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राजनीति
राजस्थान चुनाव: क्या इस बार महिलाएं बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगी ?
बीजेपी सरकार ने पिछले पाँच सालों में महिला सशक्तिकरण के बड़े बड़े वादे तो किए लेकिन ज़मीन पर कोई बदलाव नज़र नहीं आता ।
ऋतांश आज़ाद
30 Nov 2018
 women in rajasthan

राजस्थान के समाज में गहरी सामंतवादी जड़ें होने के कारण यह एक पिछड़ा हुआ प्रदेश रहा है । यही वजह है कि महिला सशक्तिकरण में आज भी यह सबसे पिछड़े प्रदेशों में शुमार होता है । बीजेपी सरकार ने पिछले पाँच सालों में महिला सशक्तिकरण के बड़े बड़े वादे तो किए लेकिन ज़मीन पर कोई बदलाव नज़र नहीं आता । 7 दिसम्बर को होने वाले चुनावों में महिलाओं के मत बहुत अहम होंगे और महिला जनसंगठनों से जुड़ीं नेताओं की माने तो  महिलाएं बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगी ।

केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की वसुंधरा सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया था, लेकिन राजस्थान की स्थिति देखने पर यह पूरी तरह खोखला नज़र आता है । जैसा की पहले के लेखों में बताया गया है राजस्थान सरकार ने एकीकरण के नाम पर करीब 20000 सरकारी स्कूलों को बंद किया । निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए 300 स्कूलों को निजी हाथों में देने के भी बहुत प्रयास हुए । सरकारी स्कूलों के बंद होने से लड़कियों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है । गरीब घरों से आने वाली बच्चियों को शिक्षा से वंचित करके शायाद सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का अपना वादा निभा रही है । यह तब है जब 2011 के सेंसस के हिसाब से राजस्थान की महिला अक्षरता दर सिर्फ 52.66 % है जो कि देश में सबसे खराब दर है । 15 से 17 की उम्र के बीच लड़कियों के स्कूल जाने की दर 72.1% है यह भी देश में सबसे खराब है ।ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन एससोसिएशन (ऐडवा )के द्वारा दिये गए आंकड़ों के हिसाब से राजास्थान में बच्चियों में पिछले साल ड्रौपआउट दर 37॰4 % थी । यह बेहद चिंताजनक है ।

जहां तक बेटियों को बचाने की बात है तो लिंग अनुपात में भी राजस्थान सबसे पिछड़े राज्यों में आता है । राजस्थान में 1000 लड़कों पर 888 लड़कियां हैं , यह बेहद एक शर्मनाक स्थिति है । नेशनल फेडेरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की राजस्थान सचिव निशा सिद्धू कि माने तो इन हालातों को बदलने के लिए सरकार ने खास कुछ नहीं किया है , बल्कि पिछले पाँच सालों में हालात खराब ही हुए हैं ।

महिलाओं के स्वास्थ की बात करें तो राज्य यहाँ भी पिछड़ा हुआ है । प्रदेश में 21.1 % बच्चियाँ कुपोषित हैं और 51 % महिलाओं में खून की कमी है । यह स्थिति राजस्थान में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की खराब हालत की ओर भी इशारा करती है । निशा सिद्धू का कहना है कि राज्य में काँग्रेस की सरकार में सरकारी दुकानों से कुछ दवाइयाँ सस्ते दरों पर और कुछ दवाएं मुफ्त मिल जाया करती थीं।

कांग्रेस सरकार के अंतर्गत निशुल्क दवाओं और जांच करने की स्कीम चालू की गयी थी। लेकिन जन स्वास्थ्य अभियान केडॉ. नरेंद्र के अनुसार यह अब ठीक ढंग से लागू नहीं की जा रही है। होता यह है कि निशुल्क दवाओं के बजाय डॉक्टर अब दूसरी दवाएं लिख देते हैं और अब इसकी ठीक ढंग से निगरानी नहीं की जा रही है। इस वजह से सबसे ज़्यादा असर भी महिलाओं पर ही पड़ा है , क्योंकि उनके स्वास्थ्य पर वैसे भी किसी का ध्यान नहीं जाता ।

महिला सुरक्षा की यह हालत है कि महिलाओं पर हिंसा के मामले में राजस्थान आंकड़ों के हिसाब से चौथे नंबर पर आता है । 2016 की एक रिपोर्ट के हिसाब से राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 27442 मामले सामने आए थे । इसी साल रेप के 3291 मामले सामने आए ।

ऐडवा की राजस्थान सचिव सुमित्रा चोपड़ा ने कहा “राजस्थान में महिला सुरक्षा ही हालत बद से बदतर हो गयी है । चार साल पहले महिला अपहरण के प्रतिदिन 14 मामले सामने आते थे वहीं अब यह आंकड़ा 17 हो गया है । इसी तरह 2014 से 2015 के बीच बच्चियों से 5995 यौन शोषण के मामले सामने आए हैं। पीड़ितों के लिए सरकार ने पुनर्वास की कोई योजना नहीं बनाई है और न ही उन्हें तुरंत मुआवज़ा मिलता है ।’’

जहाँ तक महिलाओं में रोज़गार की स्थिति है तो यहाँ भी राज्य की हालत खराब है । हाल में बेरोज़गारी पर आई अज़ीमप्रेम जी विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार 100 पुरुषों पर सिर्फ 29 महिलाएं काम करती हैं यह राष्ट्रीय बेरोज़गारी औसत से भी कम है । ऐडवा के द्वारा दिये गए आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश की 2 लाख महिलाएं आंगनवाड़ी केन्द्रों और आशा सहियोगियों के तौर काम करती हैं । देश भर की तरह यहाँ भी उन्हे सिर्फ 1320 रुपये मिलते हैं और वह भी साल में सिर्फ 10 महीने । निशा सिद्धू का कहना है “ यह महिलाएं कई बार अपने हक़ के लिए सड़कों पर उतर चुकी हैं लेकिन उनका हक़ उन्हे देने के बजाए सरकार उन पर लठियाँ बरसाती है।’’

 जैसा की पहले के लेखों में भी बताया गया है कि राजस्थान में नरेगा के तहत अब काम बहुत कम मिलता है । जानकार बताते हैं कि इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई हैं महिलाएं, जो कि नरेगा के तहत मिलने वाले काम से छोटी मोती कमाई कर लिया करतीं थीं ।

जानकारों का कहना है कि इन सब मुद्दों की वजह से ऐसा लग रहा है कि महिलाओं का वोट बीजेपी के खिलाफ जायेगा ।

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