NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्यार पर हमला समाज में जातीय सर्वोच्चता को बनाये रखने की साजिश
भारत में शादी की पवित्रता का सिद्धांत जाति से जुड़ा हुआ है और प्रेम विवाह जाति की सर्वोच्चता और शुद्धता के सिद्धांतो में सबसे बड़ी बाधा है.
विद्या भूषण रावत
14 Feb 2018
Love jihad

कल अंकित सक्सेना के पिता को टी वी पर देखा जहा एंकर महाशय उनको प्रणाम कर रहे थे लेकिन गुस्सा हो गए के केजरीवाल ने मुसलमानों को तो मौत पर अधिक पैसा दिया और हिन्दुओ के नहीं. सर्व प्रथम बात ये के अंकित को मार डाला गया और ये एक अपराध है और कानून के अनुसार अपराधियों के साथ जो होना चाहिए वो होने चाहिए. पुलिस ईमानदारी से काम करे और चार्ज शीट दाखिल करे ताकि न्याय हो सके.

अंकित सक्सेना की मौत पर सांप्रदायिक राजनीती की कोशिशें हो रही है और एंगल निकालने की कोशिशे भी जारी है. अभी तक नहीं मिल पाया है लेकिन बना दिया जाएगा क्योंकि चैनल इसी लिए है के अगर संप्रदायीकरण का मटेरियल नहीं मिल रहा तो उसे तैयार कर दिया जाना चाहिए.

कुछ दिनों पूर्व मुझसे ये पूछा गया गया था कि अंकित सक्सेना के पिता ने बहुत संयम से काम लिया है और उसकी सराहना की जानी चाहिए. मैं तो ये कहता हो को ऐसे मौके पर मीडिया को माँ बाप के मुंह में माइक लगाने के बजाये निष्पक्ष रिपोर्टिंग करनी चाहिए. हमें ये पता होना चाहिए के जिस किसी के घर में कोई असामयिक मौत होगी तो उसके घर वाले बहुत बिरले ही होंगे जो इमोशनल न हो और इन हालातो में वे अगर कुछ कह भी दे तो बहुत आश्चयर्य नहीं होना चाहिए.

अंतर जातीय या अंतर्धार्मिक रिश्तो में बहुत आवश्यक है के कुछ बाते समझी जाए. हम इन्हें लोकतान्त्रिक रिश्ते भी कह सकते है और ये तभी कामयाब हो पाएंगे जब हम एक दूसरे के ऊपर अपनी धार्मिक और भाषाई श्रेष्ठता न लादे. ये रिश्ते इसलिए मज़बूत होते है क्योंकि आप धर्म और जाति की सीमाओं को लांघकर इसे बनाते है इसलिए आप ये नए विचार की नीव रख रहे है जो संगठित धर्मो और जातियों से निकलकर बनता है जहा इंसान की श्रेष्ठता होती है, उसकी आज़ादी का सम्मान है और थोडा जगह विचारभिन्नता के लिए भी बची रहती है. कोई भी प्रेम सम्बन्ध तब तक नहीं चल सकता जब तक उसमे स्वतंत्रता को गुंजाइश न हो और कोई भी सम्बन्ध अनंत काल तक चलता रहे इसकी सम्भावना भी नहीं होती इसलिए संबंधो के बन्ने और बिगड़ने में जो कडुवाहट आती है उसका कारण यही है के हम कही लुटा हुआ महसूस करते है. कोई कहता है प्यार में डूब जाना चाहिए, लेकिन मुझे लगता है किसी को डूबने की जरुरत नहीं. अपने होश हवाश में रहिये और एक दूसरे की स्वयत्तता का सम्मान करेंगे तो अलग होने में कोई कडुवाहट नहीं होगी.

