NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान चुनाव : दलितों के गुस्से से डरी वसुंधरा सरकार, अब वोट बांटने की कोशिश
“दलितों में बीजेपी के प्रति बहुत नाराज़गी है और यही वजह है कि बीजेपी ने दलित वोटों को बांटने के लिए कई सारे नए संगठन बनाए हैं।”
ऋतांश आज़ाद
28 Nov 2018
rajsthan polls

सात दिसंबर को होने वाले राजस्थान चुनावों में दलित समुदाय के वोट एक अहम भूमिका निभाएंगे। 2011 की जनगणना के हिसाब से राजस्थान में दलितों की संख्या 17.8 प्रतिशत है और राज्य की 34 विधानसभा सीटें अनसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। 2013 में बीजेपी ने 34 सीटों में से 32 पर जीत हासिल की थी और इसके बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन जानकारों की माने तो इस बार राज्य के दलित बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं।राजस्थान में दलितों की आबादी बाकी राज्यों से ज़्यादा है, लेकिन सामंती जड़ों के गहरे होने की वजह से यहां दलित काफी खराब हालात में हैं। जैसा की ऊपर बताया गया है कि 2013 के चुनावों में दलित समुदाय ने बीजेपी को भारी समर्थन दिया था। लेकिन इस बार कई ऐसे मुद्दे हैं जिनकी वजह से दलित आज बीजेपी से साफ तौर पर खफा दिख रहे हैं।

मई 2015 में मेघवाल दलितों और जाटों के बीच एक ज़मीन के विवाद में एक व्यक्ति कि मौत हुई। जिसके बाद पुलिस ने आरोप लगाया कि इस व्यक्ति को दलितों द्वारा ही मारा गया है। मेघवालों ने इस बात को सिरे से नकार दिया। इसके बाद जाटों कि एक भीड़ ने दलितों पर हमला किया जिसमें दो लोगों कि मौत हुई और दो घायल हुए। इस मामले में दलितों का आरोप है की स्थानीय बीजेपी के विधायक ने इस मामले में जाटों की मदद की और वह उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं।मार्च, 2016 में बीकानेर ज़िले की 17 साल की एक दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल की लाश उसके स्कूल के वाटर टैंक में मिली। आधिकारिक तौर पर कहा गया कि लड़की का रेप हुआ जिसके बाद उसने अत्महत्या की, लेकिन परिवार वालों का कहना था कि उसका कत्ल हुआ था। परिवार का कहना था कि उसके शिक्षक ने उसका रेप किया और फिर उसका कत्ल किया गया। दलित समाज के लोग और मानवाधिकार कार्यकर्ता यह माँग कर रहे हैं कि इस मामले में सीबीआई जाँच हो लेकिन आरोप है कि वसुंधरा सरकार ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया।

इसी तरह दलितों पर दमन के मामले में राजस्थान देश दूसरे स्थान पर है। आंकड़ों के हिसाब से दलितों पर दमन के 2014 में 6735 , 2015 में 5911 और 2016 में 5134 मामले सामने आए हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह जातिवादी दमन बीजेपी कि सरकार में और उभरकर आया है।

इन ज़ख़्मों पर मिर्ची का काम किया एससी-एसटी एक्ट में बदलाव और उसके बाद राजस्थान में हुए दलितों पर दमन ने। दलित संगठनों का कहना है कि इस कानून को निष्प्रभावी बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में SC/ST (PAO) एक्ट की तीन मुख्य बिन्दुओं को बदलने का आदेश दिया था I सुप्रीम कोर्ट ने कहा SC/ST (PAO) एक्ट के अंतर्गत मामलों में अग्रिम ज़मानत का प्रावधान होना चाहिए, किसी भी सरकारी कर्मचारी को इस एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार करने से लिए पहले उच्च अधिकारियों से अनुमति ज़रूरी होगी और कोर्ट ने कहा कि पहले पुलिस अधिकारी ये तय कर लें कि अपराध हुआ है या नहीं उसके बाद ही एफआईआर फ़ाइल करेI दलितों का ये भी आरोप है कि सरकार द्वारा इस मामले में कमज़ोर दलीलें पेश की गयी इसीलिए इस तरह का निर्णय लिया गया।

