NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजस्थान : सरकार गौ पूजा में व्यस्त, किसान त्रस्त, आंदोलन जारी
प्याज़ की सरकारी ख़रीद की मांग को लेकर राजस्थान के सीकर में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

मुकुंद झा
04 Mar 2019
AIKS

राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री राज्य स्तरीय गौ रक्षा सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। वहीं दूसरी और राज्य के किसान प्याज़ की फसल की सरकारी ख़रीद शुरू करने और उसके उचित दाम की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। किसानों ने कहा है कि सरकार गाय पूजा में लगी हुई है जबकि किसान अपने दाम को  तरस रहा है। 

 प्याज़ की सरकारी ख़रीद की मांग को लेकर राजस्थान के सीकर में किसानों का विरोध प्रदर्शन छठे दिन सोमवार को भी जारी है। सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब न मिलने की वजह से किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है और इस आंदोलन में लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है। किसानों का समर्थन करते हुए सीकर की मंडियों ने भी ख़रीदारी पूरी तरह से बंद कर दी है।

किसानों ने फ़ैसला किया है कि वो जनप्रतिनिधियों के घरों का घेराव करेंगे। शनिवार को राज्य के शिक्षा मंत्री का घेराव किया।  इस के अलावा कल रविवार को स्थानीय सांसद का भी घेराव किया और आज वहाँ के विधायकों का भी घेराव किया गया। लेकिन सरकार की और से कोई भी संतोषजनक उत्तर ना मिलने से नाराज़ किसानों ने साफ़ किया जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक वो प्रदर्शन करते रहेंगे | मंगलवार को किसानों ने सीकर में एक बड़ी आम सभा करने का ऐलान किया है, जिसमें हज़ारों किसानो के शामिल होने की बात कही जा रही है। इस रैली में राजस्थान के किसान नेता , AIKS के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक अमराराम, और  AIKS  के राज्य अध्यक्ष पेमाराम सहित माकपा के दोनों विधायक बलबान  पुनिया और गिरधारी लाल महिया इस सभा को संबोधित करंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान के पूर्व विधायक अमराराम ने न्यूज़क्लीक  से बात करते हुए कहा की काफ़ी समय से राज्य के प्याज़ किसान परेशान हैं ,उन्हें अपना भाव नहीं मिल रहा है। लेकिन इन्हीं किसानों के द्वारा चुने गए जन प्रतिनधि मौन है। यहाँ तक कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने सरकारों को इस समस्या को लेकर पत्र तक नहीं लिखा है। सरकार और इन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी को देखते हुए किसान सभा ने निर्णय किया है कि वो सभी जनप्रतिनिधियों के घरों का घेराव करेंगे। जिससे किसानों कि आवाज़ इनके कानों तक पहुँच सके।

राज्य के किसान पिछले काफ़ी समय से अपनी इन्हीं मांगों को लेकर गांव और ब्लॉक स्तर पर धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं | लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन पिछले ६ दिनों से अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में किसानों ने कलेक्ट्रट पर पड़ाव डाला है तब से सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं। ज़िला कलेक्टर ने किसान नेताओं से कई दौर की बातचीत की है, वो यह मान रहे हैं कि प्याज़ किसान संकट में है लेकिन इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं कर रहे हैं। वो हर बार की तरह आश्वासन दे रही है लेकिन किसानों ने साफ़ किया है कि उन्हें इस बार हल चाहिए।

किसानों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने साफ़ कहा है कि चुनाव से पहले किसानों की समस्या का हल इन पार्टियों के पास होता है लेकिन सरकार में आते ही यह भूल जाते हैं। यही काम गहलोत सरकार कर रही है। उन्होंने चुनाव से पूर्व पूर्ण क़र्ज़ा माफ़ी का वादा किया था लेकिन अब वो इससे मुकर रही है। इसको लेकर किसानों में भरा ग़ुस्सा दिखा रहा है। वो इस रैली में नारा लगा रहे थे - "थूककर चाटने वाली सरकार मुर्दाबाद"  

Capture_0.PNG

किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

राज्य सरकार द्वारा प्याज़ नहीं ख़रीदे जाने से नाराज़ किसानों का कहना है कि इससे प्याज़ किसान बर्बाद हो रहे हैं। एक एकड़ में7 से 8 हज़ार रूपये  लागत आती है लेकिन उन्हें बाज़ार में इसकी क़ीमत 2-3 रूपये मिल रही है। किसान इसे अपने पास दो महीने से अधिक रख भी नहीं सकता। इसलिए उन्हें मजबूरन बेचना पड़ता है। इससे तो किसानों की लागत भी नहीं निकल रही। किसानों का कहना है कि प्रदेश की सरकार उनके प्याज़ को 10 रुपए किलो ख़रीदकर इसे प्रदेशभर की राशन की दुकानों पर आम जनता को बेचे।

 नासिक के बाद सीकर, चूरू और झुंझुनू ज़िले प्याज़ के पैदावार की लिहाज़ से देश का बड़ा इलाक़ा है। इसके लिए 15 साल पहले रशीदपुरा में प्याज़ मंडी बनाने की घोषणा हुई थी, जो एक साल पहले तैयार हो चुकी है, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया।

 प्याज़ के साथ ही किसानों को दूध का भी दाम नहीं मिल रहा है

पिछले साल किसानों को 25 से 28 रूपये लीटर तक का दाम मिलता था, लेकिन आज किसान दूध को 20 रूपये लीटर में बेचने को मजबूर है। जबकि वही दूध क्रीम निकालकर 50 रूपये की दर से शहरों में आमजन को बेचा जा रहा है।

किसानों की मांग है कि जिस दर पर आमजन को दूध बेचा जा रहा है, उसका 70 % किसानों को मिलना चाहिए। बाक़ी 30%पैकेजिंग वगैरह के लिए ख़र्च किया जाए। 11 सूत्रीय मांग पत्र को किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

राजस्थान के शेखवटी, सीकर भादर, झुंझुनू और रशीद पूरा आदि के लगभग 65 हज़ार किसान प्याज़ की खेती करते हैं क्योंकि यह उनकी मजबूरी है। किसानों का कहना है कि सर्दी के मौसम में प्याज़ एक नक़दी फसल होती है। इसलिए वो सभी प्याज़ उगाते हैं। सरकारी स्तर पर कोई भंडारण की व्यवस्था ना होने के कारण उन्हें इसे फ़ौरन पौने दामों पर बेचना पड़ता है |

 किसानों को एक बार फिर से धोखे की आशंका है 

 हर बार चुनावों में चाहे वो लोक सभा या फिर विधानसभा हो रशीदपुर प्याज़ मंडी चुनाव का मुद्दा होता है लेकिन चुनाव के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल  दिया जाता है। एक बार फिर किसानों को इसकी चिंता सता रही है कि कहीं एक बार फिर यह मुद्दा अगले चुनाव तक न टल जाए इसलिए उनकी मांग है कि आचार संहिता लगने से पहले इसका उद्घाटन कर दिया जाए नहीं तो फिर चार महीने तक के लिए यह टल जाएगा।

 इसे भी पढ़े :-राजस्थान में एक बार फिर से किसानों का आंदोलन

 

 

kishanMahapadaav
sikar
AIKS
Rajasthan sarkar
ashok gehlot
Onion Crisis
cost of onions
Onion Farmers
Congress
Amra Ram
Pema Ram
Narendra modi
farmers mahapadav
BJP
farmers protest

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License