NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बंगाल में प्रस्तावित वित्तीय केंद्र को राजनीति ने ख़त्म कर दिया
2010 में वाम सरकार द्वारा प्रस्तावित इस परियोजना पर टीएमसी ने 2011 में अपना दावा किया। लेकिन अब तक यह परियोजना सुचारू नहीं हो पाई है।
रबीन्द्र नाथ सिन्हा
28 Sep 2021
Politics Grounds Proposed Financial Hub in Bengal
Image Courtesy: The Economic Times

कोलकाता: नई-नई विकसित हुई "सेटेलाइट सिटी न्यू टॉउन" में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र का दो बार आधारशिला कार्यक्रम हो चुका है, लेकिन यह अब भी पश्चिम बंगाल से दूर नज़र आ रही है। इस परियोजना का सपना ममता बनर्जी की पूर्ववर्ती वाम सरकार ने देखा था। इस पूरे घटनाक्रम को आप राजनीतिक असहिष्णुता या उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री की पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई अहम परियोजना से नफ़रत कह सकते हैं।

यहां पूर्ववर्ती कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र की परियोजना का प्रस्ताव भट्टाचार्य और तत्कालीन केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने साझा तौर पर 13 अक्टूबर 2010 को रखा था। उस वक़्त की यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहीं ममता बनर्जी ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी थी। 

मुखर्जी ने आशा लगाई थी कि इस परियोजना से पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के विकास को गति मिलेगी। वहीं भट्टाचार्य ने दावा किया था कि परियोजना से 2 लाख नौकरियां पैदा होंगी। वहीं अप्रत्य़क्ष तौर पर भी बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार मिलेगा। बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से प्रेरित 100 एकड़ में फैली इस परियोजना को पांच साल में पूरा होना था। 

जब वाम सरकार को हटाकर 20 मई, 2011 को ममता बनर्जी सत्ता में आईं, तो उन्होंने परियोजना को जारी रखने का फ़ैसला किया, लेकिन नई अनुमतियों की बाध्यता कर दी और 10 मार्च, 2012 को फिर से परियोजना का आधार रखा। उनके वित्त मंत्री अमित मित्रा का दावा था कि एक बार अगर यह परियोजना पूरी तरह चालू हो गई, तो यह लंदन, सिंगापुर और दुबई जैसे बड़े वित्तीय केंद्रों से जुड़ जाएगा।  उन्होंने भी दावा किया कि इससे बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा होंगे, मित्रा ने भी इसके लिए BKC का उदाहरण दिया, जो प्रसिद्ध वित्तीय केंद्र बन चुका है।

अब तक नाबन्ना ने यह नहीं बताया कि बनर्जी ने इस परियोजना को नए कार्यक्रम के तौर पर प्रस्तावित क्यों किया। न्यू टॉउन में भूमि अधिग्रहण मुद्दा नहीं हो सकता था, क्योंकि इस इलाके को HIDCO (हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेल्पमेंट कॉरपोरेशन) ने विकसित कर रहा है और वहां पर्याप्त मात्रा में खाली ज़मीन उपलब्ध थी। बता दें सिंगूर और नंदीग्राम में ममता बनर्जी के विरोध प्रदर्शन में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा ही केंद्र में था। 

उस समय की अपुष्ट रिपोर्टों से पता चलता है कि वाम सरकार की औद्योगिक कोशिशों में निजी क्षेत्र का रुझान बढ़ाने के लिए, प्रदेश सरकार ने अच्छे रिकॉर्ड वाले एक निजी क्षेत्र के संस्थान को इस परियोजना का काम दिया था। अपने पिछले दो कार्यकाल में निजी क्षेत्र को राज्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ममता बनर्जी ने कुछ निवेश सम्मेलन भी किए हैं। बनर्जी की मंशा HIDCO को वित्तीय केंद्र बनाने की जिम्मेदारी देने की थी। बल्कि ममता के विश्वासपात्र मंत्री फिरहाद हकीम और कुछ अधिकारियों ने आधारशिला कार्यक्रम में दावा भी किया था कि "हमारी परियोजना ही असली है।"

सूत्रों के मुताबिक़, राजनीति, खासकर ममता बनर्जी की प्रणब मुखर्जी से नफ़रत ही, ममता बनर्जी के कदमों की वज़ह बनी। जब प्रणब मुखर्जी यूपीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने, तो उन्होंने गठबंधन में साझेदार होने के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव में अपना समर्थन नहीं दिया। आखिरकार 25 जुलाई, 2012 को मुखर्जी राष्ट्रपति बन गए।   

