NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजसमन्द के हत्यारे के समर्थन में भीड़ ने पुलिस पर किया हमला
गौरतलब है कि इस घटना से पहले भी हिंदूवादी संगठन लगातार सोशल मीडिया पर अपनी नफतरभारी राजनीति फैला रहे हैं . ये भड़काऊ मैसेज अक्सर घटना के बाद या किसी घटना को अंजाम दिए जाने के लिए फैलाये जाते रहे हैं .
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Dec 2017
udaipur

राजस्थान में सांप्रदायिक ज़हर लगातार फैलता जा रहा है , उदयपुर में हो रही घटनाएँ इसकी गवाही दे रहीं है .14 दिसंबर को उदयपुर में हिन्दूवादी संगठनों ने राजसमंद के हत्यारे शम्बुलाल के समर्थन में एक हिंसक प्रदर्शन किया . इस प्रदर्शन में काफ़ी बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे और बताया जा रहा है कि उन्होंने पत्थर बाज़ी, तोड़फोड़ और आगज़नी करी . इस घटना में काफी लोगों के साथ 12 पुलिस वाले ज़ख्मी हुए और पुलिस ने 175 लोगों को गिरफ्तार किया है .इन लोगों में से 50 को राज्य कार्य में बाधा डालने के आरोप में अब भी हिरासत में रखा गया है और बाकियों को छोड दिया गया है . हिंसा और आगज़नी करते हुए ये भीड़ भड़काऊ नारे भी लगा रही थी और दुकानें ज़बरदस्ती बंदी करा रही थी और उनका मकसद शहर के मुख्य मस्जिद के सामने हंगामा खड़ा करना था . पुलिस के मुताबिक भीड़ को काबू करने के लिए उन्हें आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा .

उदयपुर के माकपा सचिव राजेश सिंघवी के बताया कि इस घटना से पहले शहर के मुस्लिम समाज के लोगों ने 8 दिसंबर को राजसमन्द के घटना के विरोध में एक शांति पूर्ण प्रदर्शन किया था , इसके बाद ये बात फैलाई गयी कि इस प्रदर्शन में कुछ लोगों ने भड़काऊ नारे लगाये .इसपर पुलिस ने करीब 10 मुस्लिम युवकों को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया .

राजेश ने आगे कहा कि “ इस घटना से नज़र आ रहा है कि राज्य सरकार सांप्रदायिक तत्वों को हवा दे रही है . ये साफ़ है कि प्रशासन राज्य सरकार के दबाव में  काम कर रहा है तभी हुडदंगियों की इतनी बड़ी भीड़ शहर में जमा हो सकी, सवाल ये है कि इन्हें पहले ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया .’’

बताया जा रहा है कि 14 दिसंबर के प्रदर्शन के लिए उदयपुर के बाहर से भी  लोगों को लाया गया था . याद रहे कि इससे पहले राजसमन्द में शम्भू लाल नामक एक शख्स ने एक मुस्लिम मज़दूर अफ्रजुल को कुल्हाड़ी से क़त्ल कर दिया और फिर उसपर केरोसीन छिड़कर कर उसे जला दिया था . इसके साथ ही उसने अपने 14 साल के भांजे से इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था . इसके बाद इस शख्स ने मेवाड़ की जनता से अपील करते हुए एक वीडियो बनाया जिसमें उसने कहा कि जेहादी हमारी संस्कृति को ख़तम कर रहे हैं और हमें महाराणा प्रताप के तरह इनसे लड़ना है .

गंभीर बात ये है कि इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने शम्भू लाल के समर्थन में पोस्ट लिखे और लोगों से अपील कि वह शम्भूलाल के परिवार वालों के लिए पैसे इकठठा करें . जिस अकाउंट नंबर को शम्भूलाल की पत्नी का अकाउंट बताकर पैसे इक्कठा करने की कोशिश की गयी उसमें करीबन तीन लाख रुपये जमा हो गए थे . पुलिस के मुताबिक ये राशि 516 लोगों द्वारा देश के करीबन हर राज्य से भेजी गयी , पुलिस ने फिलहाल इस अकाउंट को बंद करा दिया है . इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है और इलाके में इन्टरनेट को भी बंद कर दिया गया है .

गौरतलब है कि इस घटना से पहले भी हिंदूवादी संगठन लगातार सोशल मीडिया पर अपनी नफतरभारी राजनीति फैला रहे हैं . ये भड़काऊ मैसेज अक्सर घटना के बाद या किसी घटना को अंजाम दिए जाने के लिए फैलाये जाते रहे हैं . इनका क्या अंजाम होता है ये हम पहले ही झारखण्ड की लिंचिंग और बंगाल के मालदा के दंगों में देख चुके हैं . दूसरी बात ये कि राजस्थान सरकार लगातार इस तरह की सांप्रदायिक घटनाओं को दबाने में नाकामियाब रही है , और सामजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वो दबे छुपे तरीके से इन्हें बढ़ावा भी दे रही है . पिछले एक साल में 6 लिंचिग की घटनाएँ हुई हैं और उनपर लचर कार्यवाही एक डरावना दर्शय पेश कर रही है .साथ ही एक कातिल का इस तरह समर्थन सामाज के पतन की ओर भी इशारा करता है . 

rajsamand
Udaipur
Communalism
shambhulaal
Mohammad Afrazul

Related Stories

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?

'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License