NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
समाज
भारत
अपने ही देश में नस्लभेद अपनों को पराया बना देता है!
भारत का संविधान सभी को धर्म, जाति, भाषा, वेशभूषा से परे बिना किसी भेदभाव के एक समान होने की बात करता है, लेकिन नस्लीय भेद इस अनेकता में एकता की भावना को कलंकित करता है।
सोनिया यादव
27 Mar 2022
ncw

“विविधता में एकता प्राप्त करने की हमारी क्षमता ही हमारी सभ्यता की सुंदरता और परीक्षा होगी"

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ये उद्धरण शनिवार, 26 मार्च को दिल्ली के विज्ञान भवन के एक कार्यक्रम में बार-बार दोहराया गया। भारत में विभिन्न संस्कृतियों के प्रति जागरूकता फैलाने और विविध रीति-रिवाजों के बीच आपसी समझ को मजबूत करने के उद्देश्य आयोजित ये कार्यक्रम एक ऐसे भारत की तस्वीर पेश करता है जहाँ सभी धर्म, जाति, समुदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ मिलकर रहें। देश के भीतर अल्पसंख्यकों को भी बहुसंख्यकों के बराबर ही सम्मान और सुरक्षा मिले।

बता दें ये 'नस्लीय विविधता संवेदीकरण' संगोष्ठी राष्ट्रीय महिला आयोग के तत्वाधान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो और दिल्ली पुलिस की उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की विशेष पुलिस इकाई के सहयोग से आयोजित की गई थी। इसमें देश के विभिन्न इलाकों से ताल्लुक रखने वाले अलग-अलग समुदाय के लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में युवा, पुलिस और सुरक्षा बल के जवान भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यकों के तमाम मुद्दों पर गहराई से चर्चा और समाधान के सुझावों पर भी बात हुई। 

क्या हैं अल्पसंख्यकों की समस्याएं?

हम अक्सर अनेकता में एकता के नारे तो खूब लगाते हैं लेकिन आज भी कॉलेज हो या फिर कोई बाज़ार, अक्सर लोगों की नज़र ऐसे चेहरों पर जाकर टिक सी जाती है जो कुछ अलग से नज़र आते हैं, बस यहीं पर कई तरह की नस्लभेदी टिप्पणियां सुनाई देती है। कई ऐसे शब्द हैं जिन्हें राजधानी दिल्ली में उन लोगों के लिए अक्सर संबोधन के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो पूर्वोत्तर भारत यानी नॉर्थ ईस्ट और लेह लद्दाख से आते हैं।

कुछ ऐसी ही समस्याओं को साझा करते हुए संयुक्त पुलिस आयुक्त, स्पूनर ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट से अन्य राज्यों में जाकर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनके शरीर की बनावट आम उत्तर भारतीयों की तरह नहीं होती। इसलिए उनके साथ शारीरिक, मानसिक और रोज़गार के स्तर पर भेद किया जाता है। यहां तक की लोग उन्हें विदेशी यानी चीनी, नेपाली समझते हैं। यही हाल उनके पहनावे, कपड़ों और भाषा को लेकर है। हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों का पहनावा उनसे मेल नही खाता, साथ ही भाषा के स्तर पर ये हिंदी नहीं बोलते इसलिए मुख्यधारा से अलग-थलग ही रहने को मजबूर होते हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के लोगों के साथ नस्ल के आधार पर भेदभाव तो होता ही है, इनके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की घटनाएं भी ज़्यादा होती हैं क्योंकि लोग इन्हें आसान निशाना समझते हैं। जब तक बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों को सहज नहीं महसूस करवाएंगे, उनके साथ घुले-मिलेंगे नहीं, प्यार और रिश्ते नहीं बांटेंगे ये समस्या हल नहीं होगी।

रेखा शर्मा ने कहा कि अनेकता में एकता के सद्भाव के लिए जन चेतना और मानसिकता में बदलाव सबसे जरूरी है जब तक ऐसा नहीं होगा अल्पसंख्यकों के साथ सामाजिक समागम भी नही होगा। भारत के अंदर रहने वाले हर समुदाय,जाति-धर्म के लोग भारतीय हैं, उन्हें भी बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, इज़्ज़त मिलनी चाहिए।