बनर्जी को मुखर्जी के वामपंथियों के साथ अच्छे संबंध सुहाते नहीं थे। ऐसी परियोजना जिसकी कल्पना भट्टाचार्य ने की थी और आधारशिला मुखर्जी ने रखी थी, वह इस परियोजना को ममता बनर्जी द्वारा शुरुआत में नकारने जाने और बाद में अपनी उपज बताए जाने की वज़ह बनी। 2011 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ममता और भी ज़्यादा आक्रामक हो गईं और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थीं।

जब कलकत्ता के दक्षिणी हिस्से में मेट्रो एक्सटेंशन का आधारशिला कार्यक्रम रखा गया, तो उसमें बनर्जी ने भट्टाचार्य को बुलाया तक नहीं। भट्टाचार्य ने तब कहा था, "मुझे कोई न्योता नहीं मिला।"

वित्तीय केंद्र ख़बरों में क्यों है?

10 सितंबर को परियोजना स्थल (जिसे अब फिनटेक हब के नाम से जाना जाता है) पर भूखंड खरीदने के लिए हकीम ने पंजीकरण करवाने के लिए एक ऑनलाइन सुविधा चालू करवाई। आवास और परिवहन मंत्री ने इस दौरान अपनी सरकार द्वारा उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता भी जताई। उन्होंने कहा, "हम इस फिनटेक परियोजना को हमारे राज्य के लिए वित्तीय क्रांति का उत्प्रेरक बनाना चाहते हैं।"

मी़डिया के साथ साझा की गई जानकारी के मुताबिक़, 70 एकड़ के प्रोजेक्ट में अब तक 48 एकड़ में आवंटन हो पाया है। वामपंथी सरकार ने 2011 विधानसभा चुनाव के 6 महीने पहले ही एसबीआई, यूको बैंक, तत्कालीन यूबीआई (बाद में पंजाब बैंक के साथ विलय) और यूटीआई म्यूचुअल फंड जैसे संस्थानों के साथ परियोजना में भागीदारी को लेकर बातचीत करना शुरू कर दिया था। 

आधारशिला रखे जाने के साढ़े नौ साल बाद ऑनलाइन प्लॉट रजिस्ट्रेशन सुविधा का चालू होना बताता है कि निवेशकों का परियोजना में ज़्यादा रुझान नहीं है। शायद यह बात परियोजना के पूरे होने की तारीख़ पर प्रशासन की चुप्पी को बयां करती है।  अब तक, बंधन बैंक ने ही परियोजना में रुझान दिखाया है। 

बीकेसी के बारे में

अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस परियोजना को MRDA (मुंबई मेट्रोपॉलिटिन रीजनल डिवेल्पमेंट अथॉरिटी) ने बनाया था। इसका जिक्र 2005 के बजट में किया गया था, तब यह बजट पी चिदंबरम ने पेश किया था। अगले दो सालों में यह लगभग सुचारू रूप में आ गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 370 एकड़ में फैली इस परियोजना 1.17 लाख वर्ग मीटर की ऑफ़िस बिल्डिंग तक हैं। यहां रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया, कई भारतीय और विदेशी बैंक व वित्तीय संस्थान, कुछ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट संस्थान के साथ-साथ महंगी होटल भी मौजूद हैं।

लेखक कोलकाता आधारित वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Politics Grounds Proposed Financial Hub in Bengal

Mamata
TMC
Left Front
West Bengal
financial hub
fintech
Firhad Hakim
politics
Investment
Buddhadeb Bhattacharjee
Bandra Kurla Complex
Amit Mitra
Pranab

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

जम्मू-कश्मीर के भीतर आरक्षित सीटों का एक संक्षिप्त इतिहास

मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF

‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान

केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम

बढ़ती हिंसा और सीबीआई के हस्तक्षेप के चलते मुश्किल में ममता और तृणमूल कांग्रेस

बलात्कार को लेकर राजनेताओं में संवेदनशीलता कब नज़र आएगी?

पश्चिम बंगाल: विहिप की रामनवमी रैलियों के उकसावे के बाद हावड़ा और बांकुरा में तनाव


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License