NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रावसाहेब कसबे के साथ कोरेगांव पर गोलवलकर के विचारों पर चर्चा
आज के समय जब कोरेगांव फिर से एक युद्धभूमि बन गया है, इस ऐतिहासिक घटना के हर पहलु में जाति के आधार को फिर से देखना महत्वपूर्ण हो गया है।

रावसाहेब कसबे
08 Jan 2018
Translated by महेश कुमार
Raosaheb kasbe

बुद्धिजीवी रावसाहेब कसबे की किताब ज़ोट- आरएसएस पर स्पॉटलाइट (संघ पर केंद्रित पुस्तक) जिसे मराठी में अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था उसमें पेशवाओं से लड़ रहे महारों पर गोलवलकर की "दुःख" का उल्लेख है। आज का समय जब कोरेगांव फिर से एक युद्धभूमि बन गया, इस ऐतिहासिक घटना के हर पहलू में जाति के आधार को फिर से देखना महत्वपूर्ण है। रावसाहेब कसबे को यही कहना है:

गोलेवलकर ने ब्रिटिशों को समर्थन देने वाले असुरस्यों और उनके द्वारा पेशवा के विरुद्ध युद्ध लड़ने पर दुःख व्यक्त किया। पुणे के पास कोरेगांव में विजय स्तंभ है। उस स्तंभ पर उन सैनिकों के नाम हैं जो पेशवा के साथ लड़े थे दलितों के राष्ट्रीय नेताओं ने स्तंभ के बारे में कहा, 'यह स्तंभ, ब्राह्मणों पर हरिजनों की जीत का प्रतीक है।' यही कारण है कि वे ब्राह्मणों के साथ अंग्रेजों के समर्थन से लड़ रहे थे और पशिव को पराजित किया था। इस घटना को ध्यान में रखते हुए, गोल्लककर ने इसे (बंच ऑफ थॉट्स: 111) में 'यह एक विकृति है' के रूप में वर्णन किया है! लेकिन वह पेशवा, उसके बुरे इरादों या विकृति के बारे में बात नहीं करते हैं। इस सम्बन्ध में कोई भी शब्द या उल्लेख नहीं है .. जातीय राजनीति के प्रति उनकी दृष्टिकोण को समझने के लिए गोलवलकर की पुस्तक से संपूर्ण एक पैराग्राफ उद्धृत करते हैं:

उनके दिल के दिलों में, इन जाति-विरोधी जातियों में से बहुत कम एकता की भावना का अनुभव करते हैं जो वर्तमान विकृति पर पार पा सकते हैं। जाति-विरोधी अभियान/वक्तव्य उन्ही जाति के लोगों के बीच उनके अपनी छवि को मजबूत करने के लिए मुखौटा बन गया है। किस हद तक यह विष हमारे शरीर में फ़ैल गया है इसक अंदाजा उस राजनीति घटना से लगाया जा सकता है जो कुछ साल पहले हुई थी। पुणे के पास विजय स्तम्भ है, जो 1818 में अंग्रेजों ने पेशवाओं पर अपनी जीत का के स्मरण के लिए स्थापित किया था। हरिजनों के एक प्रसिद्ध नेता ने एक बार अपने जाति-भाईयों को उस स्तंभ से संबोधित किया था। उन्होंने घोषित किया कि यह स्तंभ ब्राह्मणों पर अपनी जीत का प्रतीक है, क्योंकि वे ही थे जिन्होंने अंग्रेजों के साथ युद्ध लड़ा था और ब्राह्मण पेशवाओं को पराजित किया था। यह कितना दुखद है कि एक प्रख्यात दलित नेता यह कहना कि वे नफरत से भरे दासता के बंधन को जीत के एक प्रतीक के रूप में पेश कर रहे हैं, और हमारे अपने नातेदार और परिजन (यानी पेशवा) के प्रति घृणा और उनके के खिलाफ  लड़ने के नीच कृत्य के रूप में वर्णन करते है। उन्हें (दलित नेता) को विजेता कौन थे और पराजित कौन के साधारण तथ्य के बारे में भी नहीं पता है! क्या यह एक विकृति है! (बंच ऑफ़ थॉट : 110-111.

