NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान : इस चुनाव में कांग्रेस का समर्थन क्यों करना चाहेंगे गुर्जर?
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल के दौरान उठे आंदोलन में गुर्जर समुदाय के 35 लोग मारे गए थे।
तारिक अनवर
22 Nov 2018
Translated by महेश कुमार
rajasthan

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रभावशाली गुर्जर समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। यह समुदाय जो राज्य की आबादी का अनौपचारिक अनुमानित सात से नौ प्रतिशत हिस्सा है और कम से कम 25 विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। इनमें कराउली, दौसा, अजमेर और भरतपुर जिलों की सीटें शामिल हैं। हालांकि, समुदाय का दावा है कि वह 60 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में परिणाम को प्रभावित करता है।

गुर्जर समुदाय - राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार - मीणा समुदाय के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता के कारण परंपरागत रूप से बीजेपी का समर्थन करता रहा है। मीणा समुदाय 500 से अधिक आईएएस, आईपीएस और अन्य सफेद कॉलर नौकरी धारक हैं और जो एसटी की श्रेणी में आते हैं। क्योंकि दोनों समुदाय हमेशा खुद को एक दूसरे के विरोधी मानते हैं, मीणा समुदाय स्वयं को कांग्रेस के करीब पाता है।

लेकिन, इस साल विकसित हुए बड़े राजनीतिक घटनाक्रम जिसमें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस द्वारा सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावना है, उसके कारण वे कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं। पायलट गुर्जर समुदाय से संबंधित है। समुदाय के नेताओं का मानना है कि यदि सचिन मुख्यमंत्री बने, तो वह कांग्रेस के वायदे के अनुसार उनके लिए 5 प्रतिशत ‘कोटे में कोटा’ का वादा पूरा करेंगे।

सामुदाय के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा, "गुर्जर - जो सामाजिक रूप से पिछड़ी जाति है - स्पष्ट कारणों से कांग्रेस की तरफ झुक रहे हैं।"

जब उनके समर्थन के पीछे विशिष्ट कारणों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "लोकतंत्र में, हर कोई अपनी पसंद के उम्मीदवार या राजनीतिक दल के पक्ष में वोट करने के लिए स्वतंत्र है।"

हालांकि, समुदाय के लोगों ने इस निर्णय के पीछे कारणों की व्याख्या की है। उन्होंने कहा "यह कांग्रेस सरकार ही थी जिसने हमें पांच प्रतिशत आरक्षण का एक प्रतिशत आरक्षण दिया था, और देवनारायण बोर्ड को गुर्जर समुदाय को वित्तीय और अन्य लाभ देने के लिए स्थापित किया था। इसलिए, हमने कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने का फैसला किया है।"

इसे भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, और कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा के लिए चुनाव 7 दिसंबर को होंगे।

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण में पांच प्रतिशत कोटे के लिए गुर्जर समुदाय ने 11 से अधिक वर्षों तक लंबी लड़ाई लड़ी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल के दौरान आंदोलन में समुदाय के पैंतीस लोग मारे गए।

प्रारंभ में, गुर्जर अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहे थे। बाद में, उनकी मांग में विशेष बैकवर्ड क्लास (एसबीसी) श्रेणी बनाने की दिशा में बदलाव आया। अब, वे ओबीसी के उप-वर्गीकरण की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जाट और यादव जैसी प्रमुख जाति ओबीसी आरक्षण के लाभ को ज्यादा हासिल करते हैं।

कोटा आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बैंसला ने 2009 के लोकसभा चुनाव में टोंक-सवाई माधोपुर सीट से बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के नमो नारायण मीना से हार गए थे।

गुर्जर आरक्षण संघ के महासचिव शैलेंद्र सिंह धाभाई ने कहा कि सरकार में "कमज़ोर" प्रतिनिधित्व के कारण समुदाय की बात नहीं सुनी जा रहा है।

"हमें अपने समुदाय से अधिक से अधिक नेताओं को भेजने की जरूरत है। तभी हम सत्ता को मनाने में सक्षम होंगे, और यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी मांगें पूरी हो। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारी आबादी के अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व की इच्छा पूरी तरह से उचित है।"

गुर्जरों ने भरतपुर डिवीजन में मुख्यमंत्री राजे की अत्यधिक प्रचारित "गौरव यात्रा" को बाधित करने की धमकी दी जिसके बाद इस साल अगस्त में यह कमज़ोर पड़ गई थी। भरतपुर क्षेत्र में पिछले आंदोलनों के दौरान समुदाय के  सदस्यों को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ और पुलिस दर्ज़ मामलों को वापस लेने की मांग को लेकर कोटा के कई विधानसभा क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में यात्रा के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।

बाद में, गुर्जर कार्यकर्ताओं ने अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रैली से पहले अजमेर में एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उनके साथ बैठक की मांग की गई थी। जब प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के बाहर मुख्य सड़क को अवरुद्ध कर दिया, और टायर जला दिए थे पुलिस को उन्हें खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा था।

गुर्जर के अलावा, गडरीया, रायका, गाडिया-लोहर और बंजारा जैसे अन्य घुमंतू समुदायों को भी "सबसे पिछड़ी" श्रेणी में शामिल किया गया था, और पिछले साल दिसंबर में आरक्षण दिया गया था।

rajastahan polls
Rajasthan elections 2018
Assembly elections 2018
gurjar
sachin pilot
Meena community
BJP
Congress

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License