NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पुलवामा हमले का एक साल : "भाई चले गए, कैसे गए ये अभी तक मालूम नहीं चला...”
"पुलवामा हमले को एक साल हो गया? आज तक पता नहीं चला कि पुलवामा अटैक क्यों हुआ? कैसे हुआ? किसकी ग़लती से हुआ? जब तक इसका जवाब नहीं मिलेगा, शहीदों के परिवार वालों को शांति नहीं मिलेगी।" पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से ख़ास रिपोर्ट-
रिज़वाना तबस्सुम
14 Feb 2020
पुलवामा

वाराणसी : "एक साल हो गया है, लेकिन स्थिति नहीं बदली। जो आज से एक साल पहले था आज भी वही है। भाई चले गए, कैसे गए ये अभी तक मालूम नहीं चला। सरकार ने हमसे वादा किया था कि मेरे भाई की याद में एक स्मारक बनाया जाएगा लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। भाई को अंतिम विदाई देने के बाद लोग जो गए तो आज तक नहीं आए।"

ये कहना है पुलवामा हमले में शहीद रमेश यादव के छोटे भाई राजेश यादव का। राजेश यादव पेशे से ड्राइवर हैं, और गाड़ी चलाने का काम करते हैं। वाराणसी मुख्यालाय से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित एक गाँव है तोहफापुर। इस गाँव के एकदम आखिरी छोर पर श्यामनारायण यादव का घर है। रमेश यादव श्यामनारायण यादव के बड़े बेटे थे। आज भी रमेश यादव के घर जाने के लिए आपको कम से कम छह किलोमीटर तक पैदल चलना होगा। कुछ दूर तक तो आपको सड़क मिल जाएगी, उसके बाद आपको सोचना पड़ेगा कि कैसे उनके घर तक जाया जाय। आज भी उनके घर पहुँचने के लिए सड़क नहीं बनी है, पगडंडियों का सहारा लेना पड़ता है।

Ramesh-Yadav.jpg

रमेश यादव

मेड़ और पगडंडियों से चलते हुए करीब दो घंटे की पैदल सफर के बाद आप पुलवामा हमले में शहीद रमेश यादव के घर पहुँच जाते हैं। इस घर में रमेश यादव के पिता श्यामनारायण यादव, माँ राजमती देवी, पत्नी रेनू यादव और छोटे भाई राजेश यादव रहते हैं। घर में हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ है, माँ की आँखें आज भी अपने बेटे को तलाश कर रही हैं, पिता के कमजोर कंधे आज भी अपने सहारे को ढूंढते हुए नज़र आ रहे हैं।

पुलवामा हमले के साल भर होने के बाद सरकार की तरफ से की गई मदद के बारे में पूछने पर राजमती कुछ नहीं बोलती हैं, उनकी आँखों से आँसू निकलने लगते हैं, पेशे से गृहणी और किसान राजमती अपने सख्त हाथों से साड़ी के पल्लू को आँखों तक ले जाती हैं करीब दो मिनट तक अपनी आँखों को कसकर दबाये हुए हैं, शांत होने पर राजमती कहती हैं, 'मेरा जिगर का टुकड़ा चला गया अब क्या बचा है मेरे पास।'

ry house.JPG

रमेश यादव का घर

हाथ में लगे भूसे को छुड़ाते हुए शहीद जवान रमेश यादव की माँ राजमती कहती हैं कि, 'मेरे बच्चे ने कितनी मेहनत की थी सेना में जाने के लिए और मेरा लाल नौकरी भी ज्यादा दिन नहीं कर सका। साल भर की ट्रेनिंग और छह महीने की नौकरी के बाद ही भगवान ने उसको हमसे छीन लिया।' परिवार के मुताबिक रमेश यादव करीब 18 महीने तक सीआरपीएफ में रह पाये थे। जिसमें उन्होने एक साल की ट्रेनिंग के बाद छह महीने नौकरी की थी।

शहीद रमेश यादव के पिता श्यामनारायण यादव कहते हैं, 'जब मेरा बेटा शहीद हुआ था तो डीएम के साथ कई अधिकारी मेरे घर पर आए थे। उन्होंने कहा था कि रास्ते बन जाएंगे, मेरे बेटे के नाम पर गेट बनेगा, लेकिन वो लोग कहकर चले गए और अभी तक नहीं आए।'

श्यामनारायण यादव पेशे से किसान और ग्वाले हैं, वो कहते हैं कि 'मेरे घर पर पहले बिजली नहीं थी। जिस दिन ये हादसा हुआ था उस दिन घर पर बहुत सारे लोग आए थे और घर में बहुत अंधेरा था। हमारे गांव के प्रधान ने जनरेटर का इंतजाम किया और बिजली की व्यवस्था कराई।' वे आगे बताते हैं, 'आम जनता ने मेरा बहुत साथ दिया, सब लोग बहुत सपोर्ट किए। जनता ने चंदा इकट्ठा करके मेरे घर पर हैंडपंप लगवा दिया है लेकिन सरकारी वादे अब भी अधूरे हैं।'

