दिल्ली साइंस फोरम के डी. रघुनन्दन ने न्यूज़क्लिक से ३० जुलाई २०१४ को हुए पुणे भूसक्खलन पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक कारणों के अलावा विभिन्न "विकास की गतिविधियों" के चलते इस तरह के प्राकृतिक हादसे होते हैं खासकर पहाड़ी इलाकों में. पुणे के मामले में, कुछ मुख्य तथ्य हैं जैसे जंगलों का कटाव, भूमि समतल करने के लिए भारी मशीनों का इस्तेमाल, पहाड़ों को खोदते वक्त पानी के प्राकृतक बहाव को नज़रअंदाज़ करना इत्यादि शामिल है. "विकास कार्यों" के लिए नियामक की वकालत करते हुए उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या पर्यावरण असंवेदशीलता की कीमत पर विकास संभव है?
