NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राम मंदिर : एक पाखंड भरा 'आंदोलन'
संघ परिवार द्वारा राम मंदिर आंदोलन को दोबारा से हवा देने के प्रयास रविवार (25 नवंबर) के दोनों कार्यक्रमों में विफल रहे क्योंकि उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं मिला, यह देख संघ के नेता निराश हो गए।
सुबोध वर्मा
27 Nov 2018
ayodhya dharm sabha

जरूरत से ज्यादा प्रचारित विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित अयोध्या में 25 नवंबर की धर्म संसद और नागपुर में समानांतर रैली जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर्वोच्च नेता मोहन भागवत ने संबोधित किया था, इन रैलियों को अयोध्या में विवादित स्थान पर राम मंदिर के निर्माण के लिए नवीनीकृत 'आंदोलन' की शुरुआत करना था, जहां 1992 तक बाबरी मस्जिद खड़ी थी।

आंदोलन बनाने की कोशिश

रिपोर्टों के अनुसार, अयोध्या की सभा में उपस्थिति 30,000 से भी कम थी, जबकि एक अन्य रपट में इसे 50,000 बताया है। स्थानीय पुलिस ने आंकड़े को 80,000 पर रखा है। वीएचपी ने दावा किया था कि इस महत्वपूर्ण बैठक (धर्म संसद) के लिए 2 लाख लोग एकत्र होंगे जहां राम मंदिर निर्माण एजेंडा होगा। दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश के 48 जिलों से लोगों को 2000 बसों में भरकर शहर में लाया गया था, इसके अलावा लोग स्थानीय और अन्य ट्रेनों से भी आए थे।

आरएसएस ने इस कार्यक्रम के पीछे अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, महासचिव भैयाजी जोशी स्वयं व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे। कई दर्जन भाजपा विधायक और मंत्री उपस्थित थे। हालांकि, अयोध्या के तीन मुख्य अखाड़ों में से दो ने इन सभाओं का बहिष्कार किया था।

इन पूरी चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के बावजूद, इतनी कम उपस्थिति से पता चला कि तथाकथित 'आंदोलन' की ओर लोग उदासीन हैं और उनके भीतर इसके प्रति संदेह है – और यह भी सच है, कि उत्तर प्रदेश या आस-पास के क्षेत्रों में अधिकांश हिंदू - अगर स्पष्ट रूप से उनसे पूछे तो - कहते हैं कि वे अयोध्या में राम मंदिर चाहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जब चुनाव सर पर हों तो अचानक वे 'आंदोलन' को पुनर्जीवित करने के लिए संघ परिवार के अवसरवादी प्रयास का समर्थन करते हैं।

वास्तव में, जैसा कि कई चैनलों/अखबारों द्वारा रिपोर्ट किया गया है, और लाइव टीवी कवरेज में दिखाया गया है कि अयोध्या में आम लोग खुलेआम कह रहे थे कि यह सब चुनावी उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने मंदिर के निर्माण में देरी के लिए चुनावी राजनीति को दोषी ठहराया। कई अन्य लोगों ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि उन्हें बताया गया था कि निर्माण "आज ही शुरू होगा"।

नागपुर में, अयोध्या बैठक के साथ समानांतर आयोजित वीएचपी के एक कार्यक्रम में, आरएसएस के सर्वोच्च नेता की आखिरी मिनट में उपस्थिति देखी गयी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दे रहा है।

भागवत ने कहा "हालांकि कानून जरूरी है, लेकिन क्या समाज केवल कानून के आधार पर ही चल सकता है? क्या आस्था के मामलों के खिलाफ कोई प्रश्न उठाया जा सकता है?" इस रैली में आयोजकों द्वारा किए गए दावों के बावजूद केवल 25,000 लोग आए जबकि एक लाख लोगों के आने का दावा किया गया था।

नेताओं के बीच विवाद

इस बीच, संतों और धर्मगुरु, वीएचपी नेताओं, संघ नेतृत्व और बीजेपी नेताओं के बीच विवाद रहा, ऐसा उनके मंदिर के बारे में अलग-अलग और बेतुके बयानों से स्पष्ट था। कुछ लोग दावा कर रहे थे कि निकट भविष्य में एक कानून बनाया जा रहा है और इसे लागू करने के लिए एक संभावित समय सीमा दी जानी चाहिए। अन्य लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की बात कर रहे थे। कुछ अन्य लोग समाज के व्यापक संघर्ष के जरिये सरकार पर दबाव डालने का बात कर रहे थे।

