NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी सडकों पर उतरेंगे किसान
किसान नेताओं का दावा है कि 15 मार्च को होने वाले इस विरोध प्रदर्शन में करीब 15,000 किसान हिस्सा लेंगे I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Mar 2018
किसान आन्दोलन

महाराष्ट्र के ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के बाद अब उत्तर प्रदेश के किसान लड़ने की तैयारी में हैं I उत्तर प्रदेश के किसान उत्तर प्रदेश किसान सभा (जो अखिल भारतीय किसान सभा की उत्तर प्रदेश इकाई है) के झंडे तले हज़ारों की संख्या में 15 मार्च को राजधानी लखनऊ पहुँचेंगे I ये विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कर्ज़ माफ़ी के वादे से पीछे हटने और बिजली की कीमतों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ है I किसान नेताओं का दावा है कि 15 मार्च को होने वाले इस विरोध प्रदर्शन में करीब 15,000 किसान हिस्सा लेंगे I

राजस्थान और महाराष्ट्र के किसानों की तरह ही उत्तर प्रदेश के किसान भी कर्ज़ माफ़ी, न्यूनतम समर्थन मूल्य, बिजली की कीमतों को कम करने, पेंशन दिए जाने, आवारा पशुओं की समस्या का निवारण और स्वामीनाथन कमीशन की बाकि सिफारिशों को लागू करने की माँग कर रहे हैं I पिछले साल किसानों की कर्ज़ माफ़ किये जाने के नाम पर प्रदेश के हज़ारों किसानों के सिर्फ कुछ रुपये माफ़ किये गए थे, उदाहरण के तौर पर कुछ किसानों के 90 पैसे तो कुछ के 50 रुपये माफ़ किये गए थे I किसानों के साथ किये गए इस भद्दे मज़ाक से ज़ाहिर है कि किसान नाराज़ हैं I 

इस मुद्दे पर न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उत्तर प्रदेश किसान सभा के राज्य सचिव मुकुट सिंह ने कहा “उत्तर प्रदेश सरकार ने 2016 के बाद से बिजली की कीमतों में लगातार वृद्धि की है  और अब तो 7 ज़िलों में बिजली को निजी हाथों में दिया जा रहा है I इससे बिजली की कीमतें इतनी बढ़ गयी हैं कि खेती की लागत अब आसमान छूने लगी है I देहातों में तो बिजली की कीमतों में 150 गुना की वृद्धि हो गयी है I खेती के लिए ज़रूरी चीज़ों जैसे खाद, डीज़ल और बाकि चीज़ों से खेती की लागत बढ़ती ही जा रही है और दूसरी तरफ़ उपज पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे रही है I यही वजह है कि किसानों को कर्ज़ लेना पड़ता है इसके आलावा किसान पशु को बाज़ार में बेचे जाने पर रोक लगाने की वजह से आवारा पशुओं की समस्या भी बढ़ गयी है, क्योंकि ये पशु खेती को बर्बाद कर देते हैं I केंद्र सरकार ने इस बजट में कहा है कि वह कर्ज़ माफ़ कर रहे हैं पर ज़मीन पर ये रत्ती भर भी दिखाई नहीं दे रहा है I”

हमारे ये पूछने पर कि योगी आदित्यनाथ ने जो कर्ज़ माफ़ी का वादा किया था उसके क्या हालात है पर मुकुट सिंह जी ने कहा “वो सरासर धोखा था सरकार ने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि वह सभी किसानों का पूरा कर्ज़ माफ़ करेगी पर बाद में कहने लगी कि ये लघु और समान्त किसानों के लिए किया जायेगा I लेकिन उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ 80 लाख़ लघु और सीमान्त किसान हैं जिनमें से सिर्फ 7000000 किसानों का कर्ज़ माफ़ किया गया और वो भी बहुत कम I उनमें से भी कई हज़ार किसानों के 1 रुपये किसी के 50 रुपये माफ़ किये गए I ये तो किसानों के साथ एक मज़ाक है और किसानों का अपमान है I”

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के कर्ज़ माफ़ी और समर्थन मूल्य की सभी वादों की तब पोल खुल गयी जब जनवरी में आलू की खेती करने वाले किसानों ने विधानसभा मार्ग पर आलू फेंक दिए I किसान नेताओं ने बताया कि ऐसा इसीलिए किया गया था क्योंकि आलू की कीमतें बाज़ार में बहुत ज़्यादा गिर गयी थी और किसानों के पास और कोई चारा नहीं बचा था I एक क्विंटल उत्पादन पर करीब 1,000 से 1,100 रुपये की लागत लगती है और सरकार इसपर सिर्फ 559 रुपये दे रही थी, ऊपर से सरकार ये दावा कर रही थी कि वह लागत का डेढ़ गुना दे रही है I

सरकार के इस झूठ और वादा खिलाफी के विरोध में ही प्रदेश भर से आ रहे किसान 15 मार्च को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेंगे I ये प्रदर्शन अखिल भारतीय किसान सभा के झंडे तले होगा और उसमें मुख्य वक्ता के तौर पर AIKS के महासचिव हनन मौला, AIKS के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले और CPI(M) की बड़ी नेता सुभाषिनी अली शमिल होंगे I किसान नेताओं को उम्मीद है कि इस आन्दोलन से राजस्थान और महाराष्ट्र की तरह ही किसानों की एकता बनेगी I

अखिल भारतीय किसान सभा
किसान आन्दोलन
CPIM
उत्तर प्रदेश
लखनऊ

Related Stories

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम

जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License