NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
राजनीति
रिसर्च विद्यार्थियो का देशभर में प्रदर्शन
मौजूदा फ़ेलोशिप की राशि में तकरीबन 80 से 100 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए. इसे अप्रैल 2018 के बाद रिसर्च के लिए दाखिल हुए विद्यार्थयों के समय से ही लागू किया जाए
प्रियांश मौर्य
21 Dec 2018
students protesting outside Department of Science and Technology

आज देशभर से आये रिसर्च  विद्यार्थियों ने अपने फ़ेलोशिप  में बढ़ोतरी को लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में जाने माने प्रौद्योगिकी संस्थान  जैसे IIT दिल्ली , DRDO, CBMR से आये रिसर्च विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. यह प्रदर्शन केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि देशभर में विज्ञान और प्रौधोगिकी से जुड़े हर संस्थान में हुआ. यह रिसर्च विद्यार्थियों  द्वारा अपनी मांग और परेशानियों को लेकर पहली बार किया हुआ प्रदर्शन नहीं है बल्कि इससे पहले भी फ़ेलोशिप को लेकर बहुत सारे प्रदर्शन हो चुके हैं.

यह मांगे कुछ ऐसी हैं  -

1.मौजूदा फ़ेलोशिप की राशि में तकरीबन 80 से 100 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए. इसे अप्रैल 2018 के बाद रिसर्च के लिए दाखिल हुए विद्यार्थयों के समय से ही लागू किया जाए.

2. रिसर्च विद्यार्धियों को जो फ़ेलोशिप दिया जाता है उसमे कोई निश्चित समय नहीं है , इसलिए फ़ेलोशिप का समय पर वितरण सुनिश्चित करे .

3   वेतन आयोग संशोधन( pay commission )  के तहत मानी गई श्रेणियों की सूची में अनुसंधान कर्मियों को शामिल किय जाए  और यह सुनिश्चित किया जाए कि अनुसंधान कर्मियों को महंगाई भत्ता (डीए) और वार्षिक फैलोशिप दिया जाये .

जवाहर सिंह जो नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्लांट जीनोम रिसर्च ( NIPGR ) में शोध कर रहे है newsclick से बात करते कहा " पिछले चार सालों से रिसर्च स्कॉलर को मिलने वाली फ़ेलोशिप में तनिक भी वृद्धि नहीं हुई है,महंगाई बढ़ती जा रही है, रोजमर्रा की जरूरत की चीज़ो के दाम बढ़ते जा रहे है लेकिन रिसर्च स्कॉलर को मिलने वाला फ़ेलोशिप अभी भी वही है जो चार साल पहले था " .

कुछ और शोध विद्यार्थियों ने बताया कि  प्रशासन की तरफ से कोई लिखित में जवाब नहीं आ रहा है , बस प्रशासन के आला अफसर ट्विटर पर ट्वीट कर रहे है, आशुतोष शर्मा , सेक्रेटरी , डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने ट्विटर पर ट्वीट करके जानकारी दे रहे है. कुछ लिखित में अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

DRDO के रीसर्च विद्यार्थी अरुण चौधरी  newsclick से बात करते हुए कहते है "DRDO में कोई मेडिकल इन्शुरन्स का कोई प्रावधान नहीं हैं. लैब में काम करते समय अगर कोई दुर्घटना हो जाये तो रिसर्च स्कॉलर को कोई भी मेडी क्लेम नहीं मिलेगा. IIT  में छात्रों मेडिकल इन्शुरन्स मिलता है लेकिन DRDO में नहीं मिलता है . इस तरह यह पता चलता है कि कुछ ही संस्थानों में मेडिकल इन्शुरन्स मिलता है " प्रदर्शन करने वाले छात्रों कि मांग है कि हर संस्थान में मेडिकल इन्शुरन्स मिलना चाहिए .

रिसर्च विद्यार्थियों को देरी से फ़ेलोशिप मिलता है. जिस कारण उन्हें अपने  रोजमर्रा के कामों को पूरा करने में काफी परेशानी आती है .

जैसे हम लोगो को पता हैं की रिसर्च करने में इंसान की उम्र का बहुत बड़ा हिस्सा निकल जाता है , इसी उम्र के  बीच कुछ लोगो पर पारिवारिक जिम्मेदारी आ जाती है जैसे संदीप DRDO में शोध विद्यार्थी है. उनकी शादी हो चुकी है. और उनके ऊपर चार लोगो कि ज़िम्मेदारी है  तो अगर फ़ेलोशिप में बढ़ोत्तरी नही हो रही है तो घर चलाना मुश्किल हो गया है और बाजार में चीज़ो की कीमत आसमान छू रही है इसलिए संदीप को बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

शोध विद्यार्थियों को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है .देश में Ph .D सबसे बड़ी डिग्री होती है , डॉ.तीर्थंकर रिसर्च एसोसिएट है "Ph .D की डिग्री लेने के बाद भी हम रोड पर  प्रदर्शन कर रहे हैं. रिसर्च स्कॉलर अगर रोज रोज प्रदर्शन ही करता रहेगा तो शोध कब करेगा".  

अगर देश के इतने बड़े और सम्मानित संस्थानों का यह हाल है तो छोटे संस्थानों की हालात तो और बुरी होगी.

निखिल गुप्ता बताते है की हम आज शाम तक यहाँ प्रोटेस्ट करेंगे अगर प्रशासन के तरफ से कोई लिखित में जवाब नहीं आता है तो हम लोग भूख हड़ताल पर बैठने के लिए तैयार हैं.

प्रियवरप IIT दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर है, कहते है " भारत में शोध विद्यार्थियों की हालात इसलिए ख़राब है क्योकि यहाँ रिसर्च पर इतना पैसा निवेश नहीं किया जाता है  और मेक इन इंडिया के नाम पर बाहर के देशो की टेक्नोलॉजी यहाँ इस्तेमाल की जाती है, जबतक अपने देश के रिसर्च पर निवेश नहीं होगा , रिसर्च स्कॉलर के हालात ठीक नहीं होगी. अगर हमे विकास चाहिए तो साइंस एंड टेक्नोलॉजी का साथ भी बहुत जरूरी है।"

IIT
DRDO
NIPGR
CBMR
fellowship
research scholar
Department of Science and Technology

Related Stories

भारत ने विकिरण रोधी मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया

जज़्बाः ग्रामीण इलाक़े के छात्रों को विज्ञान की शिक्षा दे रहे हैं 'तेजस' के वैज्ञानिक

इसरो की एक और सफलता, उपग्रह रिसैट-2बी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण

क्या 2012 में ही सफल हो गया था 'मिशन शक्ति'?

“मिशन शक्ति” के लिए वैज्ञानिकों को बधाई, “चुनाव प्रचार” के लिए मोदी की आलोचना


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License