जो लोग इसे लव जिहाद का नाम दे रहे है वही लोग खाप पंचायतों के जातिगत फैसलों को संस्कृति और परंपरा के नाम पर सही ठहराते है. हकीकत ये है के प्रेम करना हमारे समाज में अपराध है और इसलिए प्रेम के अभाव में हमारा समाज हिंसक बन चुका है. ये हिंसा क्रूरता और बर्बरता में बदल चुकी है क्योंकि ये प्यार नहीं, ये प्यार में औरत को एक वस्तु समझ रहा है और जिस समाज की महिला प्यार में दूसरी और जाती है वह अपने को लुटा हुआ महसूस करता है. इसलिए अंकित के प्यार में उसकी प्रेमिका के माँ बाप की उनकी इज्जत खतरे में दिखाई दी. हम सब जानते है के प्रेम विवाह कितने मुश्किल हैं खासकर जब लड़का और लड़की दोनों का आर्थिक रुतबा बहुत बड़ा नहीं होता और वे दो स्वतंत्र व्यक्ति नहीं बन पाते और उनको अपने परिवार की मदद की लगातार जरुरत होती है. दो सफल व्यक्ति अपने समाज से दूर रहकर अपने रस्ते पर चल सकते है लेकिन जहाँ व्यक्ति समाज के रीति रिवाजों के अनुसार चलेंगे तो वे तो प्यार के रास्ते में रोड़ा अटकाएंगे ही. 

भारत में शादी की पवित्रता का सिद्धांत जाति से जुड़ा हुआ है और प्रेम विवाह जाति की सर्वोच्चता और शुद्धता के सिद्धांतो में सबसे बड़ी बाधा है. जैसे जैसे लोग जाति धर्म के बन्धनों से ऊपर उठकर निकलेंगे तो इनके नाम पर चलने वाली घृणा और नफ़रत की दुकानों के बंद होने की संभावनाए भी बढ़ जाएँगी. देश के युवा की उर्जा समाज निर्माण में लगनी चाहिए न के जाति धर्म की अँधेरी दीवारों को मज़बूत करने में. शायद धर्म के धंधेबाजो को इस बात का पता है के प्रेम की ताकत के अच्छे से अच्छे तानाशाह और राजा महाराजा भी हार गए. 

अंकित के दोस्तों ने एक विडियो बनाया और कहा के प्रेम किसी सेस भी हो सकता है. प्रेम कोई योजना बनाकर नहीं होता. योजना से तो दंगे करवाए जाते है या किसी की जासूसी करवाई जाति है और प्रेमी जोड़ो का क़त्ल और वो सब वो लोग करते है जिनकी जिंदगी से प्रेम गायब है. जिनकी जिंदगी में प्रेम है वो तो बस प्रेम की गंगा बहाते रहेंगे.  अंकित की दोस्त शह्जादी ने लगातार ये बात कही के उसके माँ बाप गुनाहगार है. प्यार करने वालो को मजबूती से अपने विचारों पर खडा होना होगा क्योंकि प्यार भी एक विचारधारा है वैसे ही जैसे घृणा और नफरत भी एक नकारात्मक विचार है जो जातीय और धार्मिक सर्वोच्चता के अहंकार से पनपती है. इसलिए प्यार के विचार की जीत के लिए हमें कौशल्या जैसी प्रेमिकाओं की और देखना होगा जिसने जातिगत अहंकार के विरुद्ध अपनी जंग जारी रखी है और अपने पति शंकर के हत्यारों को जेल के सीखचों तक पंहुचाने के लिए अपने जद्दो जहद जारी रखी है. कौशल्या का मामला भी भी अंकित जैसा है वो तथाकथित ऊँची जाति से आती थी जिसका शंकर से प्रेम हो गया जो दलित था और ये बात कौशल्या के माँ बाप को पसंद नहीं थी और एक दिन कोयम्बतूर के बिजी चौराहे में शंकर की बेरहमी से हत्या कर दी गयी बिलकुल उसी तरह जैसे हम अंकित की हत्या देख रहे हैं. सड़क चलते लोग अपने काम में लगे रहे, कोइ विडियो बनाता रहा और कोई चुप देखता रहा लेकिन भीड़ निर्दोष को बचा नहीं पायी. शहजादी को कौशल्या से सीखना होगा और हत्यारों को जेल तक पहुचना होगा, अपने लिए न्याय की लड़ाई लडनी होगी और घृणा फ़ैलाने वाली मानसिकता से लड़ना होगा.

