NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान : कांग्रेस के लिए किसान आंदोलन ने खोले विधानसभा के दरवाज़े
सभी मुद्दों में सबसे बड़ा मुद्दा कृषि संकट रहा और बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह भी लाल झंडे के तले चल रहा किसान आंदोलन बताया जा रहा है।
ऋतांश आज़ाद
11 Dec 2018
bjp

राजस्थान चुनावों में वही हुआ जिसका अंदाज़ा लगाया जा रहा था। राजस्थान में बीजेपी की बड़ी हार हुई है और कांग्रेस सरकार बना रही है। अब तक आए रुझान और नतीजों के हिसाब से राजस्थान की 200 सीटों जिनमें 199 पर चुनाव हुए उनमें काँग्रेस 101, बीजेपी 71, सीपीएम 2, बीएसपी 6, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 3, भारतीय ट्रायबल पार्टी 2 और निर्दलीय 12 सीटों पर जीत दर्ज कर रही हैं।

राज्य की राजनीति पर नज़र रखने वाले भी इसी प्रकार के नतीजों की उम्मीद कर रहे थे। अगर वोट प्रतिशत पर नज़र डालें तो काँग्रेस को करीब 39॰3 % और बीजेपी को 38॰5 % वोट मिले हैं। 2013 में हुए चुनावों में बीजेपी को 45॰17 % और काँग्रेस को 33.07% वोट मिले थे। यह साफ दिखाता है कि बीजेपी के वोट प्रतिशत में काफी कमी आई है।

2013 में बीजेपी मोदी लहर के चलते 163 सीटों पर जीती थी वहीं काँग्रेस 21 सीटों पर जीती थी। जहां एक तरफ काँग्रेस पिछली बार से 80 सीटें ज़्यादा जीतती दिख रही है, वहीं दूसरी दफा बीजेपी की सीटों में करीब 90 सीटों की गिरावट हुई है। यह भारी गिरावट है। खासकर उस समय जब मीडिया देश भर में बीजेपी को अजय घोषित कर चुकी थी। यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज बीजेपी देश की सबसे अमीर पार्टी है, धनबल और बाहुबल में भी यह पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। जानकार बताते हैं कि बीजेपी संगठनिक तौर पर भी काँग्रेस से ज़्यादा ताकतवर है।

इन बातों के अलावा राजस्थान लोकसभा सीटों के हिसाब से भी एक बहुत महत्वपूर्ण राज्य है। 2014 के लोक सभा चुनावों में बीजेपी सभी 25 लोक सभा सीटों पर जीती थी। लेकिन इन नतीजों से यह माना जा सकता है कि 2019 के लोक सभा चुनावों में राज्य से बीजेपी की सीटों में भी भारी कमी आएगी।

राजनीति के जानकार बीजेपी की हार की भविष्यवाणी इसीलिए कर रही थे क्योंकि राज्य के लोगों में ज़मीनी स्तर पर बहुत गुस्सा था। लोग जिन मुद्दों की वजह से नाराज़ हैं वह हैं किसानों की बेहाली, बेरोज़गारी, दलितों का दमन, शिक्षा का बाज़ारीकरण और गाय के नाम पर राज्य में बढ़ती हिंसा।

इन सभी मुद्दों में सबसे बड़ा मुद्दा कृषि संकट रहा और बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह भी लाल झंडे के तले चल रहा किसान आंदोलन बताया जा रहा है।

देश भर की तरह राज्य में भी कृषि संकट बहुत बड़ा मुद्दा है। यहाँ भी किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है और यहाँ भी किसान कर्ज़ों के तले दब रहे हैं। राज्य में उपज के सही दाम न मिलने की वजह से लहसुन के किसानों ने अत्महत्या तक की है, यह राज्य के इतिहास में पहले नहीं हुआ था।

मई में न्यूज़क्लिक कि रिपोर्ट के हिसाब से पिछले साल जहाँ एक क्विंटल लहसुन की कीमत 2850 रुपये थी वहीँ आज लहसुन की कीमत 200 से 700 रुपये क्विंटल हो गयी थीI ये समस्या और भी भयावह रूप इसीलिए ले रही है क्योंकि इस साल लहसुन की बम्पर फसल हुई थीI हालात ये हैं कि किसानों को लागत के आधे दाम भी नहीं मिल पा रहे हैंI किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने एक क्विंटल लहसुन का दाम 3400 रुपये तय किया था लेकिन वह इस दाम पर लहसुन खरीद नहीं रही है I

