NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मांओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस
रोहित वेमुला और पायल तड़वी दोनों ने ही कथित रूप से जाति आधारित भेदभाव की वजह से आत्महत्या कर ली थी।
भाषा
20 Sep 2019
Rohit and payal
फोटो साभार: नवभारत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में जातीय दुराग्रह खत्म करने के लिये रोहित वेमुला और पायल तड़वी की माताओं की याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया। रोहित वेमुला और पायल तड़वी दोनों ने ही कथित रूप से जाति आधारित भेदभाव की वजह से आत्महत्या कर ली थी।

हैदराबाद सेन्ट्रल विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने कथित रूप से जातीय दुराग्रह की वजह से 17 जनवरी, 2016 को आत्महत्या कर ली थी, जबकि टीएन टोपीवाला नेशनल मेडिकल कालेज की आदिवासी छात्रा पायल तड़वी ने संस्थान के तीन डाक्टरों द्वारा कथित रूप से जाति आधारित भेदभाव किए जाने की वजह से इस साल 22 मई को आत्महत्या कर ली थी।

न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने इस याचिका पर नोटिस जारी किया और केन्द्र को चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

वेमुला और तड़वी की मांओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम हैं लेकिन उन्हें लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों में आत्महत्या की घटनाओं के लिखित प्रमाण मिलते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने समता का अधिकार, जातिगत भेदभाव पर रोक का अधिकार और जीवन का अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों को अमल में लाने का भी अनुरोध किया है।

इस याचिका में कहा गया है कि देश भर में उच्च शिक्षण संस्थाओं में बड़े पैमाने पर जाति आधारित भेदभाव होता है और इसी से पता चलता है कि इनमें मौजूदा मानदंडों और नियमों का पालन नहीं होता है।

याचिका के अनुसार, इन घटनाओं से संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 21 में प्रदत्त समता, समान अवसर, भेदभाव के खिलाफ अधिकार, अस्पृश्यता उन्मूलन और जीने के अधिकारों का हनन होता है।

याचिकाकर्ताओं ने केन्द्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है कि यूजीसी (उच्च शिक्षण संस्थानों में समता को बढ़ावा) नियमन, 1012 के प्रावधानों का अमल हो।

याचिका में कहा गया है कि 2004 से अब तक इस तरह की 20 से अधिक घटनाओं के दस्तावेज तैयार किये गये हैं जिनमे देश के विश्वविद्यालयों में छात्रों ने आत्महत्या की है। इस मामले पर विचार के लिये अनेक समितियां गठित की गयीं और उनका निष्कर्ष है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को पर्यवेक्षक आवंटन, छात्रवृत्ति के मामले और ऐसे ही अनेक मुद्दों में सुनियोजित तरीके से जाति आधारित दुराग्रह के साथ भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

Rohith Vemula
payal tadvi
Supreme Court
suicide case
caste discrimination
Casteism
Caste Violence

Related Stories

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया

नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

राजस्थान में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या, तमिलनाडु में चाकू से हमला कर ली जान

लखीमपुर खीरी : किसान-आंदोलन की यात्रा का अहम मोड़

बिजनौर: क्या राष्ट्रीय स्तर की होनहार खिलाड़ी को चुकानी पड़ी दलित-महिला होने की क़ीमत?

वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह के मामले में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड

बिहार: मुखिया के सामने कुर्सी पर बैठने की सज़ा, पूरे दलित परिवार पर हमला

राजस्थान : फिर एक मॉब लिंचिंग और इंसाफ़ का लंबा इंतज़ार

आओ जाति-जाति खेलें!


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License