भारत के भविष्य के लिए जरुरी है के जातियों का समूल विनाश नो क्योंकि ये देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है. ये जातीय फर्जी गौरवो के सिद्धांत पर चल रही है. अभी इलाहाबाद में दलित छात्र दिलीप सरोज की नृशंश हत्या केवल इसलिए कर दी गयी के उसका पैर किसी दबंग सवर्ण से टकरा गया. जाति के आधार पर भारत में विभाजन साफ़ दिखाई दे रहा है और पचासों उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर या बड़ी बड़ी फौजे बनाकर और हथियार बेचकर भी देश कभी मज़बूत नहीं बन सकता जब तक जाति के किले बचे रहेंगे. रोहित वेमुला से लेकर दिलीप सरोज तक सैंकड़ो छात्रो और युवाओं की बलि चढ़ चुकी है केवल इसलिए क्योंकि आपको अपनी जातीय सर्वोच्चता बनाये रखनी है. देश के बहुजन समाज को अशक्त करके कभी देश आगे नहीं बढ़ सकता. हिंसा हमारे समाज का एक नया नॉर्म बन चुकी है जो किसी भी समाज को मंदबुद्धि बनाएगी और हिंसा का प्रतिकार केवल हिंसा से करने को उत्प्रेरित करेगी.

आज देश के युवाओं को देखना है के वे प्रेम की दुनिया को आगे बढ़ाना चाहते है या जातियों के दमघोटू ढांचे में कैद रहना चाहेगे. प्रेम में बहुत बड़ी ताकत है उन सारे पूर्वाग्रहों को तोड़ने की जिन्हें जाति की ढांचों ने बनाये है. आजदी के ७० वर्षो के बाद भी आज हम उन्ही पुराथान्पंथी जकडन में फंसे है तो कही न कही विचारात्मक द्वन्द है. जाति के नाम पर दूकान चलाने वालो और अपनी प्रभुत्व बनाये रखने वालो की साजिश को केवल युवा तभी तोड़ पायेंगे जब विवाह जैसी संस्था का लोकतान्त्रिककरण हो और वो तभी संभव होगा जब चाहत पर किसी का पहरा न हो. जिस दिन भारत में समाज का लोकतंत्रीकरण हो गया जैसा बाबा साहेब आंबेडकर कहते थे, उसी दिन भारत दुनिया का सबसे मज़बूत लोकतंत्र होगा और सबसे बड़ा देश भी. समाज में लोकतंत्र के अभाव में हम अपनी ही औलादों को इज्जत के नाम पर मारते रहेंगे और तमाशा देखते रहेंगे. अभी भी समय है, चेतने का, समाज के नव निर्माण का और देश को बचाने का. जातियों के जाल में जकड़ा देश कभी आगे नहीं बढ़ पायेगा और केवल घृणा और नफ़रत के ब्यापारियो के नियंत्रण में रहेगा. जातियों का उन्मूलन तभी हो पायेगा जब हमारे युवाओं को अपना साथी चुनने की स्वतंत्रता होगी नहीं तो उदंडता और जबरदस्ती ही हमारे समाज में जातीय सर्वोच्चता को बनाये रखेंगे और कानून का पालन करने वाले केवल देखते रहेंगे क्योंकि संविधान केवल बहस करने का एक दस्तावेज होगा, हमारे जीवन मूल्यों को निर्धारित करने का नहीं. ये अंतर्द्वंद अंतत उन ताकतों को मज़बूत बना रहा है जो चाहते ही नहीं के समाज लोकतान्त्रिक हो क्योंकि इस प्रक्रिया में उनकी बहुत से  जातीय  विशेषाधिकार समाप्त हो जायेंगे  लेकिन बदले में सबको जो मिलेगा वो अप्रतिम होगा, एक लोकतान्त्रिक समाज ही देश को मज़बूत और एकजुट रख पायेगा जिसके लिए हमें बड़ी तोपों और टैंको की जरुरत नहीं होगी. 

Courtesy: Sabrang India,
Original published date:
14 Feb 2018
love jihad
communal violence
Ankit Saxena

Related Stories

रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया

जोधपुर में कर्फ्यू जारी, उपद्रव के आरोप में 97 गिरफ़्तार

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा

तो इतना आसान था धर्म संसद को रोकना? : रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगाई, कोर्ट के आदेश के साथ बृंदा करात ने बुल्डोज़र रोके

खोज ख़बर : VHP की दिल्ली पुलिस को धमकी, गृह मंत्री रहे चुप, प्रतिरोध में हुईं आवाज़ें तेज़

त्योहार से लेकर रोज़ाना के जनजीवन पर सांप्रदायिकता का कब्ज़ा

जहांगीरपुरी हिंसा : अब 'आप' ने मुख्य आरोपी अंसार को 'बीजेपी' का बताया


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License