NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान में बेरोजगारी हुई जानलेवा, 4 युवा ट्रेन के आगे आए, 3 की मौत
घटना के गवाहों के मुताबिक अत्महत्या करने से पहले इन लोगों ने कहा था कि ‘‘नौकरी लगेगी नहीं और खेती हमसे होगी नहीं।’’
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Nov 2018
alwar
Image courtesy : The Print India

राजस्थान के अलवर में चार बेरोज़गार युवाओं ने ट्रेन के सामने आकर अत्महत्या का प्रयास किया। इनमें तीन की मौके पर ही मौत हो गयी और एक गंभीर रूप से घायल है। यह घटना मंगलवार शाम की है। घायल का फिलहाल जयपुर में इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

इन चार लोगों के अलावा मौके पर दो और लोग मौजूद थे जिनसे फिलहाल पुलिस पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने बेरोज़गारी के परेशान होकर यह कदम उठाया। घटना के गवाहों के मुताबिक अत्महत्या करने से पहले इन लोगों ने कहा था कि ‘‘नौकरी लगेगी नहीं और खेती हमसे होगी नहीं।’’

यह चार युवा थे 24 वर्ष के मनोज, 22 वर्ष के सत्यनाराय मीणा, 17 साल के ऋतुराज मीणा और 22 साल के अभिषेक मीणा। इनमें अभिषेक मीणा के अलावा बाकी सबकी मौत हो चुकी है और अभिषेक बुरी तरह से घायल हैं।

इस घटना से हर कोई सकते में है। बताया जा रहा है कि यह सभी पढ़े लिखे युवा थे और अलवर में किराये के कमरे में रह रहे थे। मनोज और सत्यनारायन ने गेज्रुएशन (स्नातक) किया था और वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। ऋतुराज बीए फ़र्स्ट ईयर में थे और  हादसे में घायल अभिषेक 12वीं पास थे और रेलवे की तैयारी कर रहे थे।

इस घटना की जानकारी पुलिस को रात करीब 11:30 बजे मिली। पुलिस ने शव मौरचरी में दिये और घायल को स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया। बाद में उन्हें जयपुर भेज दिया गया। पोस्टमार्टम के बाद शवों को परिवार वालों को सौंप दिया गया। इस मामले की जाँच जारी है। लेकिन अब तक आई सूचना के हिसाब से इन मौतों का कारण बेरोज़गारी से पैदा हुई निराशा को बताया जा रहा है।

इस घटना ने फिर से राजस्थान में बढ़ती बेरोज़गारी और युवाओं की हताशा को उजागर किया है। आकड़ों पर नज़र डालें तो राजस्थान में बेरोज़गारी की स्थिति बत से बदतर होती जा रही है।

सरकार ने दावा किया था कि उसने कौशल विकास योजना के अंतर्गत 2014 से 2017 के बीच 1 लाख 27 हज़ार 817 लोगों को प्रशिक्षित किया और उनमें से 42,758 लोगों को रोज़गार मिला। लेकिन सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 9904 लोगों को रोज़गार मिला, जो कि इस योजना की पूर्ण विफलता की ओर इशारा करता है। सीएजी ने सरकार को सलाह देते हुए यह भी कहा कि 'राज्य में कौशल विकास के ज़रिये बेरोजगारी की समस्या को तुरंत दूर किए जाने की आवश्यकता है।'

इसी तरह नेशन करियर सर्विस के हिसाब से राजस्थान में 8,80,144 लोगों ने खुद को बेरोज़गार पंजीकृत कराया था। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गयी इस योजना के तहत सिर्फ 19,605 रिक्तियां निकाली गयीं। इसका अर्थ है कि बेरोज़गारी के हिसाब से सिर्फ 2.2 % वेकेंसियां थीं। हमें यह भी समझना होगा कि बहुत से बेरोज़गार खुद को पंजीकृत नहीं कराते।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के अमित ने बताया कि सेंटर फॉर मॉनीटरी इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के हिसाब से 2012 में राजस्थान की बेरोज़गारी दर 3.2% थी , जो 2015 में बढ़कर 7.1% हुई। 2018 में यह दर बढ़कर अब 7.7% हो गयी है। जबकि राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर फिलहाल 5.6 %  है।

सीएमआईई के महेश व्यास ने कहा कि जिन लोगों के पास काम है या जो काम ढूँढ रहे हैं उनकी दर लेबर पूल में नोटबंदी से पहले जहाँ 47% थी वह नोटबंदी के बाद 41 से 42% हो गयी है यानी काम तलाश करने वालों में भी कमी आई है।

प्रदेश में बेरोज़गारी का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि इस साल जनवरी में जब विधानसभा में चपरासी की नौकरी के लिए 18 वेकेंसी निकलीं तो उसके लिए 12,453 ने इंटरव्यू दिया। इनमें से 129 इंजीनियर, 23 वकील, 393 पोस्ट ग्रेजुएट और CA शामिल थे। जबकि इस नौकरी के लिए सिर्फ 10वीं पास होने की आवश्यकता थी। दिलचस्प बात ये है कि 18 चुने गए लोगों में से नौकरी पाने वाले एक व्यक्ति बीजेपी विधायक के बेटे थे।

वसुंधरा राजे ने 15 लाख रोज़गार देने का वादा किया था लेकिन यह ज़मीन पर दूर दूर तक होता नहीं दिख रहा है। युवाओं की निराशा अब उनकी जान ले रही है और ये लगभग तय है कि कि दिसंबर में होने वाले चुनावों में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा होगी।

unemployment
Rajasthan
Alwar
unemployment in rajasthan

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License