अपनों के बीच ही पराया बना देती हैं नस्लीय टिप्पणियां

गौरतलब है कि 2014 में तब के दुनिया के नंबर तीन मुक्केबाज़ शिव थापा ने अपने एक बयान में कहा था कि देश के भीतर उन्हें भी कई मौकों पर नस्लीय टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा है। तब उन्होंने भारत सरकार से किसी भी तरह की नस्लीय भेदभाव या हिंसा के मामलों को गंभीरता से लिए जाने और तुरंत कार्रवाई की गुज़ारिश भी की थी।

संगोष्ठी में भी भारत के फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, "एक खिलाड़ी के तौर पर मैं दुनिया के अलग-अलग देशों में खेलने जाता रहा हूं, मैंने तीन साल इंग्लैंड के लिए खेला, वहां कभी मुझे नस्लभेद का इस कदर सामना नहीं करना पड़ा, जितना की अपने ही देश के अंदर महसूस किया।"

आपको याद हो कि कुछ सालों पहले दुकानदारों के साथ मारपीट की घटना के बाद अरूणाचल प्रदेश के छात्र नीडो तनियम की मौत और उसके कुछ ही दिन बाद दिल्ली में मणिपुर की एक छात्रा के साथ कथित बलात्कार, और मणिपुर के दो युवकों के साथ मारपीट की घटनाओं के मामले ने देशभर में तूल पकड़ लिया था। इन घटनाओं को लेकर कई आंदोलन और प्रदर्शन भी हुए लेकिन जमीनी हकीकत आज भी जस की तस ही बनी हुई है। अल्पसंख्यकों से वादों, इरादों और योजनाओं के ऐलान के नाम सरकार द्वारा बहुत कुछ दावा किया गया लेकिन उनके साथ व्यवहार में आज भी बदलाव नहीं आया, शायद यही वजह है कि आज भी देश के भीतर ही देश के एक कोने में रहने वाले निवासियों को असुरक्षित महसूस होती है, वे आज भी अपने ही देश में अपने होने के प्रमाण तलाशते फिरते हैं।

Racial violence
Racial Discrimination
national commission for women
sensitization seminar
North East

Related Stories

जेएनयू: ICC का नया फ़रमान पीड़ितों पर ही दोष मढ़ने जैसा क्यों लगता है?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    केरल: RSS और PFI की दुश्मनी के चलते पिछले 6 महीने में 5 लोगों ने गंवाई जान
    23 Apr 2022
    केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हत्याओं और राज्य में सामाजिक सौहार्द्र को खराब करने की कोशिशों की निंदा की है। उन्होंने जनता से उन ताकतों को "अलग-थलग करने की अपील की है, जिन्होंने सांप्रदायिक…
  • राजेंद्र शर्मा
    फ़ैज़, कबीर, मीरा, मुक्तिबोध, फ़िराक़ को कोर्स-निकाला!
    23 Apr 2022
    कटाक्ष: इन विरोधियों को तो मोदी राज बुलडोज़र चलाए, तो आपत्ति है। कोर्स से कवियों को हटाए तब भी आपत्ति। तेल का दाम बढ़ाए, तब भी आपत्ति। पुराने भारत के उद्योगों को बेच-बेचकर खाए तो भी आपत्ति है…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लापरवाही की खुराकः बिहार में अलग-अलग जगह पर सैकड़ों बच्चे हुए बीमार
    23 Apr 2022
    बच्चों को दवा की खुराक देने में लापरवाही के चलते बीमार होने की खबरें बिहार के भागलपुर समेत अन्य जगहों से आई हैं जिसमें मुंगेर, बेगूसराय और सीवन शामिल हैं।
  • डेविड वोरहोल्ट
    विंबलडन: रूसी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध ग़लत व्यक्तियों को युद्ध की सज़ा देने जैसा है! 
    23 Apr 2022
    विंबलडन ने घोषणा की है कि रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को इस साल खेल से बाहर रखा जाएगा। 
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    प्रशांत किशोर को लेकर मच रहा शोर और उसकी हक़ीक़त
    23 Apr 2022
    एक ऐसे वक्त जबकि देश संवैधानिक मूल्यों, बहुलवाद और अपने सेकुलर चरित्र की रक्षा के लिए जूझ रहा है तब कांग्रेस पार्टी को अपनी विरासत का स्मरण करते हुए देश की मूल तासीर को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License