NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
CAA के समर्थन में रैली ने किया इशारा, राज ठाकरे ले चुके हैं एक नया मोड़
जतिन देसाई बताते हैं, ''उन्हें शायद लगता है कि उद्धव ठाकरे से कट्टर हिंदुत्व समर्थकों का मोहभंग हुआ है, जो मनसे के भगवा रंग में रंगने की स्थिति में उनके पास आ सकते हैं।''
अमेय तिरोदकर
11 Feb 2020
 Raj Thackeray

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने 9 फरवरी को मुंबई में एक रैली की। यह रैली नागरिकता संशोधन अधिनियम, NRC और NPR के विरोध में जारी प्रदर्शनों के जवाब में की गई थी। राज ठाकरे के मुताबिक़, ''आज देश भर में जो प्रदर्शन हो रहे हैं, वो महज़ मुस्लिमों का गुस्सा है, जो अनुच्छेद 370 और राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार द्वारा अलग-थलग किया जाना महसूस कर रहे थे।''

राज ठाकरे ने जो भाषण दिया, वो बेहद भड़काऊ था। उन्होंने कहा, ''यह उनके जुलूसों का महज़ जवाब है। मैं आपसे कहता हूं कि भविष्य में पत्थर का जवाब पत्थर से और तलवार का जवाब तलवार से दिया जाएगा।''

यह पहली बार नहीं है जब राज ठाकरे ने CAA-NRC-NPR के समर्थन में इस तरह के बयान दिए हैं। 23 जनवरी को उन्होंने मुंबई में अपनी पार्टी की पहली राज्य स्तरीय प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। इस बैठक में उन्होंने एक नए झंडे का लोकार्पण किया, जो पूरी तरह से भगवा रंग में रंगा था। झंडे के बीच में शिवाजी का प्रतीक चिन्ह भी है। इस बैठक में उन्होंने CAA-NRC-NPR को पूरा समर्थन दिया और ''घुसपैठियों'' के खिलाफ़ कड़ा रुख अपनाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी।

लेकिन राज ठाकरे की यह हालिया राजनीतिक स्थिति, 2019 के लोकसभा चुनावों से बिल्कुल उल्टी है। लोकसभा चुनावों के महीनों पहले ठाकरे ने तानाशाही भरे रवैये के लिए मोदी और शाह की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने अपनी बड़ी रैलियों में अपने तर्कों के पक्ष में बहुत सारे वीडियो भी पेश किए। कहीं न कहीं इससे बीजेपी के समर्थकों पर प्रभाव भी पड़ा।

लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के ठीक पहले अगस्त, 2019 में चीजें बदल गईं। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय से एक नोटिस आया। तब से ही उन्होंने ''एंटी-मोदी कैंपेन'' को थोड़ा धीमा कर दिया। हालांकि विधानसभा चुनाव खत्म होने तक राज ठाकरे बीजेपी की आलोचना करते रहे। लेकिन चुनावों के बाद अप्रत्याशित तौर पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बना ली।

वरिष्ठ पत्रकार जतिन देसाई ने न्यूज़क्लिक से कहा, ''ऐसा लगता है कि राज ने शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने की स्थितियों को कुछ दूसरे तरीके से देखा। उन्हें लगता है कि अब शिवसेना के कट्टर हिंदुत्व समर्थकों का पार्टी से मोह भंग होगा और अगर उनकी पार्टी, मनसे, भगवा रंग में रंग जाती है, तो हिंदुत्व के समर्थक उनके पाले में आ सकते हैं। इसलिए उन्होंने राम मंदिर, CAA और NRC जैसे मुद्दे उठाए हैं, जो हिंदू पहचान की राजनीति के नज़दीक हैं। इस तरह राज अपने लिए जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।''

राज ठाकरे द्वारा बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की स्थिति अभी तक साफ नहीं है। सूत्रों ने बताया कि मनसे नेताओं में ही फिलहाल उलझन है। आंकड़ों से पता चलता है कि भले ही मनसे ने विधानसभा में सिर्फ एक सीट जीती हो, लेकिन आठ जगहों पर पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे हैं। इन सभी आठ जगहों पर बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। मतलब साफ है कि दो दक्षिणपंथी पार्टियों में कड़ी टक्कर रही।

एक दूसरे पहलू पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बीजेपी और शिवसेना पहली बार 1987 में एक साथ आए थे। हिंदुत्व के नाम पर यह पहला राजनीतिक गठबंधन था। उस वक्त शिवसेना के पास गठबंधन में पहले नंबर पर मानी जाती थी, वहीं बीजेपी छोटे साझीदार के तौर पर शामिल थी। लेकिन 2014 तक बीजेपी इतनी मजबूत हो गई कि पार्टी ने राज्य में 122 सीटें जीत लीं। वहीं शिवसेना सिर्फ 63 सीटों पर सिमटकर रह गई।

अब जब शिवसेना हिंदुत्व के गठबंधन से अलग हो चुकी है, तो भविष्य में राज ठाकरे और बीजेपी की नई साझीदारी की चर्चाएं तेज हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Raj Thackeray’s Pro-CAA Rally an Indication of His Sharp Right Turn?

BJP
Maharashtra Navnirman Sena
Raj Thackeray
Pro CAA Rally
Anti CAA Protests
CAA
NRC
NPR
Shiv sena
Hindutva Politics
Uddhav Thackeray
NCP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    वित्त अधिनियम के तहत ईपीएफओ फंड का ट्रांसफर मुश्किल; ठेका श्रमिकों के लिए बिहार मॉडल अपनाया जाए 
    22 Mar 2022
    केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने ईपीएफओ के अधीन रखे गए 100 करोड़ के 'बेदावा' फंड को वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में हस्तांतरित करने पर अपनी आपत्ति जताई है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार दिवस: देश के पहले सत्याग्रह वाला चंपारण, गांधी से जेपी तक
    22 Mar 2022
    आज बिहार का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। तीन दिनों तक राज्य की राजधानी पटना के गांधी मैदान में नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होगी प्रवेश परीक्षा, 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश खत्म
    22 Mar 2022
    अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों के दाखिले के लिए विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) में प्राप्त अंकों का उपयोग करना होगा। जुलाई के पहले सप्ताह में सीयूईटी का…
  • रवि कौशल
    शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का मसौदा ढांचा अनुसंधान के लिए विनाशकारी साबित होगा
    22 Mar 2022
    शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का नया मसौदा ढांचा, कला एवं विज्ञान क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री की जरूरत को खत्म करने जा रहा है और स्नातक स्तर के कार्यक्रम को कमजोर बनाने वाला है। 
  • भाषा
    अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया
    22 Mar 2022
    अखिलेश यादव हाल में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में करहल विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए हैं। वह आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से सपा के लोकसभा सदस्य थे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License