिन्हें विशेष श्रेणियों के तहत रोजगार पर नियुक्त किया गया है।”

2019 में आरएसडी की डाउनस्ट्रीम, शाहपुरकंडी बैराज परियोजना की आधारशिला जम्मू-कश्मीर और पंजाब सरकार के बीच समझौते पर दस्तखत किये जाने के बाद से रख दी गई थी। कंडी परियोजना, जिसे 1988 तक पूरा कर दिया जाना था, से 206 मेगावाट बिजली के उत्पादन और पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर के 37,173 हेक्टेयर खेती के योग्य क्षेत्र में सिंचाई की आपूर्ति की संभावना है। 

जनवरी 2020 में, शाहपुरकंडी बाँध परियोजना में “पुनरुद्धार एवं पुनर्वासन नीति के विस्तार से परीक्षण” करने के लिए पठानकोट के उपायुक्त के तहत एक उप-समिति के गठन के लिए आदेश जारी किया गया था।

इस आदेश में कहा गया है कि “रणजीत सागर बाँध परियोजना के विस्थापितों के जारी तयशुदा मामलों पर उप-समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न माननीय न्यायालयों एवं ‘पुनरुद्धार एवं पुनर्वासन अधिनियम, 2013 के तहत उचित मुआवजे एवं भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता के अधिकार को ध्यान में रखे जाने की आवश्यकता है।’

हालाँकि प्रदर्शनकारी परिवारों का कहना है कि डीसी गुरप्रीत सिंह खैरा द्वारा तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट उनके हक में थी, लेकिन इस आदेश के एक साल बाद भी उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है। शाहपुरकंडी बैराज परियोजना से विस्थापन का प्रभाव झेल रहे एक अन्य व्यक्ति गुरविंदर सिंह का कहना था कि “जब बाँध का निर्माण कार्य चल रहा था, तो जिन किसानों की जमीनें बाँध के तहत आ रही थीं, उन्हें सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था। लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी हमें रोजगार नहीं मिल सका है और अब जबकि बैराज बाँध परियोजना संपन्न होने के कगार पर है, लेकिन हम अभी तक खाली हाथ हैं।”

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Pathankot: Octogenarians Climb Phone Tower in Protest Against Manner of Land Acquisition

Ranjit Sagar Dam
Shahpurkandi Dam
Pathankot
Kathua
Indus Waters Treaty
Rehabilitation
land acquisition

Related Stories

भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए

जम्मू-कश्मीर: बढ़ रहे हैं जबरन भूमि अधिग्रहण के मामले, नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा

फरीदाबाद : आवास के मामले में सैकड़ों मजदूर परिवारों को हाईकोर्ट से मिली राहत

अटल प्रोग्रेस वे से कई किसान होंगे विस्थापित, चम्बल घाटी का भी बदल जाएगा भूगोल : किसान सभा

जम्मू में जनजातीय परिवारों के घर गिराए जाने के विरोध में प्रदर्शन 

उत्तराखंड: लंबित यमुना बांध परियोजना पर स्थानीय आंदोलन और आपदाओं ने कड़ी चोट की

जेवर एयरपोर्टः दूसरे फेज के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं होगा आसान, किसानों की चार गुना मुआवज़े की मांग

खोरी पुनर्वास संकट: कोर्ट ने कहा एक सप्ताह में निगम खोरीवासियों को अस्थायी रूप से घर आवंटित करे

पुनर्वास की मांग को लेकर खोरी गांव के मज़दूर परिवारो ने जंतर-मंतर पर दिया धरना!

ज़मीन और आजीविका बचाने के लिए ग्रामीणों का विरोध, गुजरात सरकार वलसाड में बंदरगाह बनाने पर आमादा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License