NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
नज़रिया
भारत
राजनीति
पूर्व-नियोजित था सोनभद्र क़त्लेआम!
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को पहले से पता था कि सोनभद्र ज़िले में क्या हो रहा है और घटनाएं क्या मोड़ ले सकती हैं। क्योंकि वहां लंबे समय से आदिवासियों के साथ जो ग़ैर-इंसानी सलूक होता रहा है, उससे भाजपा व आदित्यनाथ अच्छी तरह वाक़िफ़ रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी चिंता नहीं थी।
अजय सिंह
31 Jul 2019
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ

किलवेणमणि, बेलछी, कफल्टा, बथानी टोला, खैरलांजी, और अब सोनभद्र.... कुछ भी नहीं बदला है इतने सालों में!

इन इलाकों में जो जनसंहार हुए—जिनमें दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित  समूहों के लोगों की निर्मम हत्याएं हुईं—वे राज्य सरकारों की लापरवाही या ग़ैर-जानकारी की वजह से नहीं हुए। इन सब जनसंहारों के पीछे हथियारबंद दबंग समूहों और  लंपट अपराधी गिरोहों के साथ ऊंचे स्तर पर सरकारी मशीनरी (पुलिस व जिला प्रशासन) की मिलीभगत व सांठगांठ रही है। इनके तार अक्सर सत्तारूढ़ पार्टी के आलाकमान से जुड़े रहे हैं। ये जनसंहार सोचसमझकर, योजना बना कर व सरकारी मशीनरी को विश्वास में लेकर किये गये हैं। इनका मक़सद रहा है, ग़रीबों को उनकी ‘औकात’ बताना!

17 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में उंभा गांव में ज़मीन के सवाल पर 10 भूमिहीन गोंड (आदिवासी) किसानों की गोली चलाकर हत्या कर दी गयी। हत्यारे इलाक़े के भूमि-संपन्न व दबंग गूजर समुदाय के थे। गूजर पिछड़ी जाति (ओबीसी) में आते हैं।

सोनभद्र ज़िले में आदिवसियों की आबादी अच्छी-ख़ासी है। राज्य सरकार के जंगल महकमे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज़िले की लगभग 80 प्रतिशत आदिवासी आबादी भूमिहीन है। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया ज़िले की लगभग एक लाख हेक्टेयर ज़मीन पर नौकरशाहों और राजनीतिक नेताओं ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है। ज़ाहिर है, यह उच्च-स्तरीय सरकारी संरक्षण के बग़ैर संभव नहीं।

अवैध रूप से कब्ज़ा की गयी ज़मीन में ग्रामसभा की ज़मीन शामिल है, जिस पर आदिवासी तीन पुश्तों से खेती करते आये हैं। जिस ज़मीन को आदिवासी जोतते आये हैं, वहां से उन्हें बेदख़ल करने की प्रक्रिया, सरकारी मशीनरी के बल पर, पिछले कुछ समय से चल रही है। इसी का नतीज़ा था, उंभा गांव में 17 जुलाई की अंधाधुंध गोलीबारी, जिसमें 10 आदिवासी किसान मारे गये। जिस वक़्त क़त्लेआम हुआ,आदिवासी किसान अपनी ज़मीन जोत-बो रहे थे। हथियारों से लैस हत्यारे ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों में सवार होकर पहुंचे थे। ऐसा बताया गया है कि स्थानीय पुलिस को पता था कि यह घटना होने वाली है, फिर भी इस क़त्लेआम को रोका नहीं गया।

हक़ीक़त यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं ने सोनभद्र ज़िले में फ़र्जी ट्रस्ट व मठ बनाकर अवैध रूप से ग्राम सभाओं की ज़मीनों पर कब्ज़ा कर रखा है। पता चला है कि कुछ बड़े कारपोरेट घराने भी इस मुहिम में शामिल हो गये हैं। सरकार की शह से चल रही इस मुहिम का मक़सद है, आदिवासियों को उनकी ज़मीन और जंगल से वंचित व बेदख़ल करना, जहां वे सदियों से रहते आये हैं। इसी का नतीज़ा है, 80 प्रतिशत आदिवासी आबादी को ज़मीन का पट्टा न देना और उसे वन अधिकार के दायरे से बाहर कर देना।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को पहले से पता था कि सोनभद्र ज़िले में क्या हो रहा है और घटनाएं क्या मोड़ ले सकती हैं। क्योंकि वहां लंबे समय से आदिवासियों के साथ जो ग़ैर-इंसानी सलूक होता रहा है, उससे भाजपा व आदित्यनाथ अच्छी तरह वाक़िफ़ रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी चिंता नहीं थी।

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) के विधायक हरीराम चेरी की बात पर अगर यक़ीन किया जाये, तो उन्होंने 14 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख कर चेताया था कि सोनभद्र ज़िले में दबंगों और अपराधियों का समूह आदिवासियों के ख़िलाफ़ हिंसा पर उतारू है और पुलिस (पीएसी) उनका साथ दे रही है। उन्होंने लिखा कि भू-माफ़ियाओं ने आदिवासियों की 600 एकड़ ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा कर लिया है और पुलिस के सिपाही आदिवासी महिलाओं से आये दिन दुर्व्यवहार करते रहते हैं।

आदित्यनाथ यह नहीं कह सकते कि मुझे पता नहीं था! 

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

sonbhadra killings
up govt
Yogi Adityanath
yogi sarkar
violence against tribals
caste discrimination

Related Stories

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

प्रयागराज में फिर एक ही परिवार के पांच लोगों की नृशंस हत्या, दो साल की बच्ची को भी मौत के घाट उतारा

प्रयागराज: घर में सोते समय माता-पिता के साथ तीन बेटियों की निर्मम हत्या!

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

यूपी में मीडिया का दमन: 5 साल में पत्रकारों के उत्पीड़न के 138 मामले

कौन हैं ओवैसी पर गोली चलाने वाले दोनों युवक?, भाजपा के कई नेताओं संग तस्वीर वायरल

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

पीएम को काले झंडे दिखाने वाली महिला पर फ़ायरिंग- किसने भेजे थे बदमाश?


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License