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भारत
राजनीति
राज्य निर्वाचन आयोग के पास उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति: अदालत
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि एक ही मामले को लेकर दो समानांतर कार्रवाई नहीं चल सकती इसलिए अगर किसी उम्मीदवार का निर्वाचन किसी अदालत के समक्ष लंबित है तो उस दौरान आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने की प्रक्रिया को अमल में नहीं लाया जा सकता।
भाषा
27 Sep 2019
patna high court
Image courtesy: PatnaDaily

पटना :  पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग के पास नगरपालिका और पंचायती निकायों के उम्मीदवारों को निर्वाचित होने से पहले और बाद में अयोग्य घोषित करने की शक्ति है।

मुख्य न्यायाधीश एपी साही, न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा और राजीव रंजन प्रसाद की वृहद पीठ ने विभिन्न पीठों के संदर्भों पर बुधवार को यह फैसला सुनाया।

इन पीठों ने सवाल उठाया था कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग को नगरपालिका या पंचायत निकायों के लिए चुने गए उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है।

200 पृष्ठों से अधिक लंबे इस आदेश में अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य निर्वाचन आयोग के पास बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 और बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार चुनाव पूर्व या उसके बाद अयोग्य घोषित किए जाने के प्रश्न पर विचार करने का अधिकार है।
हालांकि अदालत ने यह रेखांकित किया कि किसी उम्मीदवार के निर्वाचन को लेकर शिकायत का संज्ञान स्वत: या किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत पर लिए जाने के बाद, आयोग ऐसे साक्ष्य जो संदेह के परे हों, के आधार पर ही विचार करने के लिए आगे बढ़ सकता है।

अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई शिकायत किसी निर्वाचन को लेकर आयोग के समक्ष आती है तो उसका निस्तारण किसी अदालत या सक्षम प्राधिकरण के द्वारा होने तक आयोग को अपनी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ानी चाहिए।

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि एक ही मामले को लेकर दो समानांतर कार्रवाई नहीं चल सकती इसलिए अगर किसी उम्मीदवार का निर्वाचन किसी अदालत के समक्ष लंबित है तो उस दौरान आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने की प्रक्रिया को अमल में नहीं लाया जा सकता।

साथ ही अदालत ने कहा कि किसी भी निर्वाचन को चुनौती देने की एक समय सीमा निर्धारित है पर किसी निर्वाचित उम्मीदवार को अयोग्य ठहराने के लिए आयोग पर ऐसी कोई समय सीमा लागू नहीं होती।

Patna High Court
Bihar
municipality
Panchayat
Election of candidate

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