इसके अलावा किसी और फसल की भी सही कीमत नहीं मिली थी । यही वजह थी कि राज्य में सीपीएम और अखिल भारतीय किसान सभा के लाल झंडे तले किसान आंदोलन कर रहे हैं।

किसान अखिल भारतीय किसान सभा कर्ज़ माफ़ी, लागत के डेढ़ गुना दाम की माँग, बिजली की बढ़ती कीमतें के खिलाफ, किसानों की पेंशन और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैंI सरकार ने किसानों के 50,000 रुपये की कर्ज़ माफी की माँग को मान लिया था, लेकिन यह भी सिर्फ सहकारी बैंकों के लिए था। लेकिन लागत के डेढ़ गुना दाम अब तक नहीं मिल रहा ।

इसके साथ राज्य में बेरोज़गारी कि स्थिति भयावह है। सरकार ने दावा किया था कि उसने कौशल विकास योजना के अंतर्गत 2014 से 2017 के बीच 1 लाख 27 हज़ार 817 लोगों को प्रशिक्षित किया और उनमें से 42,758 लोगों को रोज़गार मिला। लेकिन सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 9904 लोगों को रोज़गार मिला, जो इस योजना की पूर्ण विफलता की ओर इशारा करता है। सीएजी ने सरकार को सलाह देते हुए यह भी कहा कि 'राज्य में कौशल विकास के ज़रिये बेरोजगारी की समस्या को तुरंत दूर किए जाने की आवश्यकता है।'

इसी तरह नेशन करियर सर्विस के हिसाब से राजस्थान में 8,80,144 लोगों ने खुद को बेरोज़गार पंजीकृत कराया था। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गयी इस योजना के तहत सिर्फ 19,605 रिक्तियां निकाली गयीं। इसका अर्थ है कि बेरोज़गारी के हिसाब से सिर्फ 2.2 % वेकेंसियां थीं। हमें यह भी समझना होगा कि बहुत से बेरोज़गार खुद को पंजीकृत नहीं कराते।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के अमित ने बताया कि सेंटर फॉर मॉनीटरी इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के हिसाब से 2012 में राजस्थान की बेरोज़गारी दर 3.2% थी , जो 2015 में बढ़कर 7.1% हुई। 2018 में यह दर बढ़कर अब 7.7% हो गयी है। जबकि राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर फिलहाल 5.6 %  है।

सीएमआईई के महेश व्यास ने कहा कि जिन लोगों के पास काम है या जो काम ढूँढ रहे हैं उनकी दर लेबर पूल में नोटबंदी से पहले जहाँ 47% थी वह नोटबंदी के बाद 41 से 42% हो गयी है यानी काम तलाश करने वालों में भी कमी आई है।

वसुंधरा राजे ने 15 लाख रोज़गार देने का वादा किया था लेकिन यह ज़मीन पर दूर दूर तक होता नहीं दिख रहा है।

राज्य में तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा था स्कूलों का बंद किया जाना। राज्यभर में 17000 स्कूलों को एकीकरण के नाम पर बंद कर दिया गया जिस वजह से 5 लाख बच्चों पर असर पड़ा ।

इसके साथ ही राज्य में एक और बड़ा मुद्दा रहा गाय के नाम पर मौब लिंचिंग कि घटनाएँ। 2017 में इस तरह कि 23 घटनाएँ सामने आयीं। राज्य सरकार पर इन मामलों में आरोपियों से साथ खड़े रहने का आरोप लगता रहा है। साथ ही बीजेपी पर राजस्थान को हिन्दुत्व की राजनीति कि प्रयोगशाला बनाए जाने का भी आरोप लगा है। यह भी जनता के गुस्से का एक कारण बताया जा रहा है ।

लेकिन अगर ध्यान से देखा जाये तो यह बीजेपी की हार तो है लेकिन काँग्रेस की भी जीत नहीं है। पूरे किसान आंदोलन के दौरान काँग्रेस एक बार भी ज़मीन पर दिखाई नहीं पड़ी। जानकार कहते हैं कि किसान सभा के किसान आंदोलन ने काँग्रेस के लिए विधानसभा के दरवाज़े खोल दिये हैं। यह इसीलिए भी हुआ क्योंकि शेखवाटी इलाके के अलावा वामपंथ राज्य में और कहीं भी मौजूद नहीं है । 

BJP
Congress
Rajasthan
Rajasthan elections 2018
CPIM
farmers protest

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License