NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
फर्जी डिग्री मामला : क्या एबीवीपी और अंकिव को बचाना चाहता है डीयू?
“दिल्ली विश्वविद्यालय जांच की पूरी प्रक्रिया को बहुत धीमे ढंग से आगे बढ़ा रहा है और तकनीकी चीजों में फंसा रहा है...ताकि अंकिव और एबीवीपी को भी बचाया जा सके और दोबारा चुनाव से भी बचा जा सके।”
मुकुंद झा
10 Nov 2018
dusu ankiv

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्र संघ अध्यक्ष अंकिव बैसोया के फर्जी डिग्री के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार, 12 नवंबर को सुनवाई करेगा। इस दिन डीयू को कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी है। लेकिन अब तक की प्रोग्रेस रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अंकिव बैसोया को बचाने की कोशिश की जा रही है। 
फर्जी डिग्री प्रकरण की जाँच को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय कितना गंभीर है इसका उदाहरण है तिरुवल्लुवार विश्वविद्यालय (टीयू) का यह कहना है कि उसे अभी भी दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ (डीयूएसयू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया की मार्कशीट को सत्यापित करने के लिए आवश्यक शुल्क नहीं मिला है, अंत में कोर्ट के सामने दिखाने के लिए डीयू ने गुरुवार को तिरुवल्लुवार विश्वविद्यालय अपना एक अधिकारी भेजने का फैसला किया।
विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय को इसपर तुरंत एक्शन लेना चाहिए था, पर वो पूरी प्रक्रिया को बहुत धीमे ढंग से आगे बढ़ा रहा है और तकनीकी चीजों में फंसा कर इस पूरी जाँच को भटकने की कोशिश कर रहा है, ताकि अंकिव और एबीवीपी को भी बचाया जा सके और दोबारा चुनाव से भी बचा जा सके।
दिल्ली विश्वविद्यालय को जाँच कर इसके बारे में दिल्ली हाईकोर्ट में 12 नवंबर को जानकारी देनी है, क्योंकि अगर इस समय सीमा में जाँच पूरी होती है और मार्कशीट फर्जी पाई जाती है तो नियमानुसार पिछला चुनाव रद्द कर अध्यक्ष पद के लिए दोबारा मतदान कराना होगा। अगर इस समयसीमा के भीतर यह जाँच नहीं हो पाती और उसके बाद अगर अंकिव की डिग्री फर्जी भी पाई जाती हो तो उस परिस्थिति में अंकिव का पद तो चला जाएगा लेकिन दोबारा मतदान नहीं होगा बल्कि उपाध्यक्ष को अध्यक्ष बना दिया जाएगा। (यहां आपको बता दे कि वर्तमान में उपाध्यक्ष पद भी एबीवीपी के पास है। एबीवीपी के शक्ति सिंह डूसू के उपाध्यक्ष हैं।) इस नियम को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर को डीयू को 12 नवंबर तक जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। 
बुद्धिस्ट स्टडीज के विभागाध्यक्ष, केटीएस सराव ने दावा किया, "यह सब आधिकारिक तौर पर किया जाना है। अब मैं खुद से जाने की कोशिश कर रहा हूं क्योंकि तिरुवल्लुवार विश्वविद्यालय संचार के अन्य सभी तरीकों से जवाब नहीं दे रहा है। अभी भी कुछ औपचारिकताएं बाकी हैं, और मैं उसको पूरा करने की प्रक्रिया में हूं।”
इस बीच तमिलनाडु के तिरुवल्लुवार विश्वविद्यालय ने कहा कि प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए आवश्यक शुल्क डीयू से प्राप्त नहीं हुआ है, और शुल्क प्राप्त करने के बाद भी, प्रक्रिया में आमतौर पर 15 दिन लगते हैं।
यहां ध्यान रखिए ये सब इस डिजीटल इंडिया और ऑनलाइन ज़माने में हो रहा है। जो काम चंद मिनटों में हो सकता है, उसे इस कदर लटकाया जा रहा है कि सुनवाई की तारीख आ गई है और जांच अभी शुल्क चुकाने और न चुकाने पर अटकी हुई है। 
इस पर सराव ने कहा कि उन्होंने न केवल शुल्क का भुगतान किया है और रजिस्ट्रार को इसकी रसीदें भेजी हैं, बल्कि इसके बारे में ईमेल भी भेजे हैं।
डूसू के पूर्व अध्यक्ष रॉकी तुषीर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि विभागाध्यक्ष केटीएस सराव व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशासन का रवैया पूरी तरह से निराशजनक है। प्रशासन ABVP और अंकिव को बचाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने प्रशसन पर कई गंभीर सवाल खड़े किये और कहा कि ABVP भाजपा का मित्र संगठन है इसलिए प्रशासन उसपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। प्रशासन भाजपा शसित केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। वो ABVP के लिए सुरक्षाकवच बना हुआ है।
रॉकी ने पूर्व में बनी जाँच कमेटी का भी जिक्र किया और कहा कि उस जाँच कमेटी के कई लोगों ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया, इसका कारण साफ था कि प्रशासन उन पर अंकिव को बचाने का दबाव बना रहा था। भाजपा ने दिल्ली विश्वविद्यालय की गरिमा गिरा दी है। आज ऐसे हालत हैं कि विश्वविद्यालय में डीन ऑफ़ स्टूडेंट वेलफेयर भी नही है। उन्होंने कहा की हमने अंकिव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और मांग की धारा 420 के तहत कार्रवाई करे, क्योंकि ये मामला पूरी तरह से धोखाधड़ी का है।
सभी छात्र संगठनों ने इसकी निंदा की है। हालांकि एबीवीपी का कहना है कि ये सब संगठन उसकी जीत से बौखलाए हुए हैं और उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 
आईसा की दिल्ली विश्वविद्यालय ईकाई की पूर्व अध्यक्ष कंवलप्रीत ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बौद्ध अध्ययन के विभागाध्यक्ष पर कई गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने भी फर्जी डिग्री पर अंकिव को प्रवेश दिया और जिस तरह से वो इस पूरे मामले पर बर्ताव कर रहे हैं उससे साफ दिख रहा है कि वो उसे बचा रहे हैं।
एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष व लॉ फैकल्टी के छात्र विकास भदौरिया ने न्यूज़क्लिक से कहा कि ये पूरा मामला एक प्रकार से आपराधिक षड्यंत्र का है। यह सिर्फ एक अंकिव का मसला नहीं है, हो सकता है कि और भी कितने ऐसे छात्रों ने इस प्रकार से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रवेश लिया हो। इस पूरे प्रकरण पर विश्वविद्यालय जिस तरह से बर्ताव कर रहा है वो साफ दिखा रहा है कि वो या तो इसमें भागीदार है या फिर परिषद के नेता अंकिव को बचाना चाहता है।
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने न्यूज़क्लिक से कहा कि यह पूरा मामला एक षड्यंत्र का है और इसे अब एक नाटकीय मोड़ दिया जा रहा है। इसके केंद्र में केटीएस सराव हैं और उप-कुलपति हैं। ये दोनों मिलकर ABVP को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसे पूरे घटनाक्रम को शर्मनाक बताया।
अक्षय कहते हैं कि इस पूरे मामले पर कोर्ट से उम्मीद है कि वो इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय की गरिमा को कायम रखेगा और दोषियों पर कार्रवाई करेगा। 