इतना कहते ही श्यामनारायण एक गहरी सांस छोड़ते हैं, अपनी गाय की तरफ देखते हुए कहते हैं कि 'हम गरीब आदमी हैं, बहुत मुश्किल से अपने बच्चे को पढ़ा-लिखाकर सेना में भेजे थे। देश की रक्षा करने भेजे थे, अब तो वो चले गए, अब कौन हमारा सहारा है।

ry village.JPG

रमेश यादव के नाम से लगा बोर्ड

शहीद रमेश यादव के भाई राजेश कहते हैं कि, 'जब सरकार एक जवान के घरवालों से किए गए वादों को नहीं निभा पाती है तो फिर क्या करेगी?' कैसे सरकार आम लोगों का ख्याल रखेगी? रमेश यादव कहते हैं कि, पुलवामा हमले को एक साल हो गया? आज तक पता नहीं चला कि पुलवामा अटैक क्यों हुआ? कैसे हुआ? किसकी ग़लती से हुआ? जब तक इसका जवाब नहीं मिलेगा, शहीदों के परिवार वालों को शांति नहीं मिलेगी।

रमेश यादव के परिवार वालों से किए गए वादे के बारे में तोहफापुर गाँव के लोगों में भी गुस्सा है। यहाँ के 25 साल के सोनू कहते हैं कि, 'जिस दिन हमारे जवान भाई की शहादत की खबर आई थी पूरे गाँव में मातम था, हर तरफ उदासी ही उदासी थी। हजारों की संख्या में लोग हमारे गाँव में आ रहे थे लेकिन लोग एक दिन आए और फिर चले गए।

सोनू कहते हैं कि एक दिन की साथ की जरूरत के अलावा भी बहुत साथ की जरूरत होती है, उनके परिवार वालों को मदद की जरूरत है। उन्होने अपना बेटा खोया है, सरकार को चाहिए कि कम से कम उनके परिवार के लिए इतना तो करे कि आने वाले समय में शहीद के परिवार वालों की ज़िंदगी आसान हो।

इसी गाँव के युवा अनूप कहते हैं कि, 'सरकार को सबसे पहले हमारे जवानों के परिवार वालों के बारे में सोचना चाहिए, उन्हें चाहिए कि जिन लोगों ने अपना बेटा खो दिया उन्हें और कोई तकलीफ ना हो। पहले ही वो देश की हिफाजत में अपने बेटे को भेज दिए होते हैं। अगर उनका बेटा देश के नाम शहीद हो गया तो ये सरकार और हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनकी रक्षा करें।'

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को आज एक साल हो गया। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में एक आतंकी ने विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी को सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दिया था। धमाका इतना ज़ोरदार था कि एक बस के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे। यह बस सीआरपीएफ की 54वीं बटालियन की थी। उस समय बताया गया कि जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है। पुलवामा के रहने वाले आदिल अहमद डार ने इस घटना को अंजाम दिया है। लेकिन इससे आगे का खुलासा आज तक नहीं हो पाया। इस पर राजनीति तो बहुत हुई। मोदी सरकार ने इसे चुनावी मुद्दा तक बनाया लेकिन ये आज तक नहीं पता चल पाया कि इस घटना का वास्तविक ज़िम्मेदार कौन था, तमाम सुरक्षा के बाद कैसे कई किलो आरडीएक्स कश्मीर में पहुंच गया और कैसे एक आतंकवादी उसे गाड़ी में भरकर सीआरपीएफ के काफिले से जा टकराया।

pulwama attack
varanasi
Pulwama
terrorist attack

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?

बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा

BHU : बनारस का शिवकुमार अब नहीं लौट पाएगा, लंका पुलिस ने कबूला कि वह तलाब में डूबकर मर गया

कश्मीर यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर को 2011 में लिखे लेख के लिए ग़िरफ़्तार किया गया

MLC चुनावः मोदी के गढ़ बनारस में भाजपा की बुरी हार, माफ़िया बृजेश सिंह की पत्नी के सामने केवल डमी प्रत्याशी थे सुदामा पटेल!

सारनाथ के धमेक स्तूप की पूजा-प्रार्थना रोके जाने से पुरातत्व विभाग और बौद्ध धर्मावलंबियों में बढ़ा विवाद

एमएलसी चुनाव: बनारस में बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी के आगे दीन-हीन क्यों बन गई है भाजपा?


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License