NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
फ़ुटपाथ : चंद्रयान, कश्मीर और असम
...जाहिर है, जगह-जगह असम की तर्ज़ पर नज़रबंदी केंद्र बनेंगे और कश्मीर की तर्ज़ पर नाकाबंदी और बाड़ाबंदी होगी। देश के अंदर सरहदें बनायी जा रही हैं!
अजय सिंह
14 Sep 2019
kashmir
फोटो साभार : इंडियन एक्सप्रेस

चंद्रयान मिशन की विफलता पर आंसू व सांत्वना के बोल, और कश्मीर व असम की जनता पर थोप दी गयी भयानक ट्रेजडी के प्रति बेरूख़ी और बेपरवाही! यही है हक़ीक़त हमारे इस समय की। जैसे कई बार हमारी चुप्पी चुनी हुई (सेलेक्टिव) होती है, उसी तरह टेसुए बहाना और सांत्वना देना भी चुने हुए ढंग से किया जाता है।

भारत के चंद्रयान मिशन की विफलता पर जो लोग हाहाकारी आंसुओं का सैलाब लेकर आये, उन्हें इस बात की क़तई चिंता नहीं कि ठीक इसी समय कश्मीर घाटी की लगभग 80 लाख जनता पर, जो एक महीने से ज़्यादा समय से लोकतंत्र के न्यूनतम बुनियादी अधिकार से भी वंचित है और क़ैदख़ाने-जैसी हालत में है, क्या बीत रही है। उन्हें इस बात की क़तई परवाह नहीं कि असम की तीन करोड़ 30 लाख की आबादी में जो 19 लाख से ऊपर लोग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर कर दिये गये हैं और इस तरह उन्हें बेवतनी व बेमुल्की घोषित कर दिया गया है, वे किस मानसिक यातना और ख़ौफ़ में रह रहे हैं।

चंद्रयान मिशन की विफलता को क़रीब-क़रीब ‘राष्ट्रीय विपत्ति’-जैसा बता दिया गया। लेकिन कश्मीर और असम के मौजूदा हालात को हम किस श्रेणी में रखेंगे? क्या उन्हें राष्ट्रीय विपत्ति नहीं कहा जाना चाहिए, जिस ओर देश को बर्बर बहुमत के नाम पर ठेला जा रहा है? दिल्ली में बैठे हुक्मरानों की घातक हिंदुत्ववादी व विभाजनकारी नीतियों की बदौलत ये हालात बने हैं। देश के अंदर सरहदें व दीवारें बनायी जा रही हैं। डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी में कितनी समानता है!

समूची कश्मीर घाटी 5 अगस्त 2019 से हिंदुस्तानी फ़ौज के बल पर आतंककारी जेल में तब्दील कर दी गयी है। घाटी की लगभग 80 लाख आबादी के सारे मानवीय, नागरिक व लोकतांत्रिक अधिकार ख़त्म कर दिये गये हैं। इज़रायली यहूदीवाद ने जो हालत फ़िलिस्तीन की कर रखी है, वही हालत 5 अगस्त से कश्मीर घाटी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर राज्य को ‘विशेष हैसियत’ का दर्ज़ा देने वाले संवैधानिक अनुच्छेद 370 को एकतरफ़ा तौर पर ख़त्म कर दिया और राज्य को दो केंद्र-शासित इकाइयों में बांट दिया। इसी के साथ जनता पर दमन चक्र और लोकतंत्र व मानवाधिकार को तहस-नहस करने का ख़ौफ़नाक अभियान शुरू हुआ।

कश्मीर घाटी में हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। गिरफ़्तार किये लोगों में राजनीतिक पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील, अध्यापक, छात्र, पत्रकार, डॉक्टर, धर्म-प्रचारक, व्यापारी व दुकानदार शामिल हैं। बहुतेरे, नौजवान और बच्चे भी गिरफ़्तार किये गये हैं। गिरफ़्तार किये गये लोगों में ज़्यादातर की उम्र 16 से 45 साल के बीच है। गिरफ़्तार किये लोगों में से सैकड़ों लोगों को कश्मीर से सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर देश की अन्य जेलों में रखा गया है। 285 कश्मीरी बंदी उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं—इनमें से 85 बंदी आगरा की केंद्रीय जेल में रखे गये हैं।

यह भी यातना देने का बेरहम तरीक़ा है। ऐसा इसलिए किया गया है कि कश्मीरी बंदियों से उनके सगे-संबंधी आसानी से न मिल सकें, न बंदियों को क़ानूनी सुविधा आसानी से मिल सके। ज़ाहिर है, मिलने के लिए हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, अच्छा-ख़ासा वक़्त लगेगा, और जाना-लौटना सब मिलाकर इसमें बीस-तीस हज़ार रुपये तो ख़र्च हो ही जायेंगे। फिर भी बंदी से मुलाक़ात हो पायेगी, इसकी गारंटी नहीं, क्योंकि जेल के दरवाज़े पर आपको बताया जायेगा कि आपके पास जम्मू-कश्मीर पुलिस का सत्यापन (वेरिफ़िकेशन) पत्र नहीं है!

मुलाकाती को इस बारे में पहले से नहीं बताया गया होता है। आपका आधार कार्ड-पैन कार्ड कोई काम नहीं आयेगा! वापस कश्मीर जाइये, काग़ज़ का यह टुकड़ा (वेरिफ़िकेशन लेटर) लाने के लिए! चूंकि कश्मीर में 5 अगस्त से ही टेलीफ़ोन-मोबाइल-इंटरनेट-फ़ैक्स आदि बंद कर दिये गये हैं—यहां तक कि डाक सेवा भी काफ़ी सीमित कर दी गयी है—इसलिए इनकी मदद ली ही नहीं जा सकती।

उधर, असम में बड़े पैमाने पर डिटेंशन सेंटर (नज़रबंदी केंद्र) बनाये जा रहे हैं। ऐसी चर्चा है कि एशिया का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर असम में गुवाहाटी के पास बन रहा है, जो सितंबर के अंत तक तैयार हो जायेगा। नाज़ी जर्मनी ने आसविज़ (पौलैंड) में जिस तरह कंसंट्रेशन कैंप (यातना शिविर) बनाये थे, कुछ-कुछ उसी तर्ज पर असम में नज़रबंदी केंद्र बनाये जा रहे हैं।

इन नज़रबंदी केंद्रों में उन्हें रखा जायेगा, जिनके नाम असम एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) में नहीं हैं और जिन्हें ग़ैर-वतनी व ग़ैर-मुल्की घोषित किया गया है। असम के ऐसे 19 लाख बाशिंदों को भारत की अपनी नागरिकता प्रमाणित करने के लिए अभी एक मौक़ा और दिया गया है। लेकिन नज़रबंदी केंद्र ऐसे लोगों का अपना जबड़ा खोले इंतज़ार कर रहे हैं!

नरेंद्र मोदी व अमित शाह कह चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी को लागू किया जायेगा। जाहिर है, जगह-जगह असम की तर्ज़ पर नज़रबंदी केंद्र बनेंगे और कश्मीर की तर्ज़ पर नाकाबंदी और बाड़ाबंदी होगी। देश के अंदर सरहदें बनायी जा रही हैं!


(लेखक वरिष्ठ कवि और राजनीतिक विश्लेषक हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)

Chandrayaan-2
NRC Assam
Jammu and Kashmir
Political Party
kashmiri people's
BJP
Narendera Modi
Amit Shah

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License