राजस्थान में प्रचार करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने तो बड़ा ही विचित्र आरोप लगाया कि कांग्रेस सुनवाई में देरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को मजबूर कर रही है और वह राम मंदिर से संबंधित अदालती मामले में देरी के लिए जिम्मेदार है।

मध्य प्रदेश में प्रचार करने वाले जिन्हे मोदी का दाहिना हाथ माना जाता है भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई फिर से शुरू होने की प्रतीक्षा करनी होगी।

इस प्रकार दोनों अध्यादेश लाने के मुद्दे पर आंखे फेर रहे हैं। ऐसा माना जा रहे हैं, जैसा कि कई वीएचपी और आरएसएस नेताओं ने मांग की थी। वास्तव में, शाह के बयान ने स्पष्ट रूप से इस मांग का खंडन किया है।

इसे भी पढ़ें : अयोध्या में लड़ा जा रहा है ‘हिन्दुत्व’ का चुनावी युद्ध

नागपुर में, आरएसएस के सर्वोच्च नेता ने एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है, जब उन्होंने कहा कि पूरे हिंदू समाज को सरकार पर दबाव डालने के लिए इस आंदोलन के लिए संगठित किया जाना होगा।

अयोध्या की बैठक में, चित्रकूट के एक संत रामभद्राचार्य ने सनसनीखेज दावा किया कि एक अज्ञात केंद्रीय मंत्री ने उन्हें बताया था कि मामले को 11 दिसंबर के बाद प्रधानमंत्री द्वारा उठाया जाएगा। तिथि का महत्व अस्पष्ट है: यह वह दिन होगा जब पांच विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित किए जाएंगे, लेकिन संसद भी उसी दिन बुलाई गयी है।

उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि मोदीजी हमें धोखा नहीं देंगे और अध्यादेश के रास्ते का चयन किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि एक बार मंदिर बन गया तो, भारत एक "घोषित हिंदू राष्ट्र बन जाएगा", भद्रचार्य ने ऐसा कहा रपट किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय में लंबित राम जन्माभूमि शीर्षक सूट में वादियों में से एक निर्मोही अखाड़ा के महंत रामजी दास ने अयोध्या में कहा कि राम मंदिर के निर्माण की तारीख कुंभ मेला में घोषित की जाएगी, जो जनवरी-फरवरी में प्रयागराज ( इलाहाबाद) में होना निर्धारित है।

अयोध्या में मंचों से जारी किए गए उपदेशों की पूरी 'हास्यास्पद त्रासदी' तब देखने को मिली जब हंसदेवचार्य ने  भाषण में कहा कि लोगों को इस मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखना चाहिए। आश्चर्यजनक रूप से, उन्होंने हिंदी कवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध लाइनों को उद्धृत करते हुए कहा "याचना नाहिन, अब रण होगा (कोई और अनुरोध नहीं, अब लड़ाई होगी)" - जो वे प्रस्ताव दे रहे थे यह उसके विपरीत था!

इस बीच, वीएचपी ने घोषणा की है कि वह दिल्ली और बेंगलुरु में दो बड़ी बैठकें (धर्म संसद भी शामिल है) करेगी, इसके बाद देश के लगभग सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में 500 बैठकें होंगी जहां लोग अपने निर्वाचित सदस्यों (सांसद) से संपर्क करेंगे और राम मंदिर निर्माण में तेजी लाने के लिए कहेंगे।

इसका वांछित प्रभाव होगा या नही संघ परिवार के लिए शायद यह ज्यादा चिंता का कारण नहीं है क्योंकि ऑपरेटिव हिस्सा - 'संसदीय निर्वाचन क्षेत्र' है। यही वह जगह है जिनके लिए ये सभी गतिविधियां तैयार की गई हैं।

क्या बीजेपी के लिए वोट हासिल करने के लिए भाजपा की इस धोखापरस्त और साफ तौर पर अवसरवादी रणनीति को स्वीकार किया जाएगा? इसकी बहुत संभावना नज़र नहीं आती है हालांकि इसका उद्देश्य किसी भी चीज से ज्यादा हालात का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है। यहां तक कि यह भी अनिश्चित है क्योंकि इन धोखेबाजी से ज्यादा लोगों में असफल मोदी शासन के प्रति गुस्सा है।

 इसे भी पढ़ें : अध्यादेश के जरिये नहीं बनाया जा सकता राम मंदिर

 

Ayodhya Case
Ram Mandir
RSS-BJP
VHP
Hindutva
Electoral politics
chunavi rajniti

Related Stories

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License