हमें मूल ग्रंथों को पढ़ना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि पेशवाओं के साथ कैसे बहूजन समुदायों ने लड़ाई लड़ी थी. पेशवाओं ने दलितों और मराठा किसानों का शोषण किया था. इस अर्ह का उत्पीड़न जो बेहद क्रूर, अमानवीय, पाशविक और दुर्भावनापूर्ण था, और किसी की भी कल्पना से परे उन्होंने दलितों और मराठा किसानों की महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के साथ बलात्कार किया. यह इतना खतरनाक था कि पेशाओं ने जो कुछ भी किया उसके बारे में पढ़कर या सुनकर हमारे दिमाग में डर और उथलपुथल पैदा हो जाती है। आज के हिंदु, इसके विपरीत, गोलवलकर की तरह ही सोचते हैं, और क्रूर पेशवाओं को सही मानते हैं। इसके अलावा, वे अपनी तानाशाह वर्ग कि पहचान को भी नहीं खोना चाहते। इसी तरह, वे गैर-ब्राह्मण शूद्रों के बारे में विचार करते हैं, और उनके राजनीतिक वर्चस्व पर जोर देते हैं। ऐसे विरोधाभासों के बावजूद, वे तर्क करते हैं कि वे केवल वास्तविक राष्ट्रवादी हैं। इनके बीच केवल एकमात्र उद्देश्य सहसंबंध है कि वे केवल हिंदू-ब्राह्मण हैं! इसके अलावा, वे अपने संदेश में हिंदू धर्म को मानना ही राष्ट्रवाद मानते हैं और वे स पर ही जोर देते हैं। इस तरह के बयान का कोई कैसे आदर करेगा? एक ऐसे देश में जहां गुलामी का एक सतत माहौल है; एक राष्ट्र है जिसमें आम आदमी का लगातार धर्म के नाम पर शोषण किया जाता है; एक राष्ट्र जिसमें एक धनी वर्ग का जीवन विलासिता और सुखवाद पर आधारित है और परजीवी है; ऐसे राष्ट्र में, राष्ट्रवाद कभी अस्तित्व में नहीं आता है। ऐसे राष्ट्र में, एकमात्र आबादी है जो पैदा होती है और वह वर्ग क्र प्रभुत्व का आविष्कार करती है, और भारत के संदर्भ में, यह जातिवाद का एक प्रवचन है!"

रावसाहेब कसबे द्वारा लिखित पुस्तक “स्पॉटलाइट ओन आरएसएस” से लिया गए अंश तथा, दीपक बोर्गवे द्वारा अनुवादित

Raosaheb kasbe
bheema koregaon
Dalit assertion
Dalit atrocities
Golvarkar
BJP-RSS

Related Stories

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं का बौद्धिक विद्रोह

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?
    31 May 2022
    बीते विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से सपा को जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में ये आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं मुख्य…
  • Himachal
    टिकेंदर सिंह पंवार
    हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 
    31 May 2022
    केंद्र को यह समझना चाहिए कि हाती कोई सजातीय समूह नहीं है। इसमें कई जातिगत उपसमूह भी शामिल हैं। जनजातीय दर्जा, काग़जों पर इनके अंतर को खत्म करता नज़र आएगा, लेकिन वास्तविकता में यह जातिगत पदानुक्रम को…
  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान
    31 May 2022
    हाई-प्रोफाइल बिप्लब कुमार देब को पद से अपदस्थ कर, भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने नए सीएम के तौर पर पूर्व-कांग्रेसी, प्रोफेसर और दंत चिकित्सक माणिक साहा को चुना है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा
    31 May 2022
    “राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है।"
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?
    31 May 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उमर खालिद के केस की। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का भाषण अनुचित था, लेकिन यह यह आतंकवादी कृत्य नहीं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License