Delhi University
du
DUSU
Ankiv Baisoya
ABVP
NSUI
AISA
SFI
Fake degree case

Related Stories

कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’

अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
    24 May 2022
    वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरज़गारी के विरोध में 25 मई यानी कल से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
  • सबरंग इंडिया
    UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
    24 May 2022
    संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दावा किया है कि देश में 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी और दूसरे समुदायों के मिलाकर कुल क़रीब 30 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह से भोजन, जीविका और आय के लिए जंगलों पर आश्रित…
  • प्रबीर पुरकायस्थ
    कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक
    24 May 2022
    भारत की साख के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसने इस विश्व संगठन की रिपोर्ट को ठुकराया है।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी मस्जिद की परछाई देश की राजनीति पर लगातार रहेगी?
    23 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ज्ञानवापी मस्जिद और उससे जुड़े मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगज़ेब के इतिहास पर चर्चा कर रहे हैं|
  • सोनिया यादव
    तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?
    23 May 2022
    पुलिस पर एनकाउंटर के बहाने अक्सर मानवाधिकार-आरटीआई कार्यकर्ताओं को मारने के आरोप लगते रहे हैं। एनकाउंटर के विरोध करने वालों का तर्क है कि जो भी सत्ता या प्रशासन की विचारधारा से मेल नहीं खाता, उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License