इसके बाद राजस्थान भर में दलित भारी संख्या में 2 अप्रैल को सड़कों पर उतरे। जिसके बाद उनपर आरएसएस से जुड़े संगठनों और करणी सेना के लोगों ने जगह जगह हमला किया और पुलिस मूक दर्शक बनकर खड़ी रही। दलितों की दुकानें, गाड़ियां और हॉस्टल जलाए गए। यहाँ तक की राजस्थान के करौली ज़िले के हिंडोन में दो दलितों के घरों पर हमले किये गए, इनमें से एक बीजेपी के विधायक हैं और दूसरे कांग्रेस के पूर्व विधायक हैंI

इसके ऊपर फ़र्ज़ी मुकदमों में राज्यभर से हज़ारों दलितों को गिरफ्तार किया गया और उनपर करीब 300 से ज़्यादा मुकदमे दर्ज़ किए गए।
अब बाद में एससी-एसटी एक्ट को पुराने रूप में बहाल तो किया गया लेकिन अब देखना है कि दलित इसे किस तरह लेते हैं। 
दलित शोषण मुक्ति मंच से जुड़े एक कार्यकर्ता का कहना है की इस पूरे प्रकरण ने आरएसएस और बीजेपी सरकार का असली चेहरा दिखा दिया। इसने दिखाया कि कहने को आरएसएस हिन्दू एकता कि बात करती है लेकिन असल में सामंती जातिवादी की व्यवस्था को बरकार रखने की पक्षधर है। हिन्दू एकता का अर्थ सिर्फ दलितों को मुसलमानों से लड़ाने का नाम है और जाति व्यवस्था को बरकरार रखने का नाम है।
बीजेपी सरकार द्वारा 20,000 सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना , 300 स्कूलों को बंद करने की कोशिश। इसी तरह स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के प्रयास। जैसे 2016 में राजस्थान सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत 41 पब्लिक हेल्थ सेंटर निजी हाथों में दे दिये। 2017 में और 57 पब्लिक हेल्थ सेंटर भी पीपीपी के अंतर्गत अंतर्गत लाये गए।

निजीकरण की वजह से दलित छात्र और दलित परिवार सरकारी सुविधायों से सबसे ज़्यादा वंचित हुए। इसकी वजह यह है कि आर्थिक रूप से पिछड़ा होने कि वजह से वह महंगे निजी संस्थानों में पढ़ाई और दूसरी सेवाएँ प्राप्त नहीं कर पाते।साथ ही जानकारों का कहना है कि बाकी क्षेत्रों में निजीकरण कि वजह से दलित आरक्षण का फायदा भी नहीं उठा पा रहे हैं।

एक सूत्र ने बताया कि राजस्थान में 366814 एससी/एसटी छात्रों को हर साल छात्रवृत्ति मिलती थी लेकिन इस साल उनमें से 311793 को अब तक छात्रवृत्ति नहीं मिली। यह मुद्दा इन चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरेगा।राजस्थान में ज़्यादातर दलित या तो खेत मज़दूर हैं या फिर लघु किसान। कृषि संकट की वजह से वह दूसरे काम ढूँढ़ रहे हैं। लेकिन गाँवों में मनरेगा के अंतर्गत काम न मिलने की वजह से सबसे ज़्यादा असर पिछड़ी जातियों पर ही पड़ा है।

इन्हीं सब मुद्दों की वजह से दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी का कहना है कि आरक्षित 32 सीटें तो दूर कि बात है बीजेपी को इससे आधी सीटें भी मिलना मुश्किल हैं। उन्होंने कहा कि दलितों में बीजेपी के प्रति बहुत नाराज़गी है और यही वजह है कि बीजेपी ने दलित वोटों को बांटने के लिए कई सारे नए संगठन बनाए हैं।भंवर मेघवंशी ने कहा “अंबेडकर के नाम से बीजेपी ने न जाने कितनी सारी पार्टियां बनाई हैं जिससे दलितों के वोटों का बिखराव हो। लेकिन मेरा आंकलन है कि दलित बीजेपी का चरित्र समझ गए हैं और वह इस जाल में नहीं फंसेंगे और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करेंगे।’’

Rajasthan elections 2018
rajasthan Assembly elections
BJP
Vasundhara Raje
SC
Dalit atrocities
Dalit movement
dalit vote

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License