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भारत
राजनीति
वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया
विधेयक को पेश किये जाने का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने विरोध किया था और कहा कि इसके माध्यम से लोगों की निजता को खतरे में डाला जा रहा है।
भाषा
11 Dec 2019
डाटा संरक्षण विधेयक

वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक (Personal Data Protection Bill) 2019 को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति (Joint select committee) के पास विचार के लिए भेजा गया है।

विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सदन ने आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन के एक संशोधन को अस्वीकृत कर दिया।

प्रस्ताव के अनुसार संयुक्त प्रवर समिति में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे।

प्रसाद ने समिति में शामिल किये गये लोकसभा के 20 सदस्यों के नाम गिनाते हुए कहा कि इस संबंध में राज्यसभा को संदेश भेजकर 10 सदस्यों के नाम देने को कहा गया है।

उन्होंने कहा कि यह समिति बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद को देगी।

समिति में लोकसभा से मीनाक्षी लेखी, पी पी चौधरी, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, तेजस्वी सूर्या, एस एस अहलूवालिया, हिना गावित और संजय जायसवाल (भाजपा), कांग्रेस के गौरव गोगोई तथा एस ज्योति मणि, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, द्रमुक की कनिमोई, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, बीजद के बी महताब और बसपा के रितेश पांडे आदि शामिल होंगे।
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने सौगत राय की पार्टी संबंधी कार्यों में व्यस्तता का हवाला देते हुए पार्टी सदस्य महुआ मोइत्रा को इसमें शामिल करने की मांग की।
 
हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अगर सदस्य के नाम में परिवर्तन करना है तो बाद में दूसरा प्रस्ताव सरकार को लाना होगा, अन्यथा आज मतदान होगा तो राय ही समिति के सदस्य रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसे विषय पर पहले से विचार विमर्श हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाद में राय अगर समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे तो वह नये सदस्य के बारे में विचार कर लेंगे।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि समिति में हमारे दल के सदस्यों के नाम हमसे पूछकर शामिल नहीं किये गये हैं।

इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश से इस बारे में बातचीत हुई है। अगर उनकी पार्टी के अंदर कोई समस्या है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं है।
आरएसपी सदस्य प्रेमचंद्रन ने कहा कि किसी समिति के गठन के प्रस्ताव का नोटिस दो दिन पहले दिया जाना चाहिए।

इस पर स्पीकर बिरला ने कहा कि सभी लोग नियमावली पुस्तिका में अंकित इस बात को पढ़ लें कि अध्यक्षीय व्यवस्था अंतिम व्यवस्था होगी।

इससे पहले प्रसाद ने आज भोजनावकाश से पहले विपक्ष के विरोध और वाकआउट के बीच लोकसभा में वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2019 पेश किया।

विधेयक को पेश किये जाने का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने विरोध किया था और कहा कि इसके माध्यम से लोगों की निजता को खतरे में डाला जा रहा है।

जब विधेयक पेश करने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मत विभाजन करने को कहा तब विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट किया।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने विधेयक को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी।

प्रसाद ने कहा कि आधार मामले में उच्चतम न्यायालय ने डाटा संरक्षण के लिये निर्देश दिया था और इसलिये यह विधेयक लाया गया है ।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस बारे में आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं। विधेयक में निजता और डाटा सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है और बिना किसी के अनुमति के कोई डाटा जारी करने पर करोड़ों रूपये का जुर्माना लगेगा।’’

कानून मंत्री ने कहा कि इस बारे में श्रीकृष्ण आयोग के नेतृत्व वाली एक समिति बनी और व्यापक विचार विमर्श किया गया, 2000 सुझाव प्राप्त हुए और उन पर विचार करने के बाद विधेयक लाया गया है।

प्रसाद ने कहा कि अगर डाटा बिना अनुमति के जाहिर किया जाता है तब जुर्माने का प्रावधान है। गंभीर श्रेणी के डाटा को भारत के बाहर नहीं भेजा जा सकता है।

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Data Protection
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